भोपाल। सतपुड़ा भवन में लगी आग के बाद सरकार द्वारा गठित कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। जांच कमेटी द्वारा सौंपी गई 287 पन्नों की रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं। कमेटी ने प्रदेश में फायर एक्ट लागू किए जाने और फायर एंड सर्विसेस के लिए अलग से विभाग बनाए जाने का सुझाव सरकार को दिया है। साथ ही एसडीईआरएफ की इकाईयां शुरू किए जाने और उन्हें आधुनिक मशीनें देकर बहुमंजिला भवनों की अग्निशमन की ट्रेनिंग दिलाए जाने का सुझाव है।
गौरतलब है कि देश के 26 राज्यों में फायर एक्ट लागू हो चुका है, लेकिन मप्र में इसे अब तक लागू नहीं किया गया है। इस पर चिंता जाहिर करते हुए कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अन्य राज्यों का अध्ययन कर प्रदेश में फायर एक्ट बनाया जाए और इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए। इसके लिए अलग से एक विभाग भी बने, जो आग लगने की घटनाओं को रोक सके। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 19 जून को सरकार को सौंप दी है।
इस रिपोर्ट में कमेटी ने सीधे तौर पर किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है। कमेटी ने प्रदेश में फायर एक्ट लागू किए जाने का सुझाव देकर यह साफ जरूर कर दिया है कि प्रदेश सरकार के पास आग की बड़ी घटनाओं पर काबू पाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है। इसी के चलते कमेटी ने सरकार को जल्द से जल्द फायर एक्ट लागू किए जाने का सुझाव दिया है।
इन राज्यों की तर्ज पर अलग विभाग की सिफारिश
ओडिशा, कर्नाटक, केरल, दिल्ली और आंध्रप्रदेश में फायर सेफ्टी के लिए अलग विभाग हैं। इन्हीं की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अलग से फायर विभाग खोले जाने की सिफारिश समिति ने की है।
ड्राफ्ट बनकर तैयार, पर लागू नहीं
चौकाने वाली बात यह है कि प्रदेश में वर्ष 2020 में फायर एक्ट का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो चुका है। इसके बाद भी इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका। इससे पहले साल 2019 में फायर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार हो गया था। इसके बाद केंद्र सरकार के फायर एक्ट में हुए संशोधन को शमिल करते हुए दोबारा भी ड्राफ्ट तैयार हो चुका है।
केंद्र सरकार के निर्देश के बाद भी लागू नहीं एक्ट
केंद्र सरकार ने साल 2016 में मप्र में फायर एक्ट लागू किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रदेश के आला अधिकारियों की तीन साल तक बैठकें होती रहीं। तब जाकर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया गया, लेकिन इसे लागू अब तक नहीं किया जा सका। अगर फायर एक्ट पहले ही लागू हो जाता तो शायद सतपुड़ा की आग पर समय रहते काबू पाया जा सकता है।
अभी ऐसे हैं इंतजाम
वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के केपिटल प्रोजेक्ट के पास अग्निशमन की जिम्मेदारी है। शहरी क्षेत्रों में नगरीय प्रशासन विभाग अग्नि सुरक्षा का काम देखता है, लेकिन सभी तरह की अग्नि दुर्घटनाओं के मामले में प्रारंभिक सुरक्षा से लेकर आपदा नियंत्रण पर केन्द्रीयकृत नियंत्रण वाला कोई अलग विभाग मध्यप्रदेश में नहीं है।
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