ग्वालियर, मध्यप्रदेश। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे के बाद से ही अंचल में कांग्रेस में नेतृत्व की कमी आ गई है। यही कारण है कि अगले साल विधानसभा चुनाव होना हैं, ऐसे में अंचल में सिंधिया का मुकाबला कौन नेता कर सकता है इसको लेकर कांग्रेस खोज तो कर रही है, लेकिन आखिर में गुटबाजी के कारण यह खोज थम जाती है। वैसे अंचल मेें पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह अपना खासा दबदबा रखते हैं और बोलने में भी नहीं चूकते, लेकिन दिग्विजय सिंह गुट का मानते हुए उनको फिलहाल नेता प्रतिपक्ष के पद से दूर रखा जा रहा है जबकि वह 7 बार के विधायक हैं।
राजनीति में पक्के तौर पर कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है, क्योंकि चौधरी राकेश सिंह ने विधानसभा के अंदर जब भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा था उस, समय कांग्रेस को कड़ा झटका देकर पार्टी छोड़ दी थी उसके बाद उनके खिलाफ कांग्रेस ने अंचल में सार्वजनिक रूप से पंचायतें कर उनको गद्दार तक कहा था और डॉ. गोविन्द सिंह ने भी जमकर विरोध किया था। लेकिन समय राजनीति में हमेशा एकसा नहीं रहता है, यही कारण है कि भाजपा में रहते हुए जब चौधरी राकेश सिंह अपने आपको पूरी तरह से परिदृष्य से बाहर समझने लगे तो उन्होंने कांग्रेस में लौटने का निर्णय लिया था। चौधरी राकेश सिंह प्रखर वक्ता के साथ ही मिलनसार हैं जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है अगर उनका उपयोग सही तरीके से किया जाए, लेकिन लगता है कि कांग्रेस सत्ता हाथ से जाने के बाद भी गुटबाजी से उबर नहीं पा रही है, यही कारण है कि एक पद एक व्यक्ति के सिद्धांत पर अमल नहीं किया जा रहा है। फिलहाल नेता प्रतिपक्ष एवं अध्यक्ष दोनों पर ही कमलनाथ बिराजमान है, लेकिन जिस तरह से उनकी कार्यप्रणाली है उसको देखते हुए लगता है कि आगे आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टक्कर देने के मूड में फिलहाल नहीं है।
अंचल को मिले ताकत तो हो सकता है फायदा :
ग्वालियर-चंबल अंचल में 34 विधानसभा सीटें हैं और यहां केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खासा दबदबा माना जाता है। अब वह भाजपा में हैं और जमीनी स्तर पर जिस तरह से काम कर रहे हैं उसको देखते हुए लग रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सिंधिया को रोकना मुश्किल है। कांग्रेस भी रणनीति बनाने में तो लगी है, लेकिन रणनीति नाम कोई भी आने पर थम जाती है। सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अगर कांग्रेस ने यहां के किसी नेता को मजबूती नहीं दी तो नुकसान कांग्रेस का हो सकता है। अंचल में डॉ. गोविन्द सिंह अपना खासा प्रभाव कई विधानसभा क्षेत्र में तो सीधा रखते ही हैं, एक समाज विशेष में उनकी खासी पकड़ भी है, लेकिन इसके बाद भी उनको फिलहाल नेता प्रतिपक्ष के पद से दूर रखने का जो काम किया जा रहा है उसके चलते वह भी अब अपनी चाल के हिसाब से नहीं चल पा रहे हैं। वहीं चौधरी राकेश सिंह भी खासा प्रभाव रखने वाले नेताओं में माने जाते हैं। अगर डॉ.गोविन्द सिंह व चौधरी राकेश सिंह की जोड़ी को कांग्रेस आगे करती है तो अंचल में कांग्रेस सिंधिया का मुकाबला करने की स्थिति में आ सकती है, लेकिन राजनीति में नेता अपने हिसाब से गोटियां बैठाते हैं और जो उनके सांचे में फिट नहीं बैठता उसको जिम्मेदारी देना दूर की बात है, चाहे पार्टी को नुकसान ही क्यों न हो जाए, यह कांग्रेस की परंपरा रही है।
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