ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कांग्रेस में अब महापौर प्रत्याशी के चयन को लेकर आपस में ही विवाद सामने आने लगा है। रविवार को कांग्रेस के नगरीय निकाय चुनाव के प्रभारी मुकेश नायक के सामने ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा व विधायक सतीश सिकरवार के बीच जमकर मुंहवाद हुआ। इसके पीछे कारण यह है कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष चाहते हैं कि महापौर के लिए उनकी पत्नी रीमा शर्मा को मिले जबकि अधिकांश कांग्रेसी चाहते हैं कि विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार का नाम तय किया जाए। बैठक में जब सतीश सिकरवार की पत्नी का नाम महापौर पद के लिए सामने आया तो शहर कांग्रेस अध्यक्ष विफर गए ओर बैठक छोड़कर बाहर निकल गए बाद में कुछ कांग्रेसी उनको मनाकर वापिस लेकर आएं।
कांग्रेस के नगरीय निकाय चुनाव के प्रभारी मुकेश नायक शनिवार शाम को ग्वालियर आ गए थे और उनका काम सिर्फ महापौर पद के लिए सर्वसम्मति से एक नाम तय कर भोपाल कांग्रेस कार्यालय भेजना था। सूत्र का कहना है कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा अपने पत्नी का महापौर का टिकट दिलाना चाहते है इसलिए शनिवार रात को वह मुकेश नायक के पास मिलने के लिए पहुंचे ओर उनके सामने यह बात कही कि अगर उनकी पत्नी का टिकट नहीं मिलेगा तो वह कांग्रेस छोड़ देगें। इस तरह शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने एक तरह से ब्लेकमेलिंग करने का काम शुरू कर दिया। रविवार को जब कांग्रेस कार्यालय पर बैठक शुरू हुई ओर उसमें जैसे ही सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार का नाम महापौर पद के लिए सामने आया तो शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा बिफर गए और कहने लगे कि बाहर से आने वाले को तत्काल टिकट नहीं देना चाहिए इसको लेकर सतीश व देवेन्द्र के बीच जमकर मुंहवाद हो गया। सतीश सिकरवार ने धैर्य दिखाया लेकिन शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा प्रभारी के सामने ही अपना नाटक दिखाकर बाहर निकल गए। इसके बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बाहर आकर देवेन्द्र शर्मा को मनाया तब जाकर वह वापिस बैठक में पहुंचे, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि कांग्रेस में महापौर पद के लिए कोई थोपा हुआ नाम उन्हें मंजूर नहीं होगा।
बैठक में नगरी निकाय चुनाव के प्रभारी मुकेश नायक, कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार विधायक प्रवीण पाठक पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अशोक सिंह, रश्मि पवार शर्मा, कांग्रेस के महासचिव सुनील शर्मा, सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मौजूद थे, हालांकि कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार और जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा के बीच महापौर टिकट को लेकर हुई गहमागहमी की खबरों को कांग्रेस ने सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन कांग्रेस के जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा के तल्ख तेवरों से साफ जाहिर है कि उन्होंने कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिंह सिकरवार को टिकट दिए जाने के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस के नगरी निकाय चुनाव के प्रभारी मुकेश नायक ने कहा कि महापौर पद के दावेदारों के नामों पर चर्चा की जा रही है सर्वसम्मति से जो एक नाम फाइनल होगा उसे पीसीसी चीफ के समक्ष रखा जाएगा और किसी एक नाम पर सहमति बनने के बाद 9 जून को महापौर पद के प्रत्याशी की घोषणा कर दी जाएगी। इसी प्रकार पार्षद पद के लिए पर्यवेक्षकों की टीम भेज कर दावेदारों की मजबूती को परखा जाएगा जो कैंडिडेट सबसे मजबूत और जिताऊ स्थिति में होगा उसी को पार्षद पद का टिकट दिया जाएगा। इसके लिए सभी 66 वार्डों में पर्यवेक्षकों का दल भेजा जा रहा है हालांकि उन्होंने कांग्रेस जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा की नाराजगी की खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस के अंदर लोकतंत्र है ओर सभी को अपनी बात कहने का हक है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी के नाम पर मोहर लगी है उन्होंने कहा अभी किसी नाम पर कोई सहमति नहीं बन पाई है लेकिन जल्द ही एक नाम पर सहमति बनाकर पीसीसी चीफ को अवगत करा दिया जाएगा। इस मामले में जब कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार से पूछा गया कि क्या उनकी धर्मपत्नी के नाम पर कांग्रेस जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने विरोध जताया है, तो उन्होंने कहा इस तरह की कोई बात नहीं है कांग्रेस जिसका भी नाम तय करेगी उसके लिए सभी कार्यकर्ता एकजुटता के साथ जिताने के लिए कार्य करेंगे।
पहले से लगते रहे हैं आरोप :
शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा की कार्यप्रणाली को लेकर कांग्रेसी पहले से ही शिकायतें पीसीसी चीफ के सामने करते रहे हैं। शिकायत करने वाले कांग्रेसियो का कहना था कि देवेन्द्र शर्मा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए सिंधिया के हिसाब से काम कर रहे है ओर वह कांग्रेस की हर गतिविधि से सिंधिया को अवगत कराते रहे हैं। यह आरोप रविवार को कांग्रेस कार्यालय पर हुए घटनाक्रम से स्पष्ट होता है।
जब कांग्रेस अध्यक्ष ही बिफरेंगे तो पार्टी क्या चलाएंगे :
रविवार को महापौर पद के प्रत्याशी के नाम को लेकर विवाद हुआ तो उसको लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओ का कहना था कि जब कांग्रेस का शहर अध्यक्ष ही इस तरह की हरकत करेगा तो फिर वह पार्टी को मजबूत कैसे कर सकते है। अगर उनको अपनी पत्नी के लिए महापौर का टिकट चाहिए था तो उसके लिए वह पीसीसी चीफ कमलनाथ से भोपाल में चर्चा कर सकते थे, लेकिन प्रभारी के सामने जब बैठक हो रही है उसमें दूसरे का नाम आने पर पार्टी छोड़ने की धमकी देने से यह स्पष्ट हो गया है कि वह कांग्रेस को ब्लेकमेल करने का काम कर तो कर ही रहे हैं साथ ही कांग्रेस को भी कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा ने ली चुटकी :
कांग्रेस के भीतर टिकट को लेकर मचे आपसी घमासान पर भाजपा चटखारे ले रही है। भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी ने कहा कि कांग्रेस का कल्चर यही है। कांग्रेस में आपसी गुटबाजी चरम पर है। उनका कहना है कि अभी तो यह शुरुआत है आगे कांग्रेस में और बुरे हालात होने हैं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।