ग्वालियर। स्टेट समय में मुरार नदी का स्वरूप जो था वह अब काफी बिगड़ चुका है ओर अगर उसमें सुधार होता है तो मुरार क्षेत्र में जल स्तर में काफी उछाल आ सकता है जिससे पानी की समस्या कुछ हद तक समाप्त हो सकेगी, लेकिन नदी सुधार प्रोजेक्ट पर काम करने से पहले नदी के आसपास किए गए अतिक्रमणो को हटाने की चुनौती प्रशासन के सामने रहेगी। वैसे मुरार नदी के सुधार के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत प्रथम चरण में करीब 39 करोड़ की राशि स्वीकृत हो चुकी है। इस नदीं किनारे सड़क निकलने से भी यातायात का बोझ मुख्य सड़को का कुछ कम हो सकेगा।
मुरार नदी स्टेट समय में एक तरह से जल स्तर का मुख्य स्तोत्र हुआ करती थी, क्योंकि नदी में पानी होने से आसपास के इलाको में पानी की स्तर ऊपर रहता था जिससे हेडपंप से लेकर बोर मेे पानी पर्याप्त मात्रा में कम गहराई पर ही उपलब्ध हो जाता था, लेकिन समय बीतने के साथ ही मुरार नदी अपना अस्तित्व बचाने के लिए ही संघर्ष करने लगी थी ओर उस तरफ किसी ने ध्यान भी नहीं दिया जिसके कारण नदी किनारे अतिक्रमण हो गए ओर मकान तक बन गए। अतिक्रमण होने से नदी का बहाव क्षेत्र काफी सिकुड़ गया था जिससे नदी पूरी तरह से अस्तितवहीन हो गई थी, लेकिन कुछ समय से उक्त नदी को पुन: स्टेट समय के हिसाब से विकसित करने के लिए मप्र बीज निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल ने संघर्ष किया ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष जब हकीकत का रखा तो उस तरफ शासन ने ध्यान देना शुरू किया।
मुन्नालाल गोयल के संघर्ष का ही नतीजा है कि मुरार नदी को नमामि गंगे प्रोजेक्ट मेंं शामिल किया गया ओर उसके विकास के लिए प्रथम चरण में 39 करोड़ की राशि भी स्वीकृत हो चुकी है। अब काम करने से पहले नदी के आसपास अतिक्रमण हटाना प्रशासन के सामने मुख्य चुनौती है, क्योंकि जब भी अतिक्रमण हटाने की तैयारी होती है तो उसमें व्यवधान आ जाता है ओर यह व्यवधान कोई ओर नही बल्कि पहुंच वाले लोग ही कराने में आगे रहते आ रहे है।
नदीपार टाल से जडेरुआ डैम तक नदी किनारे अतिक्रमण
मुरार नदी का वास्तिवक अगर लौटाया जाएं तो काफी संख्या में मकान हटाने पड़ेेगे जो अतिक्रमण कर बनाएं गए है। वर्तमान में हालात यह है कि हुरावली पुल से शहीद गेट पुल, नदी पार टाल पुल, काल्पी ब्रिज पुल होते हुए जडेरुआ डैम तक नदी किनारे की शासकीय भूमियो को पूर्ण रुप से अतिक्रमण कर लिया गया है। इसके चलते नदी का बहाव क्षेत्र(कैचमेंट एरिया) सिकुड़ गया है। इसते साथ ही हालात यह है कि पुलो के नीचे पानी के निकास के मोहरो को अतिक्रमण कर बंद कर दिया गया है, जबकि नदी पुल के नीचे वाले पानी निकासी के मोहरे नदी बहाव की लाइफ लाईन होते है, लेकिन इन मोहरो को अतिक्रमणकारियों ने बंद कर पानी का निकास अवरुद्व कर दिया है। इसके पीछे कारण यह है कि इससे अतिक्रमण कर जो मकान बनाए गए है वहां तक बारिश में पानी न पहुंच सके। अब इस स्थिति को प्रशासन देख रहा है, लेकिन कार्यवाही करने से बच रहा है जिसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे है।
नमामि गंगे मिशन में गंदगी मुक्त करना मुख्य उद्देश्य
नमामि गंगे के तहत अगर मुरार नदी पर काम शुरू किया जाता है तो उससे नदी के पानी को गंदगी मुक्त किया जाएगा ओर नदी किनारे सुंदरता का भी दृश्य देखने को मिल सकेगा। अभी हालात यह है कि मुरार नदी में नालो एवं सीवर का गंदा पानी पहुंच रहा है इसे रोकना पहली प्राथमिकता होना चाहिए तभी नमामि गंगे का मिशन सफल हो सकेगा। वर्तमान में मुरार नदी में करीब 33 स्थानो पर नालो, सीवर का गंदा पानी पहुंच रहा है। अब उसे कब ओर किस तरह से रोका जाता है यह सवाल बड़ा है। जडेरुआ डैम स्टेट टाइम का पुराना बॉध है जहां रमौआ डैम से मुरार नदी होते हुए पानी पहुंचता था, लेकिन इस डैम के कैचमेंट क्षेत्र एवं शासकीय भूमि पर लगातार अतिक्रमण होता जा रहा है। जिससे कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट पूर्ण होने में दिक्क ते काफी है।
सुधार होता है तो पानी की समस्या होगी दूर
मुरार नदी के स्वरूप को अगर हकीकत में एक मिशन के तहत सुधारा जाता है तो उससे एक क्षेत्र की पानी समस्या का समाधान कुछ हद तक दूर हो सकेगी। क्योंकि उक्त नदी के सहारे ही रमौआ डैम से मुरार नदी में पानी छोड़ा जाता था ओर वह पानी जडुरूआ डेम में पहुंचता था, लेकिन कैचमेंट एरिया व नदी किनारे किए गए अतिक्रमण ने पानी के बहाव को ही रोक दिया है जिसके कारण जडेरूआ डेम सूखा रहता है जिससे डीडी नगर इलाके में जल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है अगर जडेरूआ डैम पानी से लबालब रहने लगे तो उक्त इलाके में जलस्तर ऊपर आ सकेगा जिससे पानी की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन इस दिशा में प्रशासन क्या कदम उठाता है उसको लेकर फिलहाल मंथन चल रहा है, क्योंकि पहली दिक्कत अतिक्रमण को हटाने की सामने चुनौती बनकर आ रही है।
इनका कहना है
मुरार नदी के स्टेट समय के स्वरूप को पुन: वापिस लाने के लिए मैं संघर्ष कर रहा हूं ओर इस संघर्ष मेें मुझे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ मिला जिसके कारण मुरार नदी के स्वरूप को सुदारने के लिए उसे नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया गया है। इसके लिए 39 करोड़ की राशि प्रथम चरण में स्वीकृत भी हो चुकी है, लेकिन अब समस्या अतिक्रमण हटाने की आ रही है। अब यह काम प्रशासन को करना चाहिए। मैरे मुख्य उद्देश्य यह है मुरार नदी में स्वच्छ पानी रहे ओर उससे आगे के डैम तक पानी पहुंच सके जिससे जलस्तर मेें सुधार हो जाएं तो पानी का संकट कुछ हद तक दूर हो सकता है।
मुन्नालाल गोयल, मप्र बीज विकास निगम अध्यक्ष
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