अस्पताल के स्टॉफ के तनाव को दूर करने सेंटर ऑफ हैप्पीनेस की शुरुआत।
सेंटर डॉक्टरों और मरीजों को खुश रहना और तनाव को दूर करना सिखाएगा।
हैप्पीनेस सेंटर के डॉक्टर मरीजों की काउंसलिंग करेंगे।
भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अब डॉक्टरों, गंभीर बीमारों और अस्पताल के स्टॉफ के तनाव को दूर करने सेंटर ऑफ हैप्पीनेस (Happiness Center) की शुरुआत हो गई है। इसका उद्घाटन शुक्रवार को एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने किया। यह सेंटर डॉक्टरों और मरीजों को खुश रहना और तनाव को दूर करना सिखाएगा। उन्होंने कहा कि खुशी एक विज्ञान है और इसका अभ्यास करने की आवश्यकता है। मेडिकल संस्थानों में डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और पैरामेडिक्स को काम की प्रकृति, लंबी ड्यूटी और विस्तृत मेडिकल पाठ्यक्रमों के कारण अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
देखभाल करने वालों के साथ-साथ मरीज भी बहुत अधिक मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और वित्तीय बोझ से पीडि़त होते हैं। तनाव की वजह से बीमारी से निपटने क्षमता कम हो जाती है। खुशी और अच्छा स्वास्थ्य साथ-साथ चलते रहना जरूरी है। इसी को देखते हुए एम्स में हैप्पीनेस सेंटर की शुरुआत की गई है। यह सेंटर छात्रों को यह समझने में सक्षम बनाएगा कि कैसे सकारात्मक मनोविज्ञान रणनीतियां लोगों को भविष्य में सफल बनाती हैं।
इन मरीजों को रखा जाएगा सेंटर में...
अगर मरीज दवाईयों और ऑपरेशन से ठीक नहीं हो पा रहे हैं, तो उनके लिए हैप्पीनेस सेंटर बीमारियों से लडऩे का जरिया बनेगा। गंभीर मरीज जो बीमारी के चलते जीने की चाह तक छोड़ देते हैं, उनको हैप्पीनेस सेंटर में रखा जाएगा। एम्स का दावा है कि यहां मरीजों को बीमारियों से लडऩे और खुश रहने के तरीके बताए जाएंगे। इसके लिए अलग से स्टॉफ भी रखा जाएगा। हैप्पीनेस सेंटर के डॉक्टर मरीजों की काउंसलिंग करेंगे और उनकी परेशानियों को दूर करेंगे। अभी एम्स में योग विभाग, आयुष विभाग सहित कई विभाग हैं, जहां मरीजों का इलाज होता है।
एम्स में रोज आते हैं 3 से 4 हजार मरीज
एम्स में अब मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक दिन में अब 3 से 4 हजार तक मरीज आ रहे हैं। प्रदेश के आसपास के जिलों के अलावा दूसरे जिलों से भी गंभीर मरीज एम्स में आ रहे हैं। बेहतर इलाज और सुविधाओं की वजह से मरीजों की संख्या एम्स में बढ़ रही है। इस वजह से ऐसे मरीजों की संख्या भी अब बढऩे लगी है, जो गंभीर बीमारियों से पीडि़त होते हैं और वे जीने की चाह भी छोड़ देते हैं। ऐसे मरीजों को यहां अब अलग से इलाज मिलेगा।
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