हरदा, मध्यप्रदेश। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत जो निशुल्क अनाज दिया जा रहा है वो हितग्राहियों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। कोरोना के बाद वर्तमान परिस्थिति में बढ़ती हुई महंगाई ने जहाँ आम आदमी की कमर तोड़ दी है, वहीं गरीब और मजदूरो के रोजगार के साधन ठप पड़े हों और उनके सामने दो जून की रोजी रोटी का संकट खड़ा हो उस परिस्थिति में प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री अन्न योजना गरीब एवं मजदूरों के लिए एक छलावा साबित हो रही है अगर आइडियल सिचुएशन की बात की जाए तो राशन किट में कम से कम चावल, आटा, दाल, नमक और तेल होना चाहिए। ताकि लोग दाल-रोटी और दाल चावल खाकर पेट भर सकें।
दाल-नमक और तेल को महत्व ही नहीं दिया :
सरकार की योजना में दाल नमक और तेल को महत्व ही नहीं दिया गया जबकि दाल नमक तेल देने का वादा किया गया था। गरीबों को राशन देने के नाम पर आयोजित इस मेगा इवेंट को जिला कांग्रेस प्रवक्ता आकाश चंद्रवंशी ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। एक तरफ मुख्यमंत्री जी प्रदेश की माली हालत कोरोना में खराब होने का हवाला देते हैं तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश खाद्य विभाग प्रिंसिपल सेक्रेटरी फैज अहमद किदवई का वो बयान जिसमे अन्न उत्सव के आयोजन के लिए साजो-सज्जा व अन्य व्यवस्था राज्यभर के 25 हजार 435 पीडीएस दुकानों को सरकार की और से 2000 रुपए दिए गए हैं। प्रति दुकान 2000 रुपए के हिसाब से जोड़ा जाए तो कुल 5 करोड़ 8 लाख 70 हजार रुपए खर्च हुए।
कोई हिसाब नहीं मिल पाया है :
ये रकम तो केवल पीडीएस दुकानों पर खर्च किए गए हैं। अखबारों के विज्ञापन होर्डिंग पोस्टर्स और पीएम की तस्वीर लगी थैलों के खर्चे का कोई हिसाब नहीं मिल पाया है। पीएम एसीएम प्रदेश के गरीबों की भूख का मजाक बना रहे हैं। भूख से मर रहे लोगों को पांच किलो अनाज बांटकर वे इतने बड़े स्तर पर प्रचार कर रहे हैं, जबकि इससे ज्यादा राहत सामग्री का वितरण तो यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता अपनी जेब से जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं। जिला कांग्रेस प्रवक्ता आकाश चंद्रवंशी ने सरकार से मांग की है कि कोरोना में हताहत हुए गरीब एवं मजदूर परिवारों को कम से कम 25 किलो गेहूं 5 किलो चावल 5 किलो शक्कर 5 किलो मीठा तेल नमक एवं मिट्टी के तेल के साथ 6000 रुपये की आर्थिक सहायता अविलंब प्रदान किया जाना चाहिए!
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