विशेष क्षेत्र प्राधिकरण साडा ग्वालियर RE-Gwalior
मध्य प्रदेश

Gwalior News : तीन दशक बीते, करोड़ों हुए खर्च पर नहीं बसा नया शहर- फंस गई लोगों की जमापूंजी

साडा क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनी थी ओर शुरूआती समय में लोगों ने नए शहर की आशा में प्लॉट खरीदे थे, लेकिन नया शहर सिर्फ सपना बनकर रह गया है।

Pradeep Tomar

ग्वालियर। शहर की आबादी को देखते हुए नया शहर बसाने की योजना बनाई गई थी ओर इसके तहत वर्ष 1992 में विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) का गठन किया गया था। इस इलाके में शुरूआती समय लोगों ने प्लॉट भी खरीदे थे ओर उनको आशा थी कि नया शहर बसने के बाद वह अपना आशियाना वहां बना लेगें, लेकिन 32 साल होने के बाद भी वहां जो स्थिति पहले थी वह अब भी हो ओर ऐसे में जिन लोगो ने प्लॉट खरीदे थे वह अब पछता रहे है, क्योंकि तीन दशको से उनका पैसा जो फंसा हुआ है।

जब साडा क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनी थी ओर शुरूआती समय में लोगो ने नए शहर की आशा में प्लॉट खरीदे थे, लेकिन समय की धारा के साथ नया शहर सिर्फ सपना बनकर रह गया है, क्योंकि 32 साल होने के बाद भी उस स्थान पर अभी तक कोई रहवासी बसने के लिए नहीं पहुंचा है, जबकि साडा के अधिकारियो ने कुछ साल पहले एक आदेश जारी किया था कि जिनके प्लॉट है वह अपना मकान बनाना शुरू कर दे नहीं तो पैनल्टी वसूली की कार्यवाही की जाएगी, लेकिन उस आदेश का यह कहते हुुए विरोध हुआ था कि जिस स्थान पर परिवहन से लेकर सुरक्षा तक की कोई व्यवस्था नहीं है तो ऐसे में लोग असुरक्षित होने के लिए क्यों अपने मकान बनाएंगे? परिवहन सेवा के लिए भी व्यवस्था करने के प्रयास किए गए, लेकिन वह सफल नहीं हो सके, क्योंकि परिवहन सेवा उसी समय शुरू होती है जब उस सेवा का लाभ लेने के लिए लोग उपलब्ध हो, लेकिन जब वहां कोई रहवासी ही नहीं है तो फिर आवागमन के लिए परिवहन सेवा का कोई औचित्य नहीं है।

सरकारी दफ्तरो को जगह दी पर नहीं हुआ प्रयोग सफल

साडा क्षेत्र को विकसित करने के  लिए कई प्रयास किए गए थे, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। सरकारी दफ्तरो के लिए जगह दी गई साथ ही उन दफ्तरो में काम करने वाले कर्मचारियो के लिए भी एलआईजी व एमआईजी क्वाटर बनाएं गए थे, लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हो सका, क्योंकि न सरकारी दफ्तर वहां पहुंचे ओर न ही कर्मचारी, क्योंकि कर्मचारी तो दफ्तर खुलने पर ही पहुंचते। आबकारी विभाग क ो भी वहां जगह दी गई थी, लेकिन उसने में भी अपना कार्यालय संभागीय कार्यालय भवन में ही बना लिया है, क्योंकि अधिकांश कर्मचारी व अधिकारी साडा क्षेत्र में जाने से एक तरह से इंकार कर चुके है। स्कूल खोलने की योजना भी थी ओर उसके लिए जगह भी दी गई, लेकिन इतनी दूर एकांत में अभिभावक अपने बच्चो को भेजने जब तैयार ही नहीं होंगे तो फिर स्कूल कैसे खुल सकेगा? ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब फिलहाल नहीं है, क्योंकि जब तक सुरक्षा की भावना लोगों के अंदर नही आएंगी तब तक नया शहर बनना सिर्फ सपना ही बना रहेगा।

सड़क व बिजली पर खर्च किए जा चुके करीब 200 करोड़

विशेष क्षेत्र प्राधिकरण(साडा) में विकास के लिए कई करोड़ के काम भी कराएं गए जिसके तहत करीब 200 करोड़ की राशि भी खर्च की जा चुकी है। इस राशि से सड़के, बिजली के पोल, ट्रांसफार्मर, सब स्टेशन, पानी की लाइन के साथ ही वाटर फिल्टर प्लॉट भी बनाया गया था। इसके साथ ही सौजना हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 45 करोड़ की लागत से एमआईजी व एलआईजी भवन बनाएं गए थे, लेकिन जितनी राशि खर्च की गई वह बिना रहवासी के बेकार साबित हुई। एक स्कूल के लिए रियान इन्टनेशनल कंपनी को 100 एकड़ जमीन भी दी गई थी, लेकिन स्कूल नहीं खुल सका।

इनका कहना है

साडा क्षेत्र में नया शहर आबाद करने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन जब तक लोग वहां पहुंचने के लिए तैयार नहीं होगें कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकता। हमने लोगों से भी बात की ओर उनसे अपने मकान बनवाने के लिए भी प्रेरित किया, लेकिन सफल नहीं हो सके। बैसिक चीज यह है कि आजजन में सुरक्षा की भावना आना जरूरी है ओर इसके लिए सरकारी दफ्तर व स्कूल कॉलेज खुल जाते तो काफी कुछ आबादी बस जाती, लेकिन सरकारी दफ्तरो को जमीन तो दी पर कार्यालय ही नहीं बने। हमने क्षेत्र में काफी विकास कार्य कराएं थे।

जय सिंह कुशवाह, पूर्व साडा अध्यक्ष 

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