अमृत 1 में स्वर्ण रेखा के 55 नालों का नहीं किया गया निदान। अमृत 2 में भी बचे हुए क्षेत्र में सीवर लाईन डालने का प्लान। खुले में गंदगी बहने पर स्वच्छता सर्वेक्षण के वाटर प्लस एवं 7 स्टार रैटिंग नहीं मिलेगी। 13 किलोमीटर सीवर लाईन साफ करने में लगे तीन साल।
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। अमृत योजना के सीवर प्रोजेक्ट पर 381 करोड़ रुपय खर्च किए गए हैं। इसके बावजूद स्वर्ण रेखा को गंदे पानी से निजात नहीं मिल पाई है। 55 नालों का गंदा पानी स्वर्ण रेखा में जा रहा है। अमृत-2 में भी अरबों रुपय सीवर प्रोजेक्ट पर खर्च करने की तैयारी चल रही है, लेकिन स्वर्ण रेखा की गंदगी कैसे दूर हो इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है। इस अनदेखी से स्वच्छता सर्वेक्षण में 7 स्टार रैटिंग एवं वाटर प्लस अवार्ड दांव पर लगा हुआ है। हालांकि अधिकारी सर्वेक्षण के दौरान गंदे पानी का बहाव बंद करा देते हैं, जिससे फूलबाग क्षेत्र में नदी साफ दिखती हैं। परंतु यह स्थाई हल नहीं है। अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में बेहतर रैकिंग पाने के लिए नगर निगम अधिकारी विभिन्न कार्यों में जुट गए हैं। एक बार फिर से 7 स्टार रैटिंग एवं वाटर प्लस का अवार्ड पाने के ख्याब संजोए जा रहे हैं। लेकिन वाटर प्लस के लिए जो शर्तें हैं उन्हें पूरी करने की बजाय झूठ का सहारा लिया जाता है। वाटर प्लस की शर्तों में साफ लिखा है कि वाटर बॉडी में सीवर लाईन का पानी नहीं मिलना चाहिए। खुले में सीवर का पानी नहीं बहना चाहिए। इसके बावजूद स्वर्ण रेखा नदी में 55 नालों का गंदा पानी खुले में बहाया जाता है। इस पानी को निकालने के लिए 13 किलोमीटर लंबी सीवर लाईन की सफाई 2018 से कराई जा रही थी। अमृत योजना के ठेकेदारों को ही यह कार्य दिया गया था। लेकिन लाईन की सफाई का स्थाई निदान नहीं निकाला गया है। लाईन क्लीयर करने पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद सफलता नहीं मिली है। यह लाईन हर तीन महीने में चौक हो जाती है। इसकी नियमित सफाई करानी पड़ेगी। साथ ही स्वर्ण रेखा में गंदगी का बहाव रोकने के लिए नई लाईन डालना बहुत आवश्यक हो गया है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
300 से 1800 एमएम तक चौड़ी है सीवर लाईन :
हनुमान बांध से फूलबाग गुरूद्वारे तक स्वर्ण रेखा नदी में डली सीवर की ट्रंक लाईन 300 से 1800 एमएम तक चौड़ी है। इस लाईन की सफाई के लिए 2018 से काम शुरू हुआ। कर्मचारियों ने अपनी जान दांव पर लगाकर सफाई की। इस दौरान सीवर लाईन में से चारपाई(खटिया), रजाई, गद्दे सहित कई सामान तक निकला है। इन लाईनों में नालों का पानी आ रहा है इसलिये हर तरह की गंदगी आती है। जब तक पानी छनकर नही आएगा तब तक लाईन साफ रहना संभव नहीं है।
बोट क्लब बंद हुआ, पैसा हुआ बेकार :
वर्ष 2012-13 में स्वर्ण रेखा नदी के फूलबाग क्षेत्र में सीवर का पानी रोककर साफ पानी भरा गया। इसमें वोट भी चलाई गई। इस क्षेत्र में वोटिंग होने से सैलानियों की संख्या बढ़ गई थी और मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट की तारीफ भी की थी। लेकिन बारिश में यहां गंदा पानी भर गया। वोट क्लब में फिश एक्वेरियम भी बनाया गया था जो पूरी तरह बर्बाद हो गया। अगर स्वर्ण रेखा नदी में गंदे पानी का बहाव रोक दिया जाए तो बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल विकसित हो सकता है।
अमृत के सीवर प्रोजेक्ट पर इस दो फर्मों ने किया काम :
सीवरेज लश्कर :
प्रोजेक्ट - जलालपुर में एसटीपी निर्माण व सीवरेज हेतु पाइप लाइन कार्य
लागत - 173.62 करोड़
कार्य - 165 एमएलडी का एसटीपी कार्य व 100 किमी पाइप लाइन डालना
फर्म - इनविराड सोल्यूशन प्रा. लिमिटेड
सीवरेज मुरार :
प्रोजेक्ट - लालटिपारा व लोहारपुरा एसटीपी निर्माण व सीवरेज हेतु पाइप लाइन कार्य
लागत - 207.97 करोड़
कार्य - 65 एमएलडी व 8 एमएलडी के एसटीपी निर्माण व 180 किमी पाइप लाइन डालना
फर्म - मैसर्स जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन
इनका कहना है :
अमृत योजना के सीवर प्रोजेक्ट में 55 किलोमीटर से अधिक एरिए में पुरानी लाईनों को बदला गया है। र्स्वण रेखा नदी में जो नालों का पानी आ रहा है उसे बंद करने के लिए हमने बड़े स्तर पर प्रयास किए। इसमें नई लाईन डालना आवश्यक है, लेकिन इसकी स्वीकृति नहीं मिली। जब तक नई लाईन नहीं डलेगी तब तक गंदा पानी बंद करना संभव नहीं है।आरके शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, सीवर प्रोजेक्ट, अमृत योजना, नगर निगम
हमने तीन साल तक 13 किलोमीटर लंबी लाईन की सफाई की है। इसमें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। सीवर लाईन में चारपाई से लेकर रजाई, गद्दे सहित कई तरह का सामान निकला है। इससे समझ आ रहा है कि किस हद तक सीवर लाईन में गंदगी आ रही है। जब तक दूसरी लाईन नहीं डलेगी तब तक गंदगी बंद होना संभव नहीं है।शिशिर श्रीवास्तव, सहायक यंत्री, सीवर प्रोजेक्ट, नगर निगम
अमृत 2 में शहर की कई सीवर लाईनों को डालने एवं संधारण करने की योजना है। इसके लिए सर्वे कराकर काम किया जा रहा है। हमने स्वर्ण रेखा नदी में डली ट्रंक लाईन को अपग्रेड करके गंदे पानी की सप्लाई बंद करने का प्रयास किया था। लेकिन इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति नहीं मिली। जिन 55 नालों का पानी स्वर्ण रेखा में आ रहा है वह कैसे बंद किया जा सकता है इस संबंध में अधिकारियों के साथ बैठकर प्लानिंग करेंगे।किशोर कन्याल, निगमायुक्त
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