ग्वालियर, मध्यप्रदेश। शहर में आए दिन फूट रही अमृत योजना की लाईनें मुसीबत बनी हुई है। इससे सड़कें भी खराब हो रही हैं और गंदा पानी भी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। इसका मुख्य कारण अमृत योजना में बिछाई गई लाईनों से किए गए कनेक्शन लोगों के घरों तक न पहुंचना है। ठेकेदार ने पाइप तो डाल दिए, लेकिन कनेक्शन घर की लाइन में नहीं किए। अब भी अधिकतर लोग पुराने नल कनेक्शन से ही पानी ले रहे हैं। इसी वजह से जब टंकी से प्रेशर छोड़ा जाता है तो पाइप फट जाते हैं। हद तो यह है कि ठेकेदार विष्णु प्रकाश पुंगलिया की टीम 65 हजार से अधिक नल कनेक्शन करने का बिल नगर निगम को दे चुकी है और अधिकतर कनेक्शनों का भुगतान भी हो गया है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
अमृत योजना के तहत शहर में 733 करोड़ रुपए खर्च करके पानी एवं सीवर समस्या का निदान किया जाना था। लेकिन दोनों में से कोई भी समस्या अब तक पूरी तरह हल नहीं हो सकी है। अधिकतर घरों मे आज भी गंदा पानी आ रहा है सीवर लाइन भी चौक है। अमृत योजना के पेयजल प्रोजेक्ट में लगभग 800 किलो मीटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें डाली गई है। इन लाइनों को डालने के लिए गली मौहल्लों की गलियां खोदी गई। ठेकेदार को एक मीटर की गहराई में लाइन डालनी थी ,लेकिन अधिकतर जगह 1 फीट की गहराई पर पाइप डाल दिए गए। इन लाइनों से नीले रंगं की पाइप लाइन जोड़कर लोगों के घरों तक कनेक्शन पहुंचा दिए। लेकिन घर के अंदर बिछी लाइन से इनका कनेक्शन नहीं किया गया। चूंकि नल कनेक्शन करने के लिए प्लम्बर को बुलाना पड़ता है और प्लम्बर कम से कम 1000 रुपए लेता इसलिए लोगों ने नया कनेक्शन कराने की वजह पुरानी लाइन से पानी लेना ही उचित समझा। वर्तमान स्थित में अगर सर्वे कराया जाए तो मात्र 50 प्रतिशत कनेक्शन ही चालू हालात में मिलेंगे। अमृत योजना में जो लाइनें डाली गई हैं उन्हे डीएमए के हिसाब से डलना बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत इससे पूरी तरह अलग है। लाइनें अपनी सुविधा के अनुसार डाली गई थी और अब यह ठेकेदार एवं अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। इन लाइनों से जो कनेक्शन किए गए हैं उनका पानी घरों तक नहीं पहुंच रहा जिससे लाइनों पर दबाव पड़ रहा है और फट रही हैं।
ठेकेदार करेंगे वेरीफिकेशन, तब होगा भुगतान :
नगर निगम परिषद की बैठक में पार्षदों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को देखते हुए निगमायुक्त किशोर कन्याल ने अमृत योजना के ठेकेदार विष्णु प्रसाद पुंगलिया को साफ कह दिया है कि अब बिल का भुगतान पार्षदों के वेरीफिकेशन एवं अनुशंसा पर किया जाएगा। 15 दिन में पार्षदों को पानी की लाइनों के नक्शे उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके बाद पार्षद पूरे वार्ड में घूमकर लाइन का सर्वे करेंगे। कहा कितनी नई लाइनें डाली गई और कितनी पुरानी डली है इसका भौतिक सत्यापन भी कराया जाएगा। इसके बाद जब पार्षद संतुष्टिप्रद रिपोर्ट देते हुए हस्ताक्षर करेंगे तब ठेकेदार को भुगतान किया जाएगा।
पेयजल प्रोजेक्ट पर इन दो कपंनियों ने किया काम :
जल प्रदाय - 1
प्रोजेक्ट - तिघरा से मोतीझील होते हुए जलालपुर पर प्रस्तावित डब्ल्यूटीपी तक पाइप लाइन
लागत - 42.30 करोड़
कार्य - 20 किमी पाइप लाइन डालना
फर्म - मैसर्स झांसी कांक्रीट उद्योग (झांसी)
जल प्रदाय - 2
प्रोजेक्ट - शहर भर में पेयजल हेतु टंकियां बनाकर पाइप लाइन कार्य
लागत - 278.35 करोड़
कार्य - 43 टंकिया बनाकर 777 किमी पाइप लाइन डालना
फर्म - मैसर्स विष्णु प्रकाश पंगुलिया
इनका कहना :
परिषद की मंशा के अनुरूप हमने अमृत योजना की समीक्षा शुरू कर दी है। प्रतिदिन बैठक करेंगे और कितना काम ठेकेदार ने एक दिन में किया इसे देखा जाएगा। पार्षदों द्वारा जो समस्याए बताई जाएंगी उन्हें दूर करते हुए ठेकेदार को काम करना है। पार्षद जब रिपोर्ट से संतुष्ट होंगे और हस्ताक्षर करके देंगे तभी ठेकेदार को भुगतान किया जाएगा। जहां लाइनें फूट रही हैं उन्हें उसी दिन रिपेयर कराया जाएगा।किशोर कन्याल, निगमायुक्त
हमने सभी जगह नल कनेक्शन करते हुए पाइप लोगों के घरों तक पहुंचा दिए हैं। घर के अंदर का कनेक्शन उपभोक्ता को स्वयं कराने हैं। कहां-कहां नल कनेक्शन नहीं हुए हैं हम अपनी टीम भेजकर जांच करा लेते हैं।पियूष शर्मा, प्रोजेक्ट इंचार्ज, मैसर्स विष्णु प्रकाश पुंगलिया कंपनी
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