ग्वालियर, मध्यप्रदेश। डेंगू रोग हर साल अक्टूबर महीने के पहले पखवाड़े तक समाप्त होता रहा है। लेकिन इस साल डेंगू जनित वायरस अक्टूबर महीने में अपना रौद्र रुप दिखा रहा है। डेंगू रोग से पीड़ित सामान्य लक्षण वाले मरीज को दस सो बाहर दिन इलाज लेने पर आठ से दस हजार रुपए तक खर्चा करना पड़ रहा है। वहीं निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीज को डॉक्टर की फीस से लेकर जंबो प्लेटलेट्स जांच किट व रोग संबंधी अन्य जांचों के साथ दवा से लेकर इलाज के लिए हजारोंं रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है। इस साल डेंगू रोग का इलाज बीते साल की तुलना में महंगा पड़ रहा है। शहर में डेंगू मरीजों की संख्या प्रतिदिन बड़ रही है। वायरस जनित इस बीमारी से शारीरिक दुर्बलता आने के साथ मरीजों का हीमोग्लोबिन तेजी से कम हो रहा है।
लोग कोरोना की मार से अभी उबरे नहीं हैं कि डेंगू के मच्छर ने लोगों की जेब खाली कराना शुरु कर दिया है। जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और डेंगू बेकाबू है। अब बारिश भी हो गई है और जगह-जगह पानी भी भर गया है। ऐसे में डेंगू बढऩे के पूरे हालात बन गए हैं क्योंकि डेंगू फैलाने वाला मच्छर जमे हुए पानी में ही अपना अड्डा जमाता है और फिर लोगों को ऐसा डंक मारता है कि लोगों के पास अस्पताल पहुंचने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं रह जाता है। बारिश होने से पहले ही ग्वालियर के अस्पताल डेंगू के मरीजों से ठसाठस हैं और अब आगे क्या होगा, इसकी कल्पना मात्र ही रोंगटे खड़ी कर देने वाली है।
उपचार में इस प्रकार खर्च होता है पैसा :
दस दिन सामान्य रोगी को डॉक्टर की फीस के रुप में एक हजार रुपए तक वहीं दस से बारह दिन दवा व जांच का खर्च सात से आठ हजार।
तीन दिन बुखार होने पर मरीज एनएफ-1 व आईजीएम जांच एक साथ यानि डेंगू प्रोफाइल जांचें प्राइवेट लैब में ढ़ाई से तीन हजार रुपए में।
सीबीसी जांच पांच से सात सौ रुपए, वहीं प्लेटलेट्स काउंट बीस हजार से कम होने पर जंबो प्लेटलेट्स किट खरीदी के लिए दस से ग्यारह हजार रुपए का खर्च साथ में एक ब्लड डोनर भी।
डेंगू से गंभीर मरीज जो निजी अपताल में भर्ती को इलाज के दौरान एंटीबायटिक के साथ फ्लूड ड्रिप का खर्च ।
दस से बाहर दिनों तक निजी अस्पताल का खर्च।
क्या कहते हैं चिकित्सक :
अंचल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के मेडिसन विभाग के डॉ.अजय पाल ने बताया कि इस साल वायरस का रुप बदला हुआ है डेंगू पीड़ित मरीजों को ठीक होने में जहां पांच से सात दिन लगते थे, इस साल दस से बारह दिन लग रहे हैं।
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