शहडोल, मध्य प्रदेश। सहायक मीडिया प्रभारी मुकेश कुमार ने बताया कि जयसिंहनगर न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश ने थाना जयसिंहनगर में आरेापी मो. सलीम खान पिता मो. शहीद खान, उम्र- 45 वर्ष, निवासी ग्राम कुदराटोला सीधी की जमानत आवेदन निरस्त कर दिया। शासन की ओर से प्रकरण का संचालन एवं जमानत का विरोध सी.पी.मिश्रा सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी जयसिंहनगर ने किया।
धोखधाड़ी कर निकाला पैसा :
थाना सीधी में फरियादिया जाहबुन बी निवासी चन्दौरा द्वारा एक लिखित शिकायत आवेदन इस आशय का पेश किया कि सेट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाख सीधी में उसका खाता है। ग्राम कुदरा टोला का अभियुक्त सलीम खान आज से लगभग एक साल पहले उसके पास आकर बोला कि बहन शासन द्वारा महिलाओं को खेत-किसानी के काम के लिए 30,000 रूपये की राशि दी जा रही है, जिसकी किश्त नहीं भरनी पड़ेगी। तुम्हें मेरे साथ शहडोल चलकर सैटिन कम्पनी में कुछ कागजों पर दस्तखत करने पड़ेंगे, रूपये मैं दिलवा देता हूं, चलो पैसा निकलवा लो। तब वह उसी के साथ शहडोल जाकर सैटिन कम्पनी की ऑफिस में आशीष पाठक से मिलकर कुछ कागजों पर दस्तखत कराया तथा उसे सैंट्रल बैंक द्वारा दिए गए कागज सलीम ने अपने पास ही रख लिये थे। 20 अप्रैल 2019 को सेंट्रल ग्रामीण बैंक सीधी में उसके खाते में 30,000 रूपये सैटिन कम्पनी द्वारा जमा किए गए।
महिला को दिया 3 हजार :
अभियुक्त सलीम खान उससे बोला कि तुम्हारे खाते में जो 30,000 रूपये आया है, उसमें 3,000 रूपये प्रति महिला हितग्राही के हिसाब से 10 महिलाओं का पैसा आया है, अभी तुम्हे 3,000 रूपये मिलेगा। फिर दूसरी किस्त में बाकी पैसा मिलता रहेगा। फिर उसे ग्राम दरैन में आशाीष कियोस्क सेन्टर वाले के पास ले गया और अंगूठा लगवाकर 30,000 रूपये निकलवाया और उसे 3,000 रूपये देकर बोला कि गॉव की और भी महिलाओं को पैसा देना है। इसी साल फरवरी में उसके पास सैटिन कंपनी का कागज लेकर कंपनी से आशाीष पाठक उसके गॉव आकर बोला कि तुम्हारे नाम से सैटिन कंपनी से 30,000 रूपये का कर्जा लिया गया, जिसका 18,000 रूपये बाकी है, तब उसने ग्राम कुदराटोला जाकर अभियुक्त सलीम की तलाश की, तो आरोपी अपने घर से फरार था।
17 लाख की धोखाधड़ी :
अभियुक्त सलीम ने अपने अन्य साथी सैटिन कंपनी के आशीष पाठक एवं आशीष तिवारी के साथ मिल कर अन्य महिलाओं के साथ भी लगभग 17 लाख रूपये की धोखाधड़ी की गई है। उक्त रिपेार्ट के आधार पर धारा 420, 409 एवं 120बी भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई। उक्त आरेापी को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। आरोपी द्वारा जमानत हेतु जमानत याचिका न्यायाालय के समक्ष प्रस्तुत किया। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर विचार करते हुए एवं अपराध की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए जेल भेज दिया।
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