राज एक्सप्रेस। एक तरफ तो भारत पाकिस्तान के कटु संबंधों को लेकर जहां कुछ लोग भड़काऊ बातों के जरिये भारत में हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्यता फैलाने का कार्य करते हैं वहीं इस तरह के लोगों पर करारा तमाचा जड़ते हुये, शिवपुरी की ग्राम पंचायत खोड़ में निवासरत नगरवासी हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हुये एक-दूसरे के त्योंहारों में शामिल होकर सभी त्योहारों व पर्वो को साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना से मना रहे हैं। इस वर्ष भी ग्राम पंचायत खोड़ में मोहर्रम और गणेश चतुर्थी का त्योहार अकीदत के साथ मनाया गया।
हर साल की तरह इस साल भी मुहर्रम के मौके पर नीखरा परिवार खोड़ एवं खोड़ के गहोई समाज के साथ-साथ अन्य सभी सामाजिक लोगों ने जगह-जगह ठंडा पानी, शरबत फल आदि का वितरण किया एवं ताजिए को कंधा देकर रवाना किया जगह-जगह स्टॉल लगाकर एक-दूसरे को मुबारकबाद दी और हिल-मिलकर रहने का एक पैगाम पूरे देश में पहुंचाया। ग्रामवासियों की एक-दूसरे के प्रति प्रेम भावना देखकर कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि, मोहर्रम मुस्लिमों का त्यौहार है अथवा गणेश चतुर्थी केवल हिंदू ही मना रहे हों।
ग्राम पंचायत में जगह-जगह लोगों ने ताजिए को कंधा दिया वहीं गणेश चतुर्थी के दिन मुस्लिम संप्रदाय के लोग गणेश जी के जुलूस में उपस्थित रहकर विसर्जन कराने गए। 'अनेकता में एकता' भारत की यह विशेषता कोई अनोखी बात नहीं है। दिलों में थोड़ी सी जगह बना कर देखें पूरा हिंदुस्तान हिंदू और मुसलमान के अंदर ही समाया हुआ है। इस मिसाल के द्वारा खोड़ ग्राम की अनोखी एकता ने यह सिद्ध कर दिया है कि कुछ प्रतिशत स्वार्थी व छोटी मानसिकता के लोगों को छोड़कर हम भारतवासी चाहे किसी भी धर्म सम्प्रदाय के हों हम सब एक हैं।
करैरा नगर में मोहर्रम के पर्व हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी ताजियों का जुलूस इमाम बाड़ों से निकाला गया। जो ढ़ोल-ताशे की धुन में गश्त करते हुए चाँद दरवाजा, नाला मोहल्ला, काजी मोहल्ला, हरदौल दरवाजा, गाड़ीबान मोहल्ला होते हुए शाम साढ़े 6 बजे पुरानी तहसील चौराहे पर पहुँचा। मोहर्रम पर्व के मौके पर सभी धर्म के लोंगो ने प्रसाद लगाकर रंग बिरंगी रोशनी से सजे ताजियों की कलाकारी को देखा। इन ताजियों के देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से आये लोंगो का हुजूम पुरानी तहसील पर एकत्रित हुआ। इसके लिए मुस्लिम समाज के ताजिया कमेटी ने सभी तैयारियां पूर्ण कर रखी थी। साथ ही इस पर्व को लेकर करैरा पुलिस ने जगह-जगह पर अपनी टीम बनाकर तैनात की थी।
ताजियों के जुलूस पर लोंगो ने बाटें मीठे-नमकीन चावल
मुस्लिम समुदाय के ताजिया कमेटी के शकूर खान बताते हैं कि, हमारे यहाँ पर 12 भाईयों का ताजिया, छम्मा का ताजिया, साई का ताजिया पिछले कई वर्षों से बनता चला आ रहा है। इसके लिए बांस की लकड़ी पर कसकर और उसमे रंग-बिरंगे कागजों एवं तरह-तरह की फैंसी डिजाइन के ताजिया बनाते हैं जिसको मोहर्रम के महीने यानी नये साल का प्रतीक बताते हैं। वहीं कई मुस्लिम समुदाय के लोग मोहर्रम का पर्व शहादत के रूप में भी ताजिये बनाकर निकालते हैं। मोहर्रम का पर्व पिछले कई वर्षो से मुस्लिम समाज के इस्लामी साल के अनुसार मोहर्रम की 9 और 10 तारीक को सभी जगह ताजिये के जुलूस निकाले जाते हैं और तरह-तरह का मीठा नमकीन पकवान, शरबत बनाकर लोंगो को बाँटतें हैं।
पुलिस के रहे पुख्ता सुरक्षा इंतजाम
आज मोहर्रम की दस तारीख को पुलिस गश्त के साथ सभी ताजियों को महुअर नदी स्थित कर्बला में दफन किया गया। जो मुख्य मार्गों से होते हुये पुरानी तहसील न्यायालय के पास इकट्ठा हुए। इसके बाद चाँद दरवाजा पर रात्रि को भव्य भंडारे का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोंगो द्वारा अखाड़ा करतब दिखाया गया। करैरा नगर में इस वर्ष करीब दो दर्जन बड़े ताजिये बनाये गये थे। जो अलग-अलग इमाम बाड़ों से निचली बस्ती होते हुए काजी मोहल्ले, गाड़ीबान मोहल्ला न्यायालय के पास पहुँचे। इस मौके पर पुलिस के पुख्ता इंतजाम रहे।
बैराड़ में मातमी धुन के साथ निकले ताजिये:
बैराड़ नगर परिषद क्षेत्र में हर वर्ष की भांति इस बार भी नगर की मस्जिद से ताजिया निर्माण कमेटी प्रमुख रहमत शाह के मार्गदर्शन में मातमी धुन के साथ ताजिये कर्बला ले जाये गये। जो बैराड़ नगर के मुख्य मार्ग से हजारों मुस्लिम समाज के महिलाए बच्चों, युवा एवं बुजुर्गों की उपस्थिति में निकाले गए। बैराड़ में मस्जिद से निकाले गए ताजिए बाजार के मुख्यमार्ग से होकर मातमी धुनों के साथ कर्बला पहुंचे। बैराड़ तहसील के आस-पास के गँव से आये हुए मुस्लिम समाज के लोगों ने भी नारे लगाकर शहीदों की याद की। मुहर्रम की रात कड़ी सुरक्षा रही। साथ ही बैराड़ बस स्टैंड पर अखाड़ा बनाया गया। जिसमें मुस्लिम समाज के युवाओं द्वारा कई प्रकार की कलाओं का प्रदर्शन किया गया। ताजियों के जुलूस में सैकड़ों मुस्लिम बन्धु उपस्थित हुए।
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