नहीं किया नियमित तो चुनाव में करेंगे सरकार की खिलाफत सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

ग्वालियर : नहीं किया नियमित तो चुनाव में करेंगे सरकार की खिलाफत

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : नियमितीकरण की मांग को लेकर सक्रिय हुए अतिथि शिक्षक, अगर उनको उपचुनाव से पहले नियमित नहीं किया गया तो वह सरकार के खिलाफ चुनाव में प्रचार करेंगे।

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर के अतिथि शिक्षक सक्रिय हो चुके हैं। यह अतिथि शिक्षक विधानसभा उपचुनाव से पहले नियमितीकरण की मांग को पूरा कराना चाहते हैं। अतिथि शिक्षक सरकार के हर मंत्री व विधायक के पास जाकर ज्ञापन दे रहे हैं तथा स्पष्ट कर रहे हैं कि अगर उनको उपचुनाव से पहले नियमित नहीं किया गया तो वह सरकार के खिलाफ चुनाव में प्रचार करेंगे।

विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के लगभग 70 हजार अतिथि शिक्षकों ने तत्कालीन भाजपा सरकार से नियमितीकरण की मांग की थी। जिसमें उन्हें संविदा परीक्षा में 25 प्रतिशत कोटा आरक्षित करके संतोष करने के प्रयास किया गया था, लेकिन अतिथि शिक्षक इससे संतुष्ट नहीं हुए और वह सरकार से बराबर नियमितीकरण की मांग करते रहे। जब तत्कालीन भाजपा सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने विधानसभा चुनाव में सरकार की खिलाफत की और उनकी खिलाफत रंग ले आई तथा प्रदेश में सत्ता परिवर्तन में सहायक रही।

कांग्रेस सरकार ने भी अपने वचन पत्र में उनको नियमित करने की बात उल्लेखित की, लेकिन जैसे ही कांग्रेस सरकार सत्ता में काबिज हुई वह अतिथि शिक्षकों को दिए वचन को भूल गई। इसके बात फिर से अतिथि शिक्षकों ने आन्दोलन करना शुरू कर दिया, लेकिन तब तक प्रदेश में भाजपा सरकार पुन: वापस आ गई और अब उपचुनाव से पहले अतिथि शिक्षक फिर से सक्रिय हो गए हैं। अतिथियों ने सभी मंत्रियों व विधायकों से मिलकर न केवल संपर्क करना शुरू कर दिया है बल्कि उन्होंने उपचुनाव में सरकार की खिलाफत करने का भी निर्णय लिया है। इन अतिथि शिक्षकों की मांग है कि संविदा शिक्षक वर्ग-1 की काउंसलिंग प्रक्रिया को तुरंत न केवल रोका जाए बल्कि उसे निरस्त किया जाए और उनके नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाए, तभी वह उपचुनाव में सरकार का सहयोग करेंगे अन्यथा वह सड़कों पर उतरकर खिलाफत करेंगे।

कोई खेती कर रहा तो कोई मजदूरी :

अतिथि शिक्षक गरीबी में जीवन जी रहे हैं। अपने जीवन के अमूल्य वर्ष शिक्षा विभाग को देकर आज भी उनका भविष्य सुरक्षित नहीं हैं। आज भी प्रदेश के 70 हजार अतिथि शिक्षक अपने और अपने परिवार के जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सबसे बुरी हालत को ग्रामीण क्षेत्र के अतिथि शिक्षकों की है जो डिग्रियां लेने के बावजूद मजदूरी करने को मजबूर हैं।

आर-पार के मूड में अतिथि :

प्रदेश के अतिथि शिक्षक अब सरकार से आर-पार की लड़ाई लडऩे को मूड में आ गए हैं। इन अतिथियों को स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अगर इस उपचुनाव से पहले उनको नियमित नहीं किया गया तो उनका भविष्य हमेशा-हमेशा के लिए अंधकारमय हो जाएगा क्योंकि नियमित शिक्षकों की भर्ती के बाद अतिथि के पद भी खत्म हो जाएंगे और उन्हें बेरोजगार होकर जीवन काटना होगा।

उम्रदराज हो गए शिक्षक :

कई अतिथि शिक्षक तो पिछले 10 से 15 वर्षों से अपनी सेवाएं अतिथि के रुप में दे रहे हैं। यह शिक्षक इस लालच में लगे थे कि कभी न कभी सरकार उनकी सुनेगी और उन्हें नियमित करेगी जिससे उनका व उनके परिवार का भविष्य संवर जाएगा लेकिन सरकार के कड़े रुख को देखकर अब उन्हें अपने व अपने परिवार का भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है लिहाजा वह अब कोई कसर नहीं छोड़ऩा चाहते हैं।

इनका कहना :

हमारी दस दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी से मुलाकात हुई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि मंत्रिमण्डल के विस्तार के बाद हम अतिथियों के विषय में बहुत अच्छा निर्णय लेंगे। इसलिए अभी उनसे बात चल रही है। अगर अतिथियों को नियमित करने की घोषणा सरकार ने नहीं की तो हम लोग 15 दिन के बाद भोपाल में सरकार के खिलाफ आन्दोलन शुरू कर देंगे।
शंभूचरण दुबे, प्रदेश अध्यक्ष, अतिथि शिक्षक संघ, मप्र

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