एडीबी के बाद अमृत योजना भी चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट Raj Express
मध्य प्रदेश

Gwalior : एडीबी में जहां डली थी पानी की लाईनें, अमृत योजना में भी वहां डाल दी

भ्रष्टाचार के आरोप के चलते एडीबी की तर्ज पर कटघरे में अमृत योजना। अमृत योजना को फैल घोषित कर चुकी है महापौर। एडीबी में पदस्थ रहे कई अधिकारियों ने चखा अमृत का स्वाद।

राज एक्सप्रेस

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। प्रोजेक्ट उदय उर्फ एडीबी के बाद अमृत योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। 110 करोड़ की एडीबी योजना में 300 किलोमीटर पानी की लाईनें डाली गई थी। इस प्रोजेक्ट को 2030 तक के लिए पर्याप्त बताया गया था, लेकिन कई जगहों पर डाली गई पानी की लाईनों के मिलान तक नहीं किए गए है। इन जगहों पर अमृत योजना में भी लाईनें डाली गई हैं। अमृत योजना को महापौर डॉ. शोभा सतीश सिकरवार ने फैल साबित कर दिया है, इसके बाद से कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

नगर निगम में पदस्थ अधिकारी बड़ी योजनाओं का बंटाधार करने में पीएचडी कर चुके हैं। 2007 में 110 करोड़ रुपये की लागत से प्रोजेक्ट उद्य उर्फ एडीबी में जमकर भ्रष्टाचार हुआ था। इस योजना में 300 किलोमीटर पानी की लाईनें डाली जानी थी। इसके अलावा तिघरा बांध के पास वाटर फिल्टर प्लांट, रॉ वाटर पपिंग स्टेशन, 15 पानी की टंकिया एवं शहर में स्ट्रॉम वाटर निकासी के लिए नाले भी बनाए गए। इस योजना में उपनगर ग्वालियर सहित कई स्थानों पर पानी की लाईनें डाली गई। प्रोजेक्ट के अनुसार प्रोजेक्ट उद्य में अमृत की तरह बिना टिल्लू पंप के द्वारा पानी घरों तक पहुंचना था, लेकिन यह ख्वाब बनकर रह गया। कई किलोमीटर की लाईनों का मिलान तक नहीं किया गया, जिससे लाखों लोग परेशान रहे। शिकायतें अधिक होने पर पानी की टंकियों के कनेक्शन भी अधिकारियों ने ठेकेदार से नहीं कराए। इसका उदाहरण जोन क्रमांक 5 के सामने बनी पानी की टंकी है। इस टंकी के कनेक्शन करने सहित अन्य सभी कार्य बाद में कराए गए हैं। इसके अलावा कांच मिल रोड, रोशन मिल, प्रगति नगर सहित कई मौहल्लों में एडीबी के तहत पानी की लाइन डली थी, जिनका मिलान नहीं हो सका। यह लाइन लगभग 22 किलोमीटर की थी। इसी प्रकार सिटी सेंटर क्षेत्र के अनुपम नगर एक्सटेंशन सहित आसपास के एरिए में भी पानी की लाईनें डाली गई थी लेकिन लोगों को पानी नहीं मिल रहा था। अमृत योजना के दौरान पुरानी लाईनें जोड़कर एवं कुछ स्थानों पर नई डालकर लोगों को पानी मुहैया कराया गया। कई जगह लाईनें टूट रही हैं और इसी मामले को लेकर महापौर डॉ. शोभा सतीश सिकरवार ने मीडिया के समक्ष बयान दिया कि अमृत योजना फैल हो गई है। लाईनें फूट रही है और संधारण कार्य भी समय पर नहीं होता। इस बयान के बाद एडीबी की यादें ताजा हो गई। 110 करोड़ के प्रोजेक्ट उदय के बाद 733 करोड़ की अमृत योजना को लेकर जनप्रतिनिधियों के आरोप निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

प्रोजेक्ट उदय के ठेकेदारों ने किया अमृत का काम :

एडीबी प्रोजेक्ट में ठेकेदार ध्रुव अग्रवाल एवं आरडी अग्रवाल ने काम किया था। इन्हीं ठेकेदारों ने अमृत के पेयजल प्रोजेक्ट में विष्णु प्रकाश पुंगलिया के साथ मिलकर काम किया है। जो गलतियां एडीबी में की गई थी वहीं अमृत में भी दोहराई गई हैं। नियमानुसार अमृत योजना के ठेकेदार को स्वयं काम करना था और अपनी लेबर एवं मशीनें भी लानी थी। आवश्यकता पड़ने पर अगर किसी अन्य ठेकेदार को सहयोग लेना था तो संबंधित ठेकेदार को उतना ही काम दिया जाना था, जितने के प्रोजेक्ट संबंधित ठेकेदार पहले ले चुका हो। लेकिन अमृत योजना के ठेकेदार ने बिना कोई दस्तावेज देखे अमृत योजना में डली पानी की लाईनें एवं टंकी बनाने सहित अन्य कार्य भी इन ठेकेदारों से कराए हैं।

इनका कहना है :

अमृत योजना के तहत बनी पानी की टंकियों से सप्लाई शुरू हो चुकी है। वाटर ट्रिटमेंट प्लांट भी काम कर रहा है। पानी की लाईनें भी 800 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में डाली गई है और सभी लाईनें चालू हैं। सप्लाई के दौरान अधिक प्रेशर होने पर लाईनें लीकेज हो जाती हैं, जिन्हें समय पर ठीक भी कराया जा रहा है।
जागेश श्रीवास्तव, नोडल अधिकारी, अमृत योजना, नगर निगम
एडीबी या प्रोजेक्ट उदय में कहां कहां लाईनें डाली गई थी इसकी हमें कोई जानकारी नहीं दी गई। हमारे पास कोई नक्शा भी नहीं है। निगम अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियोंं ने जहां आवश्यकता बताई वहां हमने पानी की लाईनें डाली हैं।
अर्जुन सिंह चौहान, रेसीडेंस इंजीनियर, पीडीएमसी, अमृत योजना

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