ग्वालियर, मध्यप्रदेश । जीवाजी विश्वविद्यालय में राज्यपाल कोटे से कार्यपरिषद सदस्य बनाई गई डॉ.संगीता कटारे इन दिनों विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के बीच काफी चर्चित हैं , इसका कारण है उनका विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करना। कुछ समय पहले उन्होंने कार्यपरिषद की बैठक के दौरान ही फैसला लिया था कि उन्होंने जिस विषय में पीएचडी की है। वो उस विषय के विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा देंगी। वर्तमान में वह जीवाजी विश्वविद्यालय के एसओएस डिपार्टमेंट में विद्यार्थियों की नि:शुल्क कक्षाएं ले रही हैं।
डॉ.संगीता कटारे ने राज एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए बताया कि हमारे समाज ( बाल्मिक ) को लोग नीची जाति का मानते हैं। लोगों की इस सोच को बदलने का संकल्प मैंने बचपन में ही लिया था और ठान लिया था कि मैं पढ़ लिखकर समाज का नाम रोशन करूंगी, लेकिन मेरे सामाने कई चुनौति थी। उसमें सबसे बड़ी चुनौति मेरा परिवार की खराब आर्थिक स्थिति। मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी और मैं पढ़ना चाहती थी। मेरे इस सपने को पूरा करने के लिए परिवार के सदस्यों ने पेट काटकर मुझे पढ़ाया-लिखाया। तब कहीं जाकर आज मैं इस मुकाम पर हूं।
हिंदी विषय में सबसे अधिक अंक
डॉ. संगीता कटारे ने जीवाजी विश्वविद्यालय से हिंदी लिटरेचर विषय में पीएचडी की है। वो जेयू के एसओएस के छात्रों को नि:शुल्क पढ़ाने के लिए जाती हैं, वह भी स्वयं के आने-जाने के खर्च पर। साथ ही इस वर्ष के परीक्षा परिणाम में एसओएस के छात्रों ने हिंदी विषय में सबसे अधिक अंक हासिल किये हैं। इतना ही नहीं जहां शहर में मोटी फीस लेने के बाद भी बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा नहीं दी जा रही वहां डॉ. संगीता कटारे बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दें रही हैं।
पहली बार बना बाल्मिक समाज का ईसी मेम्बर
डॉ.संगीता कटारे ने बताया कि जहां तक मुझे जानकारी है कि इतिहास से अभी तक सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के विश्वविद्यायों में बाल्मिक समाज का कोई महिला या पुरूष कार्यपरिषद सदस्य नहीं बना है। मैं (डॉ.संगीता कटारे) बाल्मिक समाज कोटा से पहली बार कार्यपरिषद सदस्य बनी हूं।
कहां से की शिक्षा ग्रहण
- पीएचडी हिंदी लिटरेचर विषय जीवाजी विश्वविद्यालय की।
- एमफिल भी जीवाजी विश्वविद्यालय से किया है।
- बीएड केआरजी कॉलेज से किया है।
- स्नातक भोपाल बरकतुल्ला विवि से किया है।
- बीएड केएस कॉलेज ग्वालियर से ।
2017 में ग्वालियर से भोपाल तक पैदल यात्रा
वर्ष 2017 में समाज की समस्याओं को लेकर डॉ.संगीता कटारे ग्वालियर से भोपाल तक की पैदल यात्रा भी कर चुकी हैं। इसमें व्यवस्था परिवर्तन सहित अन्य मांगे शामिल थीं।
बेटी के साथ बहू को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें
शादी के बाद मेरे सपने को पूरा करने के लिए मेरे पिता तुल्य ससुर ने मुझे प्रोत्साहित किया और एक पिता का फर्ज निभाया। इसमें मेरे पति का भरपूर सहयोग रहा जो आज जो भी है। अपने परिवार-ससुराल पक्ष की बदौलत भी मुझे पहचान मिली है । मेरी दो बच्ची है। लेकिन, मुझे कभी महसूस नहीं हुआ क्योंकि मेरी पढ़ाई के समय मेरी बच्चियों की देख रेख मेरे परिवार ने की। समाज से मैं (राज एक्सप्रेस डिजिटल) के माध्यम से संदेश देना चाहती हूं कि समाज में बेटी के साथ-साथ बहू को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
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