ग्वालियर, मध्यप्रदेश। पुलिस अंधे हत्याकांड तक का खुलासा कर देती है और इसके साथ ही कई अहम मुद्दो का राज खोल लेती है, लेकिन मोतीमहल के रिकॉर्ड रूम से 5 ट्रक फाइलो के चोरी होने के मामले में पुलिस अभी तक अंजान बनी हुई है और उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा है। यह स्थिति तब है जब मोतीमहल के रिकॉर्ड रूम के आसपास कई सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है, लेकिन उसके बाद भी उन कैमरो का सहारा पुलिस ने नहीं लिया अब इसके पीछे क्या कारण हो सकते है इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही है।
शहर में शासकीय जमीनो को खुर्द बुर्द करने के लिए भू माफिया कई तरह की सांठगांठ करते है और उसी में से रिकॉर्ड गायब कराना एक साजिश का हिस्सा बताया जा रहा है। बताया गया है कि वर्ष 2022 में मोतीमहल के रिकॉर्ड रूम से एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर ने कुछ रिकॉर्ड मांगा था। उनके आवेदन पर जब कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने स्वंय जाकर पूछा कि भई रिकॉर्ड उपलब्ध क्यों नहीं कराया जा रहा है इसके जवाब में वहां के कर्मचारियो ने एडवोकेट अवधेश सिंह को बताया कि हमारे कार्यालय से कुछ रिकॉर्ड 5 ट्रक भरकर चोरी हो गया है इस कारण आपको संबंधित दस्तावेज की नकले उपलब्ध नहीं करा सकते है। रिकॉर्ड रूम के कर्मचारियो के द्वारा रिकॉर्ड चोरी होने का राज खुला तो वह सार्वजनिक हुआ उसके बाद हलचल मच गई और अधिकारियो ने अपने बचाव के लिए 8 फरवरी 2022 को पड़ाव पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाई जिस पर पुलिस ने अपराध क्रमांक 0072/2022 भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 457 एवं 380 के तहत मामला दर्ज किया, लेकिन इसके बाद भी साल बीत गया पर अभी तक किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई जो आश्चर्य की बात है। क्योंकि रिकॉर्ड बिना अधिकारी व कर्मचारी की सहमति से गायब नहीं हो सकता तो फिर पुलिस ने कार्यवाही क्यों नहीं की इसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे है।
गंभीर मामला है फिर भी कार्यवाही में सक्रियता क्यों नहीं :
रिकॉर्ड रूम से 5 ट्रक रिकॉर्ड गायब होना काफी गंभीर मामला है, क्योंकि उन्ही रिकॉर्ड के आधार पर जमीनो का मापन से लेकर यह पता लगता है कि कौनसी जमीन सरकारी है। इस गंभीर मामले के बाद भी पड़ाव पुलिस ने एक साल होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जिससे लगता है कि पुलिस पर भी कई तरह का दवाब है, क्योकि जब पुलिस अंधे हत्याकांड का खुलासा सहित शहर में होने वाले अन्य चोरियो का राज खोल देती है तो फिर मोतीमहल के रिकॉर्ड रूम से काफी संख्या में ट्रको से फाइले चोरी होने का खुलासा क्यों नहीं कर पाई, जबकि जिस स्थान से फाइले चोरी की गई है उसके आसपास कई सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है। सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बाद भी पुलिस ने उन कैेमरो को खंगालने का साहस नहीं दिखाया, क्योंकि अगर उन कैमरो को खंगाला जाता तो शायद रिकॉर्ड चोरी करने वालो का राज खुल सकता था। एडवोकेट अवधेश सिहं का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में कलेक्टर को भी अवगत करा दिया था, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की।
न्यायालय में की गई इसकी शिकायत :
एडवोकेट अवधेश सिंह ने इस मामले को लेकर दिसंबर माह में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की अदालत में एक आवेदन दिया है, जिसमें कई बिन्दुओ का उल्लेख कर मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्यवाही नहीं किये जाने के मामले को लेकर कई तरह के आरोप प्रशासन से लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगाएं है। न्यायालय में दिए आवोदन में उल्लेख किया है कि रिकॉर्ड रूम से रिकॉर्ड गायब होने से शासकीय जमीन का खुर्द बुर्द होने की संभावना है और यही कारण है कि पुलिस दवाब में कार्यवाही से बच रही है। न्यायालय ने इस मामले में नोटिस भी जारी कर दिए है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर पुलिस रिकॉर्ड चोरी होने के मामले में शांत क्यों है और उसके ऊपर आखिर किसका दबाव है।
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