ग्वालियर, मध्यप्रदेश। शहर के एक निजी हॉस्पीटल में सड़क हादसे में घायल होकर इलाज के लिए भर्ती हुए मरीज की मौत हो गई थी। इस पर परिजन ने आरोप लगाया था कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने मृतक को जिंदा बताकर घंटों तक उपचार किया और दांतों के डॉॅक्टर से हैड इंजरी का इलाज कराया था। उक्त घटना के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने टीम भेजकर मामले की जांच कराई। उसके बाद हॉस्पीटल संचालक को नोटिस थमाया है। सीएमएचओ का कहना है कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं आया तो फिर टीम भेजकर हॉस्पिटल को बंद करने की कार्रवाई की जाएगी।
क्या था मामला :
21 मार्च 2022 को हुजरात रोड स्थित आयुष हॉस्पीटल में मोंठ जिला झांसी निवासी विवेक की मौत हो गई थी। विवेक की मौत के बाद परिजनों ने हॉस्पिटल के बाहर चक्काजाम किया था। इसके साथ ही उपचार में लापरवाही के आरोप लगाए थे। उनका आरोप था कि मृतक को जिंदा बातकर घंटों तक उपचार किया है। इसके साथ ही पुलिस को दिये आवेदन में लिखा कि हैड इंजरी का उपचार दांतों के डॉॅक्टर से कराया गया है। हालांकि आरोपों में कितनी सत्यता है। इसका खुलासा जो जांच के बाद ही होगा।
निरीक्षण में यह हुआ था खुलासा :
विवेक की मौत के बाद चक्काजाम की जानकारी जैसे ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मनीष शर्मा को लगी थी। उन्होंने जांच करने के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी-1 डॉ. अशोक खरे को आयुष अस्पताल में भेजा था। डॉ.खरे को निरीक्षण के दौरान आईसीयू में तीन मरीज भर्ती मिले थे, लेकिन डॉक्टर एक भी उपस्थित नहीं था। आईसीयू में भर्ती तीन मरीज सिर्फ एक नर्स के भरोसे थे। इसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर डॉ.खरे ने सीएमएचओ को सौंप दी है। रिपोर्ट के आधार पर डॉ.शर्मा ने आयुष हॉस्पीटल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यदि जवाब सही और संतोषजनक नहीं आता तो डॉ.मनीष शर्मा के अनुसार हॉस्पीटल को बंद करने की कार्रवाई की जाएगी।
हॉस्पिटल प्रबंधन ने यह किया था स्वीकार :
उक्त घटना के बाद जब आयुष अस्पताल के मोबाइल नम्बर 9977688868 पर सम्पर्क किया तो उन्होंने अपना नाम डॉ.अमित सिंह बताया था। उनका कहना था कि अस्पताल है मौत तो होती रहती हैं। हमारे अस्पताल में सभी डॉक्टर ऑनकाल पर आते हैं। लेकिन उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया कि विवेक का उपचार कौन कर रहा था। इससे यह तो स्पष्ट होता है कि आयुष हॉस्पीटल में स्थाई चिकित्सक नहीं हैं। हो सकता है इसी वजह से विवेक के उपचार में लापवाही हुई हो और उसकी मौत हो गई हो।
निजी अस्पतालों पर कार्रवाई ठप :
शहर में संचालित होने वाले निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य अधिकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं तक देखने को नहीं पहुंच रहे हैं। इसी वजह से कुछ अस्पताल संचालक अपने मनमाफिक तरीके से अस्पतालों को संचालित कर मरीजों का ठगने का काम कर रहे हैं। यदि स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर अस्पतालों की व्यवस्थाओं को देखते रहे तो शायद कुछ हद तक लापरवाही पर लगाम कसी जा सकती है। इधर, शहर में संचालित होने वाले कई ऐसे भी अस्पताल हैं जो मरीजों की निस्वार्थ भाव से सेवा भी कर रहे हैं।
इनका कहना है :
आयुष अस्पताल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यदि जवाब नहीं और संतोषजनक नहीं आया तो टीम भेजकर हॉस्पीटल को बंद करने की कार्रवाई की जाएगी।डॉ. मनीष शर्मा, सीएमएचओ, ग्वालियर
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