होशंगाबाद, मध्यप्रदेश। 02 जून 2021 को बांधवगढ़ (Bandhavgarh) से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpuda Tiger Resrve) लाई गई बाघिन जंगल से सटे ग्रामीण इलाकों की तरफ आ गई है। बाघिन के चहलकदमी को लेकर पंचायतों ने मुनादी कराकर ग्रामीणों को सतर्क रहने के हिदायत दी है। बाघिन की मॉनिटरिंग करने के लिए जंगल में गश्ती दल को लगाया गया है।
जानकारी के मुताबिक बाघिन सतपुड़ा टाइगर के मढ़ई के जंगलों में थी। पिछले दिनों बाघिन जंगली सूअर का शिकार करते हुए गांव की तरफ आ गई। दो दिनों से बाघिन का मूवमेंट सोहागपुर के ग्रामीण इलाकों के आसपास देखा गया है। सुरक्षा के लिए वन विभाग ने सभी को सतर्क किया है। वंही पंचायत स्तर पर भी जंगल से लगे ग्रामों में मुनादी कराई जा रही हैं । ग्रामीणों को सतर्कता के साथ घर से बाहर निकलने को कहा जा रहा है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम भी जंगल में बाघिन की खोज में लगी है। ट्रेप केंट के अलावा अनेक जतन कर बाघिन को तलाश किया जा रहा है।
ट्रांसमीटर लोकेशन की मदद से तलाश :
बाघिन के गले मे ट्रांसमीटर बेल्ट लगा है। वन विभाग का अमला ट्रांसमीटर की तरंगों से भी बाघिन को तलाश कर रहा है। अमले की एक टीम जंगल के अंदर भी तलाश कर रही है।
टेरिटरी बनाने में लगी है बाघिन :
बताया जाता है कि टाइगर अपनी टेरिटरी बनाते है। बांधवगढ़ से आई बाघिन सतपुड़ा में नई है। इसलिए वह अपना इलाका बनाने में लगी है। यह सामान्य प्रकिया है। हर टाइगर यह करता है।
बाघों का घर है सतपुड़ा का जंगल :
मध्य प्रदेश में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व बाघों का घर कहलाता है। जल, जंगल और जमीन भरपूर होने के कारण यहाँ टाइगर मस्त रहते हैं। विभाग ने टाइगरों को उनका मनपसंद भोजन देने के लिये एक हज़ार 50 चीतल भी जंगल में छोड़ दिए हैं। चीतल टाइगर का मनपसंद भोजन है। इसलिए बांधवगढ़ से चीतल लाकर सतपुड़ा के जंगलों में छोड़े जा रहे हैं।
इनका कहना है :
बाघिन की मॉनिटरिंग की जा रही है। वह टेरिटरी बना रही है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।एल कृष्णमूर्ति, फील्ड डायरेक्टर, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
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