भोपाल, मध्यप्रदेश। अपने कौशल और क्षमताओं से परंपरागत कारीगरों के उत्पाद की लागत को कम करने और इन उत्पादों का राष्ट्रीय स्तर पर एक डाटाबेस तैयार करें, जिससे हमारी विरासत एक बार फिर समृद्ध हो यह बात विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने वैज्ञानिकों का आव्हान करते हुए कही। श्री सखलेचा रविवार को 8वें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के दूसरे दिन मैनिट में आर्टिजन टेक्नोलॉजी के वोकल फार लोकल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सीएसआईआईआर की महानिदेशक डॉ. एन क्लाइसेल्वी सहित अनेक वैज्ञानिक और देशभर से अपने उत्पाद और नवाचार लेकर आए कलाकर शामिल थे। मंत्री श्री सखलेचा ने मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, क्लास्टर आधारित इकाइयों आदि को चर्चा करते हुए कहा कि सरकारी सपोर्ट के साथ वैज्ञानिकों का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने विभिन्न स्टाल का भ्रमण भी किया और उत्पादों तथा नवचारों से अवगत हुए।
इस मौके पर मंत्री सखलेचा ने कहा कि आज देश आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है और प्रधानमंत्री श्री मोदी इन कारीगरों के सपोर्ट में खड़े हैं। उन्होंने कहा कि कोविड काल में और बाद में हमने और पूरी दुनिया ने भारत के वैज्ञानिकों की क्षमता देखी है। उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन कारीगरों के उत्पादों को तकनीक और प्रौद्योगिकी से हमें सहयोग करना होगा। उन्होंने देश के अनेक उत्पादों जैसे खिलौने आदि के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को साझा किया। उन्होंने विज्ञान महोत्सव के शुभारंभ से ही मैं इसका हिस्सा हूं।
मध्यप्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा सूक्ष्म, लघु एवं उद्यमी मंत्री ने कारीगरों से जुड़ी विभिन्न विधाओं में विज्ञान को जोड़कर अपनी वैज्ञानिक रूचि का परिचय दिया है। सच पूछा जाए तो विज्ञान उत्सव कारीगरों और शिल्पियों के लिए एक प्रेरक आयोजन है। विज्ञान उत्सव में सीएसआईआर के साथ प्रयोगशालाओं के निदेशक भी आए। विश्वविद्यालयों के शिक्षक भी आए हैं। हमारे बीच केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री आ चुके हैं। इसे केंद्र राज्य सम्मेलन कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस उत्सव के माध्यम से विभिन्न विधाओं के कारीगरों और शिल्पियों की जरूरतों को समझने के साथ ही समस्याओं के समाधान में वैज्ञानिक जानकारियों और सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कारीगर बिरादरी प्राकृतिक रंगों और वेस्ट मटेरियल का उपयोग करें। इससे न केवल वेस्ट का सदुपयोग होगा बल्कि पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा। डॉ. कलैसेल्वी ने कहा कि उन्हें यहां प्रदर्शनी में लगाए गए स्टॉलों पर युवाओं को देखकर अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि कारीगरों और शिल्पियों के कार्यों को समुचित महत्व देते हुए उसके वैज्ञानिक सत्यापन यानि साइंटिफिक वेलीडेशन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। कॉन्फ्रेंस को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।
आर्टिजन एक्स्पो में दिखी कला की बारीकियां :
विज्ञान प्रदर्शनी में पहली बार आर्टिजन एक्स्पो लगाया गया। इस एक्स्पो में देश के विभिन्न राज्यों से आए पारंपरिक कलाकार अपनी स्थानीय कला की बारीकियों को प्रदर्शित कर रहे हैं। इसमें हैंडीक्रफ्ट आइटम्स की बारीकियों से लेकर साड़ियों के निर्माण की कहानी को यह आर्टिजन उत्सव में आने वाले लोगों के साथ साझा कर रहे हैं। इसके अलावा कलाकारों ने मिट्टी, रस्सी आदि से तैयार किए जाने वाले डिफरेंट प्रोडक्ट प्रदर्शित किए हैं। मधुबनी बिहार से आए शिवम पासवान ने बिहार की पारंपरिक कला मधुबनी की कला पर लोगों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि उन्होंने सिल्क साड़ी, दुपट्टे, वॉल हेंगिंग, सूट पर मधुबनी आर्ट को तैयार किया है।
शिक्षा में प्रदेश की प्रगति को किया प्रदर्शित :
प्रदेश के विभागों द्वारा लगाई विशेष प्रदर्शनी में शिक्षा के क्षेत्र की प्रगति को दिखाती एग्जीबिशन भी खास आकर्षण का केंद्र बनी। जनजातीय कार्य विभाग द्वारा सीएम राइज स्कूल योजना को शामिल किया गया है। इसमें प्रदेश के जनजातीय जिलों में निर्मित होने वाले विभागीय 95 सीएम राइज स्कूल के चुनिंदा कॉन्सेप्ट प्लान, बिल्डिंग का एरियर व्यू, प्री नर्सरी व सीनियर क्लासरूम और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स की पैनल प्रदर्शनी लगाई गई है।
आईआईएसएफ 2022 में आज के प्रमुख कार्यक्रम :
गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड सुबह 9 बजे से मेन हेंगर एरिया मैनिट में। साइंस लिटरेचर फेस्टीवल में सुबह 11.30 पर विज्ञान लेखक से मिलिए में सर्न, जिनेवा की वैज्ञानिक डॉ. अर्चना शर्मा और डॉ. स्वाति तिवारी का व्याख्यान। विज्ञान कवि सम्मेलन सुबह 11.45 पर। न्यू एज टेक्नोलॉजी विजन फॉर इंडियन इकोनॉमी इन नेक्स्ट 25 इयर्स, टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव पर व्याख्यान समय सुबह 11.15 बजे से।
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