ग्वालियर, मध्य प्रदेश। जयारोग्य अस्पताल परिसर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण करीब 161 करोड़ की लागत से किया गया था। जिससे गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजों को ग्वालियर में ही बेहतर इलाज मिल सके। धीमी रफ्तार के चलते काम समय सीमा में पूरा नहीं हो सका, इसी बीच कोरोना का खतरा मंडराना शुरू हुआ तो इसे कोरोना वार्ड बना दिया गया। जिसके कारण अब यहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है। जबकि अन्य गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीज अब भी इलाज के लिए दिल्ली जाने को मजबूर हैं।
शहर को आधुनिक अस्पताल की सौगात मिलते-मिलते रूक गई। कोरोना के चलते सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पिछले दस महीने से सामान्य मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां न तो डाक्टरों की भर्ती की गई और न स्टाफ की ही भर्ती हो सकी है। हालांकि करोड़ों रूपये की मशीनें अस्पताल के लिए खरीदी जा चुकी हैं। जिनका उपयोग कोविड मरीजों के लिए किया जा रहा है। हालांकि जिन मरीजों के लिए यह अस्पताल बनाया गया था, उन्हें तो अब भी दिल्ली मुंबई ही इलाज के लिए जाना पड़ रहा है।
साल 2020 कोविड में गुजर गया, लेकिन 2021 से भी उम्मीदें कम ही नजर आ रही हैं। क्योंकि अस्पताल कोविड आइसीयू के रूप में काम कर रहा है। यहां पर कोविड मरीज रखे जा रहे हैं। अभी भले ही यहां पर महज 34 कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है, मगर सितंबर में यहां पर मरीजों के लिए बेड उपलब्ध कराने के लिए नेता, मंत्री व प्रशासनिक अफसरों की सिफारिश लगाना पड़ रही थी। प्रशासन व अस्पताल प्रबंधन फिलहाल इस अस्पताल को नहीं छेड़ऩा चाहता है, क्योंकि इसके अलावा ऐसा कोई भवन नहीं है, जहां पर कोविड मरीजों को आधुनिक मशीनों के साथ इलाज दिया जा सके। इसलिए आधुनिक अस्पताल का सपना फिलहाल शहरवासियों के लिए सपना ही रहेगा।
नहीं पहुंच रहे जांच कराने :
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में करोड़ों रूपए की एमआरआई मशीन लगाई गई है। लेकिन इस मशीन का लाभ अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। जयारोग्य अस्पताल के चिकित्सक जब मरीज को एमआरआई सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कराने की सलाह देता है तो वह सुपर स्पेशलिटी में जाने से कतराता है, क्योंकि वह कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती कर रखा है।
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