ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगर निगम में महापौर कांग्रेस जीत गई है, लेकिन भाजपा सभापति अपना बनाने का प्रयास कर रही है। भाजपा को इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं उनके पार्षद छिटककर कांग्रेस के पाले में न चले जाएं इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी भाजपा के 34 पार्षदों को एक बस में बैठाकर दिल्ली पहुंच गए। मंगलवार सुबह जब बस तैयार खड़ी थी तो भाजपा के तीन पार्षद भाजपा जिलाध्यक्ष के पास नहीं पहुंचे तो चिंता बढ़ गई। कमल ने कार्यकर्ताओ को तीन पार्षदों के घर भेजा तब जाकर वह आए और बस में बैठकर दिल्ली रवाना होकर शाम को दिल्ली पहुंच गए।
सभापति को लेकर भाजपा अब चौकस हो गई है और मंत्री से लेकर विधायक तक को सक्रिय कर दिया है। ग्वालियर में 57 साल बाद महापौर का चुनाव हारने के बाद भाजपा इसे पचा नहीं पा रही है, यही कारण है कि अब वह सभापति अपना बनाने के लिए सक्रिय हो गई है। भाजपा को यह डर भी सता रहा है कि अगर पार्षद ग्वालियर में रहते है तो उनमेें से कई छिटक सकते है, क्योंकि भाजपा के अंदर विधायक सतीश सिकरवार का खौफ दिख रहा है। वहीं कांग्रेस पूरे विश्वास के साथ कह रही है कि सभापति तो हम अपना ही बनाकर रहेंगे। इस दावे के बाद से ही भाजपा नेताओ के कान खड़े हो गए और भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी को सभी भाजपा पार्षदों को दिल्ली ले जाने के निर्देश मिले तो उन्होंने सोमवार को भाजपा के सभी पार्षदों को फोन कर सूचित कर दिया था कि वह मंगलवार को सुबह तैयार होकर आ जाएं दिल्ली जाना है। मंगलवार को सुबह भाजपा के पार्षद एकत्रित हुए तो उसमें गिनती करने पर 3 पार्षद कम थे, ऐसे में उनको लेने के लिए कार्यकर्ताओ को घर भेजा गया तब वह घर से निकले और बस में सवार होकर दिल्ली रवाना हो गए।
सभापति के लिए 5 अगस्त को चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने पार्षदों की बाड़ाबंदी करने में जुट गई है। कांग्रेस भी लगातार अपने पार्षदों पर नजर रखने के साथ निर्दलीय को अपने पाले में करने में लगी हुई है साथ ही भाजपा के कुछ पार्षदों से भी बातचीत फायनल हो चुकी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की निगाह अब सभापति की कुर्सी पर टिकी हुई है और इसके लिए दोनों ही दल रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस में रणनीति के तहत अभी तक 4 निर्दलीय पार्षद शामिल हो चुके है और इसके चलते उनकी संख्या बल 29 तक पहुंच गई है। कांग्रेस का दावा है कि दो निर्दलीय व एक बसपा का पार्षद भी उनके साथ है ऐसे में कांग्रेस की संख्या 32 तक पहुंच सकती है। ऐसे में कांग्रेस का भाजपा से सिर्फ एक पार्षद का क्रास वोट की चाहत है जिसका भय भाजपा का सता रहा है। यही कारण है कि भाजपा ने अब अपने पार्षदों को संभालने के साथ ही जो निर्दलीय पार्षद बचे है उन पर निगाह रखना शुरू कर दिया है।
मुरैना में दो पार्षद बस से उतर हुए गायब, उड़ी खबर :
भाजपा के 34 पार्षदों को लेकर मंगलवार को सुबह ग्वालियर से दिल्ली के लिए एसी बस रवाना हुई। कुछ देर बाद सोशल मीडिया पर खबर चली कि जिस बस में भाजपा के पार्षद दिल्ली जा रहे थे उसमें से दो पार्षद लघुशंका का बहाना कर बस से उतरे और लौटकर नहीं आएं। इसको लेकर भाजपा नेताओ का कहना था कि ऐसी खबरे कांग्रेस भ्रामक रूप से फैलाने का काम कर रही है, जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। वैसे यहां बता दे कि भाजपा 3 महिला पार्षद दिल्ली नहीं गई है और उनके स्थान पर उनके पति बस से दिल्ली पहुंचे है।
दिल्ली में होगी पार्षद दल की बैठक :
भाजपा ने अपने पार्षदों की बाड़ाबंदी करने का काम भले ही कर लिया है, लेकिन इसके बाद भी उनका डर समाप्त नहीं हुआ है, क्योंकि भाजपा नेताओ के पास जो जानकारी पहुंच रही है उसके तहत कुछ भाजपा पार्षद सभापति चुनाव में कांग्रेस का साथ दे सकते है। यही कारण है कि अभी तक सभापति के लिए भी भाजपा ने नाम तय नहीं किया है। भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी का कहना है कि दिल्ली में हमाने वरिष्ठ नेता है और वह संसद चलने के कारण ग्वालियर नहीं आ पा रहे है जिसके कारण पार्षदों को लेकर वह दिल्ली पहुंचे है और वहां भाजपा पार्षद दल की बैठक होगी जिसमें सभापति का नाम तय किया जाएगा। भाजपा पार्षदों के दिल्ली जाने पर महापौर पति व कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि मैं भी भाजपा में लम्बे समय तक रहा हूं और मैंने कभी नहीं देखा कि भाजपा को अपने ही पार्षदों को बाहर ले जाया गया हो, लेकिन यह पहली बार है जब भाजपा को अपने ही पार्षदों पर विश्वास नहीं है। अब जब भाजपा को अपने ही पार्षदों पर विश्वास नहीं है तो यह भाजपा के पार्षदों को तय करना है कि विश्वास वह किसके साथ व्यक्त करते है।
समर्थन देने वालों को दिया जा सकता है ऑफर :
महापौर का चुनाव जीतने से उत्साहित कांग्रेस के नेता अब परिषद पर अपना कब्जा करने की तैयारी में हैं। ऐसे में वे सभापति के चुनाव में वह पूरी दम से दावेदारी कर रही है। सभापति के लिए पार्टी पुराने पार्षद अवधेश कौरव और उपासना यादव पर दांव लगा सकती है। इसके साथ ही समर्थन देने वाले निर्दलीय या भाजपा के किसी पार्षद पर भी दांव खेल सकती हैं। अब कौन किसको समर्थन करता है और भाजपा व कांग्रेस अपने पार्षदों को एकजुट रखने में सफल हो सकती है कि नहीं यह तो 5 अगस्त को ही पता चल सकेगा। सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने भी अब कांग्रेस के पार्षदों पर नजर डालकर उन्हे प्रलोभन देने का काम शुरू कर दिया है, क्योंकि भाजपा के अंदर चर्चा चल रही है कि सभापति के लिए भाजपा के कुछ पार्षद गेम प्लान खेल सकते है।
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