मैं शिकवे और शिकायतों के साथ नहीं नई उम्मीदों के साथ विदा हो रहा हूं Social Media
मध्य प्रदेश

मैं शिकवे और शिकायतों के साथ नहीं नई उम्मीदों के साथ विदा हो रहा हूं

नमस्ते! आपने मुझे पहचाना, अरे मैं वही वर्ष 2021 हूं। हां अभी तो मैं 1 दिन हूं फिर अलविदा! विदा होने पहले मैं कोई शिकवे और गिले नहीं कर रहा। मैं बस आपको नई उम्मीदों के साल 2022 की मुबारकबाद दे रहा हूं।

Author : Shahid Kamil

नमस्ते! आपने मुझे पहचाना, अरे मैं वही वर्ष 2021 हूं। हां अभी तो मैं 1 दिन हूं ..फिर अलविदा! विदा होने पहले मैं कोई शिकवे और गिले नहीं कर रहा। मैं बस आपको नई उम्मीदों के साल 2022 की मुबारकबाद दे रहा हूं। मेरी शुरुआत जनवरी से होती है, इस बार की जनवरी तो आपको पता ही है कि राजधानी में गुलाबी ठंड के साथ बहुत गर्म गुजरी थी। मैं नहीं भूला आपको भी शायद याद होगा शहर में कोई संप्रदायिक दंगा भी नहीं हुआ था, कोई मामले को लेकर किसी तरह के तनाव का माहौल भी नहीं था लेकिन अचानक 17 जनवरी को पुराना शहर जाम कर दिया गया और कर्फ्यू लगा दिया गया। पुराने शहर में जमीन के एक टुकड़े पर कब्जा दिलाने के लिए। खैर वह तो सरकारी आदेश था और मानना तो जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है। लेकिन यह शायद पहला मौका था, जब बिना किसी बड़ी वजह के पहली बार मैने शहर में कर्फ्यू लगते देखा। खैर छोड़िए ऐसी घटनाएं तो कम होती हैं लेकिन याद हमेशा-हमेशा रहती हैं।

जी मैं समझ गया आप कुछ और कहना चाह रहे हैं मैं बताता हूं। रकीब, संजय, सलीम की शादियों में सारे रिश्तेदार नहीं आ सके। सही है ना कोविड-19 के चलते। 50 से 200 लोगों में शादी करनी थी, ऐसे में कई रिश्तेदार नाराज हो गए। खैर कोई बात नहीं अगली शादियों में उनको बुला लेंगे। फिलहाल तो महामारी का मामला है तो इसके बचाव के लिए हमको कोविड-19 की गाइडलाइन का तो पालन करना ही पड़ेगा। अरे हां मैं आपको यह और याद दिला दूं कि मेरे इस साल में बच्चों को स्कूल से पूरी तरह से छुट्टी मिल गई थी। हालांकि वह छुट्टी को लेकर खुश नहीं थे, क्योंकि उनको दीपावली और गर्मियों की छुट्टी की आदत थी। लेकिन करोना महामारी के चलते स्कूलों की उपस्थिति तो कम रही लेकिन इस स्कूल और कॉलेज खुले भी तो कम। इसमें अब मेरा क्या कसूर है।

अब जाते-जाते में यह जरूर बता रहा हूं कि हो सकता है कि 2022 में साल भर एजुकेशन कैलेंडर अपने समय के मुताबिक चले। मुझे इस बात का भी बेहद अफसोस है कि इस साल शहर से कई नामी-गिरामी हस्तियां जिनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता भगवत शरण माथुर और तब्लीगी जमात के उलेमा मिस्बाह साहब समेत कई खास लोग फानी दुनिया से अलविदा हो गई। उनकी जगह की तो भरपाई नहीं हो पाएगी लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे बीच में रहेंगी। अब लो मेरे ऊपर यह ठप्पा भी लगा दिया कि नगर निगम के चुनाव तो हुए नहीं थे और पंचायत के चुनाव जो होने की घोषणा हुई थी वह भी करोना महामारी के चलते खत्म हो गई। तीसरे लहर की आहट ने मेरे ऊपर यह तो मत भी लगवा दी। फिर मुझे उम्मीद है कि आप आनेवाले साल का अच्छे से स्वागत करेंगे। नए साल उम्मीदों से भरा होगा छोड़िए गिले-शिकवों को, मुझे तो इस बात का भी अफसोस है कि इस साल आप मेरी विदाई भी अच्छे से नहीं करेंगे। होटलों में ना तो कोई फंक्शन होंगे ना ही नए साल का स्वागत होगा अलविदा कहने के लिए भी आप कहीं जमा नहीं होंगे फिर भी जाने दीजिए यह महामारी का दौर है और इस दौर में आपका सुरक्षित रहना बेहद जरूरी है।

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