मशीनों के संधारण पर 25 लाख से अधिक प्रतिमाह खर्च फिर भी पड़ी हैं खराब Raj Express
मध्य प्रदेश

Gwalior : मशीनों के संधारण पर 25 लाख से अधिक प्रतिमाह खर्च फिर भी पड़ी हैं खराब

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : जीआर मेडिकल कॉलेज ने चार महीने का 1 करोड़ 11 लाख का दिया ठेका। पैसा खर्च करने के बाद भी चिकित्सक और मरीज दोनों हो रहे परेशान।

Author : Manish Sharma

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने मशीनों के संधारण कार्य के लिए हाईट्स को ठेका दे रखा है। इसके लिए प्रबंधन कम्पनी को 25 लाख से अधिक प्रतिमाह दे रहा है। उसके बाद भी मशीनें खराब पड़ी हैं। चिकित्सकों का कहना है कि कई बार मौखिक और पत्राचार के माध्यम से अवगत कराने के बाद भी मशीनों को रिपेयर या ठीक करने का काम नहीं किया जा रहा। इससे विभागाध्यक्ष और मरीज दोनों को ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय प्रबंधन ने हाईट्स को मशीनों के संधारण कार्य के लिए ठेका दिया है। ठेके के अनुसार मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को दिसम्बर 2021 से मार्च 2022 तक का 1 करोड़ 11 लाख 40 हजार 21 रूपए का भुगतान करना है। 1 करोड़ से अधिक का भुगतान सिर्फ चार माह में करने के बाद भी कॉलेज और जयारोग्य अस्पताल में ऐसी कई मशीनें हैं जो कार्य नहीं कर रही हैं। अलग-अलग विभागों के विभागाध्यक्षों ने मशीनों को ठीक करने के लिए कम्पनी प्रतिनिधि और हाईट्स के अधिकारियों को कई बार मौखिक और पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया, लेकिन उस पर अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ। इस वजह से चिकित्सक के साथ-साथ मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इसलिए दिया था ठेका :

जीआर मेडिकल कॉलेज और जेएएच प्रबंधन ने हाईट्स कम्पनी को यह सोचकर मशीनों के संधारण कार्य का ठेका दिया था। ताकि समय पर मशीने ठीक हो सकें। इसके एवज में प्रतिमाह 25 लाख से अधिक का भुगतान भी किया जा रहा है। लेकिन लाखों रूपए का भुगतान करने के बाद भी चिकित्सक मशीनों को लेकर परेशान हैं। कम्पनी उपकरणों को ठीक करने में कोई रूचि नहीं दिखा रही है।

हाईट्स का प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों से अनुबंध

ऑटोमेटिक एनालाइजर मशीन पड़ी है खराब :

बायोकेमिस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.संजीव सिंह ने बताया कि विभाग में तीन ऑटोमेटिक एनालाइजर मशीन हैं। इसमें से सिर्फ एक ही सही है। वह भी विभाग वाली। इसी से हम जांच कर रहे हैं। कई बार मौखिक और पत्राचार के माध्यम से कम्पनी और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा चुका हूं, लेकिन अभी तक मशीने ठीक नहीं हुई हैं। इसके लिए यदि मुझे लिखित में देना पड़े कि हाईट्स कम्पनी ने काम नहीं किया तो मैं लिखित में देने को तैयार हूं। हालांकि इसमें जीआर मेडिकल कॉलेज के इंजीनियर कमल शर्मा की कोई गलती नहीं है।

मशीन खराब होने से ऐसे हो रही जांच :

बायोकेमिस्ट्री विभाग की ऑटोमेटिक एनालाइजर की तीन मशीने हैं। इसमें से दो मशीन अस्पताल में और एक विभाग में रखी है। अस्पताल की दोनों मशीने खराब हो गई हैं। इसलिए अब मरीजों के सेम्पल सीपीएल पर कलेक्ट होते हैं और विभाग में जांच होने के लिए आते हैं, क्योंकि सिर्फ विभाग वाली मशीन ही चालू है। इससे एलएफटी और आरएफटी की जांच होती है।

यह भी पड़ी हैं खराब :

  • ट्रॉमा सेंटर में सीआर्म मशीन खराब पड़ी है। इसका उपयोग ऑर्थोपेडिक के ऑपरेशन करने में किया जाता है।

  • न्यूसर्जरी विभाग में एक बल्ब के चक्कर में माइक्रोस्क्रोप खराब पड़ा हुआ है। इसका उपयोग न्यूसर्जरी के ऑपरेशन करने में किया जाता है।

  • ब्लड बैंक में दो फ्रिज खराब हैं। बताया गया है कि वह कंडम हो गए हैं।

  • ट्रॉमा सेंटर की एक्सरे मशीन खराब पड़ी है। इस वजह से ट्रॉमा के मरीजों को रेडियोलॉजी विभाग में एक्सरा कराने जाना पड़ रहा है।

  • ऑर्थोपेडिकल विभाग के ऑपरेशन थे्रटर की लेमिनार फ्लो मशीन भी खराब पड़ी हुई है।

(नोट: कॉलेज के अन्य विभागों में भी मशीने खराब पड़ी हुई हैं।)

इनका कहना है :

नहीं ऐसा नहीं है कम्पनी के तीन इंजीनियर हैं जो मशीनों को ठीक करने का काम कर रहे हैं। वह अपने सिस्टम को धीरे-धीरे डवलप कर रहे हैं। जल्द ही सभी मशीने ठीक हो जाएंगी।
डॉ.समीर गुप्ता, डीन जीआर मेडिकल कॉलेज
बायोकेमिस्ट्री विभाग की ऑटोमेटिक एनालाइजर मशीन खराब पड़ी हैं। कई बार पत्राचार और मौखिक रूप से अवगत कराने के बाद भी वह ठीक नहीं हुई हैं। यदि मुझे लिखकर देना पड़े कि कम्पनी ने कोई काम नहीं किया तो मैं लिखित में देने को भी तैयार हूं।
डॉ.संजीव सिंह, विभागाध्यक्ष बायोकेमिस्ट्री विभाग, जीआर मेडिकल कॉलेज
बायोकेमिस्ट्री विभाग की सभी मशीन चालू हैं। आप जिस ऑटोमेटिक एनालाइजर मशीन की बात कर रहे हैं। वह जांच किट के अभाव में बंद है। यदि जांच किट आ जाएगी तो यह मशीन भी काम करने लगेगी। वर्तमान में मेरे पास मशीनों से जुड़ी कोई शिकायत पेंडिंग नहीं है।
कमल शर्मा, इंजीनियर, जीआर मेडिकल कॉलेज

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