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मध्य प्रदेश

नर्सिंग कालेज के मामले में सुकों ने मांगा जवाब , मप्र नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल को नोटिस जारी

कालेज की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि कई पाठ्यक्रम में से एक जीएनएम की 20-21 एवं 21-22 की मान्यता गलत ढंग से निरस्त की गयी है।

Amit Namdeo

जबलपुर। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत व न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की डिवीजन बेंच नेे प्रेमवती नर्सिंग कॉलेज की एक विशेष अनुमति याचिका में मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन कौंसिल को नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को निर्धारित की है।

कालेज की ओर से हाईकोर्ट के उस आदेश को सुकों में चुनौती दी गई थी जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। कालेज की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि  वह कई नर्सिंग पाठ्यक्रम चला है। इनमें से एक पाठ्यक्रम जीएनएम की 20-21 एवं 21-22 की मान्यता गलत ढंग से निरस्त की गयी है। जिन आदेशों को उच्च न्यायलय में चुनौती दी गयी थी। जिसे उच्च न्यायलय ने ख़ारिज कर दिया था।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एनएस रूपराह ने पक्ष रखा। उनका तर्क था कि पहले आदेश में कारण नहीं बताया गया है और दूसरे आदेश द्वारा कौंसिल की गलती की वजह से कॉलेज को सजा सुनाई गयी है, जो कि गैरकानूनी है। नर्सेज रजिस्ट्रेशन कौंसिल नवीन पाठ्क्रम हेतु आवेदन देने की तिथि बहुत विलम्ब से नियत करता है। जिससे अनुमति मिल जाने के बावजूद भी छात्र नहीं मिलते और जब छात्र नहीं मिलते तो कौंसिल यह आपत्ति लेता है कि दो वर्षों में किसी छात्र को प्रवेश नहीं दिया गया, जिस पर अब नया आवेदन लगेगा। उक्त त्रुटियों के बावजूद उच्च नयायालय ने याचिका खरिज कर दी, जिस पर सुकों की शरण ली गई है। सुकों ने मामले में नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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