ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगर निगम परिषद का साधारण सम्मेलन 28 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में शहर विकास से जुड़े 8 बिंदुओं पर चर्चा कर निर्णय लिए जाएंगे। परिषद को निगमायुक्त की तरफ से भेजे एक प्रस्ताव में शहरी सीमा में 100 एलईडी स्क्रीन लगाने का बिंदू भी शामिल है। इन स्क्रीनों पर शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी सहित विज्ञापन चलाए जाएंगे। इससे नगर निगम की आय बढ़ेगी। हालांकि इससे पहले भी पीपीपी मॉडल पर 3 स्क्रीन लगाई जा चुकी हैं और स्मार्ट सिटी भी डिस्पले बोर्ड लगाकर पैसे की बर्बादी कर चुकी है। अगर 100 स्क्रीन पीपीपी मॉडल पर लगाई जाती है तो ठीक है, नहीं तो यह सिर्फ पैसे की बर्बादी है जिसे रोकना परिषद का काम होगा।
दरअसल शहर विकास के नाम पर नगर निगम अधिकारी कई ऐसे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं जिन पर पैसा भी खर्च हो रहा है और लोगों को सुविधा भी नहीं मिल रही है। उदाहरण के रूप में स्मार्ट सिटी द्वारा शहर में 6 स्मार्ट टॉयलेंट बनाए गए हैं। एक टॉयलेट पर 50-55 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इसके बाद इस टॉयलेट को एक निजी कंपनी को चलाने के लिए दिया गया है। इसमें के साथ नाश्ता स्टॉल भी संचालित किया जाता है। मजे की बात तो यह है कि यह स्मार्ट टॉयलेट एक निजी कंपनी पीपीपी मॉडल पर बनाने का प्रस्ताव नगर निगम को दे चुकी थी। इस पर नगर निगम का कोई पैसा खर्च नहीं होता है। बल्कि कुछ साल बाद विज्ञापन से होने वाली आय में नगर निगम को हिस्सेदारी मिलने लगती है। लेकिन अधिकारियों ने निजी हित साधने के फेर में स्मार्ट टॉयलेट बनाने की स्वीकृति दे दी है। इसी तरह पीपीपी मॉडल पर स्ट्रीट लाईट शहर में लगाने के लिए कपंनियां तैयार हैं। इसके बावजूद 40 करोड़ से अधिक राशि खर्च करके स्मार्ट सिटी द्वारा स्मार्ट एलईडी स्ट्रीट लाईट लगवा दी गई। यह अब बंद पड़ी है और कंपनी इनका संधारण तक नहीं कर पा रही है। कुल मिलाकर अधिकारी नेताओं की कृपा पाने के लिए उनके चहेते लोगों को उपकृत कर रहे हैं जिनसे अधिकारियों का भी भला हो रहा है। लेकिन आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है। नगर निगम एक बार फिर 100 एलईडी स्क्रीन पोल शहर में लगाने की सहमति पाने के लिए परिषद की ओर प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव पर सहमति बनने से पहले सभी बिंदूओं पर चर्चा करना आवश्यक है। 28 अक्टूबर को होने वाली परिषद की बैठक में 8 बिंदूओं चर्चा होती है, जिसमें 100 स्क्रीन पोल लगाने का बिंदू भी शामिल है।
पार्षदों को इन बिंदूओं पर मांगनी चाहिए जानकारी :
नगर निगम को पहले लगाई गई स्क्रीन से क्या लाभ हुआ?
कितनी आय बढ़ी और आम जनता को क्या-क्या फायदे हुए?
स्मार्ट सिटी द्वारा जो स्मार्ट डिस्प्लेस बोर्ड लगाए गए हैं, उन पर कितना पैसा खर्च हुआ?
स्मार्ट डिस्प्लेस बोर्ड कितने खराब हैं ओर कितने चालू हैं?
डिस्प्लेस बोर्ड के रख रखाव पर हर साल कितना पैसा खर्च हो रहा है?
मेंटेनेंस करने वाले कंपनी कितने समय में डिस्प्लेस बोर्ड ठीक कर देती है?
100 स्क्रीन पोल लगाने से शहर को क्या लाभ होगा और आय कितनी बढ़ेगी?
इनका कहना :
परिषद की बैठक में जिन 8 बिंदूओं पर चर्चा की जानी है उनके संबंध में सभी पार्षदों को जानकारी दे दी गई है। पार्षद चाहे तो कार्यालीन समय में संबंधित प्रस्तावों से जुड़ी फाईलों का अवलोकन जलविहार परिषद कक्ष में कर सकते हैं। इसके लिए संबंधित अधिकारी को पहले से सूचित करना आवश्यक है।मनोज तोमर, सभापति, नगर निगम
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।