ग्वालियर, मध्यप्रदेश। पीएम मोदी नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक को मुद्दा बनाते हुए भाजपा लगातार विपक्षियों को निशाना बना रही है, लेकिन इस दौरान कोविड गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। शुक्रवार को भाजपा ने इसे लेकर सोशल डिस्टेसिंग को ताक पर रखकर दोपहर 3 से 5 बजे तक फूलबाग पर धरना दिया। अधिकांश लोग मास्क लगाए थें, लेकिन धरने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग कहीं भी नजर नहीं आई।
गौरतलब है कि भाजपा नेता लगातार कोविड नियमों का उल्लंघन करते विभिन्न कार्यक्रमों में नजर आ रहे हैं। बिना मास्क के कार्यक्रम में नजर आने के बाद राजएक्सप्रेस ने इसे लेकर समाचार प्रकाशित किया तो शुक्रवार के धरने में सभी मास्क लगाए तो नजर आए, लेकिन शहर में धारा 144 लागू होने के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी तरह धज्जियां उड़ाई गईं। गतदिवस मोदी की सलामती के लिए पूजा पाठ के दौरान भी बिना मास्क के भाजपाई नजर आए थे। विचित्र बात यह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि किसी भी सूरत में कोविड गाइड लाइन का उल्लंघन नहीं करें,लेकिन स्थानीय स्तर पर भाजपा की गतिविधियों में निरन्तर कोविड गाइड लाइन का उल्लंघन किया जा रहा है। एमिक्रोन के फैलने क ी रफ्तार काफी 'यादा होने की वजह से सोशल डिस्टेसिंग का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, इसलिए जिला प्रशासन ने शहर में धारा 144 लागू कर दी है, जिसके चलते भीड़-भाड़ एकत्रित करना शहर में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
एडीएम को दिया ज्ञापन :
इस दौरान सांसद विवेक शेजवलकर ने रा'यपाल के नाम एक ज्ञापन एडीएम को सौंपा। धरना समापन के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए सांसद शेजवलकर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस नेतृत्व ने पंजाब सरकार द्वारा जिस प्रकार प्रधानमंत्री की जान से खिलवाड़ कर उनकी सुरक्षा में कोताही बरती गई है। वह निंदनीय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के समय पुलिस के मुखिया का उपस्थित ना होना और इस घटना के बाद मुख्यमंत्री द्वारा फोन नहीं उठाना कोई सामान्य घटना नहीं है।
धारा 144 में कैसे मिली परमीशन?
सवाल यह है कि क्या धारा 144 के दौरान भाजपा ने मौन धरने के लिए परमीशन ली। क्या परमीशन मांगने पर जिला प्रशासन द्वारा परमीशन दी गई। परमीशन नहीं दी गई तो धरना कैसे हुआ। और यदि परमीशन दी गई तो ऐसे माहौल में क्या शहर में धरने प्रदर्शन को परमीशन देना उचित है? दबाव में प्रशासन का कोई भी अधिकारी इसे लेकर बोलने को तैयार नहीं हैं। एडीएम ने भाजपा से रा'यपाल के नाम ज्ञापन लिया, लेकिन जब उनसे इस विषय में पूछा गया तो उनका कहना था कि मैं इसे दिखवाता हूं। क्या प्रशासन में इतना साहस है कि वो सत्ताधारी दल के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर पाए।
सांसद मंत्री रहे धरने में मौजूद :
इस मौन धरने में साधारण कार्यकर्ताओं के साथ विवेक शेजवलकर, राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल, पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल प्रदेश सह मीडिया प्रभारी जवाहर प्रजापति, अशोक जादौन, महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष ,नीलिमा शिंदे, अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हरीश मेवाफरोश, उदय अग्रवाल, जितेंद्र गुर्जर, राजू सेंगर, राकेश खुरासिया, रामेश्वर भदौरिया, विनोद शर्मा, मुलायम सिंह, अरविंद राय, प्रमोद खंडेलवाल, व्हिवल सेंगर, सुभाष शमार्, बिरजू शिवहरे, यश शर्मा, अपर्णा पाटील, विनती शर्मा, सुशीला कुशवाहा, ममता कुशवाहा ,संगीता पाल, लता सिंह, गीता मेवाफरोश, किरण भदोरिया, रमा माहौर, बंदना प्रेमी, उषा माहौर, उषा चौहान, रुचिका श्रीवास्तव, प्रियंका गगर्, शर्मिला कुशवाह, रानी गौर, सीमा माहौर उषा भदौरिया रिशु राजावत प्रीति थोराट, रितु शेजवार, ज्योति अहिरवार सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इनका कहना :
भाजपा के धरने में सोशल डिस्टेसिंग के उल्लंघन की जानकारी मिली है। मैं इस मामले को दिखवाता हूं।इच्छित गड़पाले, एडीएम ग्वालियर
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