ग्वालियिर, मध्यप्रदेश। तिघरा बांध से नगर निगम को लगातार कम पानी मिल रहा था। इसका मुख्य कारण बांध के स्लूस गेट का कम खुलना था। स्लूस गेट की बेयरिंग खराब हो गई है,जिससे गेट के फेल होने का खतरा जल संसाधन विभाग के अधिकारी बता रहे थे। लेकिन मंगलवार को नगर निगम पीएचई विभाग के अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य एवं कार्यपालन यंत्री जागेश श्रीवास्तव की मौजूदगी में स्लूस गेट की चूड़िया को 28 से बढ़ाकर 32 किया गया। इस दौरान किसी तरह की परेशानी नहीं आई। अब बांध से पर्याप्त पानी मिलेगा।
नगर निगम द्वारा शहर में की जा रही पेजयल सप्लाई को लेकर लगातर शिकायतें आ रहीं थी। कहीं पानी एक दिन छोड़कर मिल रहा तो कहीं दो-दो दिन तक पानी नहीं आ रहा था। इसे देखते हुए निगमायुक्त किशोर कन्याल ने पीएचई विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई। इस बैठक में पीएचई अधिकारियों ने बताया कि तिघरा बांध से कम पानी मिल रहा है। पहले एक दिन में 12 एमसीएफटी पानी मिलता था और अब 7 से 8 एमसीएफटी पानी मिल रहा है। इससे पेजयल सप्लाई प्रभावित हो रही है। जब पानी कम मिलने का कारण पूछा गया तो अधिकारियों ने बताया कि बांध के बीच में जो स्लूस गेट बना हुआ है उससे पानी मोतीझील एवं शर्मा फार्म रोड़ पर बने नए प्लांट एवं तिघरा डब्लूटीपी में जाता है। इस गेट को आवश्यकता के अनुसार खोला एवं बंद किया जाता है। जब बांध भरा होता है तो चूड़ीयों को कम किया जाता है और जब बांध खाली होता है तो चूड़िया बढ़ा दी जाती है। वर्तमान में बांध के स्लूस गेट की चूड़िया 28 तक खोली गई हैं, लेकिन अब इन चूड़ियों को बढ़ाने की आवश्यकता है। बांध का लेबल 729 फीट तक आ गया है, जिसके चलते स्लूस गेट से कम पानी निकल रहा है। समस्या यह है कि बांध के स्लूस गेट की बेयरिंग खराब हो गई जिसकी जानकारी जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई है। उनका कहना है कि अगर चूड़ियां खोलने के लिए रॉड को घुमाया गया तो वह फैल हो सकता है। इस स्थिति में गेट लटक भी सकता है जिससे बहुत ज्यादा पानी बाहर आ जायगा। साथ ही गेट फेल होकर पूरा नीचे सरककर बंद भी हो सकता है। इस डर के कारण गेट को नहीं छेड़ा जा रहा। लेकिन अब पानी की किल्लत हो रही है इसलिए गेट की चूड़िया ही बढ़ानी होगी। निगमायुक्त ने इस संबंध में जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीरियर से चर्चा करने के निर्देश दिए थे। इसी निर्देशानुसार मंगलवार को नगर निगम पीएचई अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य कार्यपालन यंत्री जागेश श्रीवास्तव के साथ तिघरा बांध पर पहुंचे। वहां जल संसाधन विभाग के अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा, ओएनडेम के कार्यपालन यंत्री प्रदीप स्वर्णकार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। अधिकारियों की मौजूदगी में बांध के स्लूज गेट की चूड़ियों को 28 से बढ़ाकर 32 कर दिया गया है। अब प्रतिदिन पर्याप्त पानी मिलेगा।
पहले चूड़ी 36 की, फिर कर दी 32 :
बांध के स्लूस गेट की चूड़िया बढ़ाने के बाद कम करने को लेकर भी मौके पर चर्चा की गई। अधिकारियों ने बताया कि बारिश में बांध के भरने पर चूड़ियां कम करने की आवश्यकता हुई तो क्या करेंगे। इस डर को भी अधिकारियों ने दूर करने की बात की और चूड़िया 28 से बढ़ाकर 36 कर दी। फिर चूड़ियों को कम करके 32 कर दिया। इससे समझ में आ गया कि अब किसी तरह का खतरा नहीं है।
इस तरह चला मामला :
मंगलवार दोपहर 2 बजे पीएचई अधीक्षण यंत्री आरलएस मौर्य कार्यपालन यंत्री जागेश श्रीवास्तव के साथ तिघरा बांध पर पहुंचे।
बांध पर जल संसाधन विभाग के अधिकारी पहले ही आ गए थे। अधीक्षण यंत्री ने जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर आरसी झा से चर्चा करते हुए बताया कि निगम प्रशासक ने पानी की किल्लत पर नाराजगी जताई है। अब स्लूस गेट की चूड़ियां खोलनी ही पड़ेगी।
जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर ने कहा कि अगर गेट फैल हो गया तो, इस पर अधीक्षण यंत्री ने कहा कि सर देख लेते हैं। वैसे भी पानी की किल्लत हो रही है। कब तक चूड़िया नहीं खोलेंगे। जो होगा देखा जायगा। इसके बाद चीफ इंजीनियर ने चूड़िया खोलने की सहमति दे दी।
मौके पर जल संसाधन विभाग के ओएनडेम विभाग के कार्यपालन यंत्री प्रदीप र्स्वणकार आए और उन्होंने अपनी टीम के साथ चूड़ियों को बढ़ाया। जब सब ठीक से हो गया तो प्रदीप स्वर्णकार बोले कि मैं पहले ही कह रहा था कोई खतरा नहीं है। बिना वजह ही इस मामले को तूल दिया जा रहा था।
इनका कहना है :
पानी की किल्लत दिन ब दिन बढ़ रही थी। हमें तिघरा से कम पानी मिल रहा था, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई। निगम प्रशासक के निर्देशानुसार हम मंगलवार को बांध पर पहुंचे और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से चर्चा की। इसके बाद बांध के स्लूस गेट की चार चूड़िया बढ़ा दी। अब गेट ऊपर उठ गया है जिससे पर्याप्त पानी मिलेगा। हमने गेट की चूड़िया कम करके देखी ताकि बाद में परेशानी नहीं आए। अब पानी की किल्लत कम हो सकेगी।आरएलएस मौर्य, अधीक्षण यंत्री, पीएचई, नगर निगम
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