भोपाल, मध्यप्रदेश। भोपाल के जंबूरी मैदान में आज नवनिर्वाचित सरपंचों का राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण (Orientation and Training) सह सम्मेलन हुआ। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दीप जलाकर सम्मलेन का शुभारंभ किया। राज्य से 23000 से ज्यादा सरपंच इस सम्मेलन में शामिल हुए। इस सम्मेलन में राज्य के सरपंचों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने कई मुद्दे रखे जिसमे से सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि को बढ़ाने की मांग रखी गई है इस सम्मेलन के सीएम हेल्पाइन,ग्राम पंचायतों सचिवों का सातवां वेतन, बीपीएल राशनकार्ड वापिस बनवाने की कार्यवाही सहित आदि अहम मुद्दे सरपंचों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने रखे। सीएम शिवराज सिंह ने इस सम्मेलन में भाषण कर कुछ अहम घोषणाए भी की।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में कहा कि सब सरपंच सरकार के लिए एक बराबर है। उन्होंने आगे अपने भाषण को बढ़ाते हुए कहा कि जनता की मांगो को पहले पूरा किया जाए राज्य सरकार और सरपंच साथ मिलकर काम करे तो ही मध्यप्रदेश के गांव-गांव तक विकास पहुंचेगा। सीएम ने सरपंचों को सलाह देते हुए कहा कि वह चुनाव के बाद भी जनता के बीच जाकर उनकी समस्या को सुने और किसी भी प्रकार के विवादो या झगड़ो से दूर रहें। भाषण के दौरान मुख्य मंत्री ने कुछ घोषणाए भी की उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ग्रामस्वराज का एक नया कांसेप्ट लेकर आने वाली है, जिसमे गांव के विवाद गांव में सुलझा लिए जायेंगे, जैसे शहर का मास्टरप्लान बनाया जाता है वैसे ही गांव का भी मास्टरप्लान बनाया जाएगा।
सरपंचों का मानदेय बढ़ाया :
सीएम ने बताया कि उनकी सरकार ने 10,000 करोड़ का बजट मकान बनाने के लिए दिया है जिसमे से 38 लाख मकान बनाए जा चुके है और 8 लाख में काम चल रहा है। उन्होंने अपने भाषण के अंत में सरपंचों को मिलने वाले मानदेय को बढ़ाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि वह सरपंचों को मिलने वाले 1750 रुपए मानदेय को बढ़ा कर 4250 रुपए कर रहे हैं और ग्राम पंचायत में प्रशासकीय स्वीकृति के अधिकार 15 लाख है उन्हे बढ़ा कर 25 लाख करने का भी फैसला उनकी सरकार ने लिया है। उन्होंने सरपंचों से यह भी अनुरोध किया है की वह अपने ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं और बेटियो का भी सम्मान करे और उन्हे शिक्षा से वंचित न रखें।
मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव 1 से 8 जुलाई 2022 को हुए थे जिसमे 41 जिलों में भाजपा ने जीत अर्जित की थी, वहीं कांग्रेस के सिर्फ 9 जिले कांग्रेस के पक्ष में आए थे। प्रदेश की 23,000 पंचायत में भाजपा और भाजपा के सहयोग से खड़े हुए उम्मीदवार ने 20,613 पंचायतों में जीत अर्जित की थी।
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