हाइलाइट्स :
2 दिन किया जाएगा गणेश विसर्जन।
वेद-व्यास जी ने तापमान बढ़ने पर कराया था भगवान गणेश को स्नान।
धूम-धाम से मनाया जाता है गणेश उत्सव।
भोपाल, मध्यप्रदेश। गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार लगभग देश के हर क्षेत्र मे मनाया जाता है। पुराणों की माने तो गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी के उत्सव पर भगवान गणेशजी की धूमधाम से पूजा की जाती है। गुरुवार और शुक्रवार यानि 2 दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। इस अवसर पर जानिए गणेश विसर्जन के पीछे की कहानी।
गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। प्रतिमा स्थापित होने के बाद हिन्दू रीति-रिवाज से नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। 9 या 10 दिन बाद, गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब, कुंड या नदियों के जल में विसर्जित कर दिया जाता है। विघ्नहर्ता और रिद्धि-सिद्धि के दाता कहे जाने वाले भगवान गणेश जी के विदाई देने का वक्त आ गया है। 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ शुरू हुआ गणेश उत्सव 27-28 सितंबर बुधवार-गुरूवार को गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होगा।
10 वें दिन ही क्यों किया जाता है विसर्जन:
10वें दिन वेद-व्यास जी ने देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ था। वेद-व्यास जी ने गणेश जी को नदी में स्नान करवाया, तभी से गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाने की शुरूआत की गई। जो अनवरत जारी है। इसलिए भगवान गणेश की मूर्ति को 10 वें दिन नदी या तालाबों में विसर्जित किया जाता है।
विसर्जन से पहले करे ये काम:
भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा कर तिलक लगाएं। इसके बाद बप्पा के पास आसन मे बैठकर गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें। गणेश जी की आरती कर प्रार्थना करें कि, हमारे सभी पापों का आप शमन करें। रिद्धि-सिद्धि और गणेश जी का प्रभाव घर में ही रहे और हम प्रभाव से हीन न हो। उच्चारण करने के बाद गणेश प्रतिमा को थोड़ा सा हिला कर संकेत दें। उसके बाद गणेश प्रतिमा का विसर्जन कर सकते हैं।
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