चाइल्ड केयर लीव पर मांगी गई रिपोर्ट  RE-Bhopal
मध्य प्रदेश

विदेश गईं महिला शिक्षक निर्धारित अवधि में कक्षाओं में लौटी ही नहीं , चाइल्ड केयर लीव पर मांगी गई रिपोर्ट

Child Care Leave Madhyapradesh: नियम के अनुसार तो महिला शिक्षको को दो वर्ष तक संतान पालन अवकाश दिया जा सकता है। इसमें नियम है कि शिक्षक इस अवधि में निरंतर अवकाश नहीं ले सकता है।

Gaurishankar Chaurasiya

भोपाल। महिला शिक्षकों की चाइल्ड केयर लीव (संतान पालन अवकाश) पर अधिकारी सक्रिय हुए हैं। भोपाल संभाग में कितने शिक्षक मौजूदा समय में यह लाभ ले रहे हैं। इसकी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारियों से मांगी गई है। अफसरों का कहना है कि नियमका कितना पालन हो रहा है। यह देखना जरूरी है, क्योंकि शुरूआती दौर से बच्चों को कक्षाओं में अध्यापन कराना है। इस कारण यह कदम उठाया जा रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार प्रारंभिक दौर से कैलेण्डर के अनुसार बच्चों की पढ़ाई जरूरी है। नतीजतन यह देखा जाना है कि संतान पालन अवकाश(चाइल्ड केयर लीव) में नियमों कितना पालन हो रहा है। नियम के अनुसार तो महिला शिक्षको को दो वर्ष तक संतान पालन अवकाश दिया जा सकता है। इसमें नियम है कि शिक्षक इस अवधि में निरंतर अवकाश नहीं ले सकता है।

इन दो वर्षों में वह न्यूनतम तीन जबकि अधिकतम 6 माह के लिए अवकाश ले सकता है। इसके बाद उसे स्कूल आना होगा। ताकि कुछ समय वह बच्चों की पढ़ाई को भी देख सके, इसके बाद फिर वह छुट्टी ले सकता है।संभाग में भोपाल से लेकर रायसेन, सीहोर, विदिशा, और राजगढ़ जिलों के कई स्कूलों में नियमों का पालन नहीं हो रहा है। नतीजतन यह परीक्षण करना आवश्यक समझा गया है।

कई शिक्षक विदेश में बच्चों के साथ

अफसरों का कहना है कि संभाग में कई महिला शिक्षक ऐसी हैं, जो विदेश गई और लौटकर ही नहीं आई हैं। इनके पूरे दो साल होने वाले हैं। ऐसी शिक्षक अपने बच्चों की परवाह कर रहीं, वह ठीक है, लेकिन इन्हें कक्षाओं में दर्ज छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का ध्यान भी रखना चाहिए। इस कारण संभाग में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। ताकि यह देखा जा सके कि कितने शिक्षकों ने नियम का पालन किया है।

इनका कहना है

भोपाल संभाग में कितने शिक्षक चाइल्ड केयर लीव पर हैं। इसकी रिपोर्ट संभाग में समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों से मांगी गई है। लीव लेना महिला शिक्षकों का राइट है, लेकिन नियम का कितना पालन हो रहा है। यह देखना भी जरूरी है।

अरविंद चौरगढ़े, संभागीय संयुक्त संचालक, भोपाल

संतान पालन अवकाश लेना महिला शिक्षकों का अधिकार है, लेकिन नियम का पालन भी जरूरी है। क्योंकि संकुल प्राचार्य की अनुशंसा पर यह लीव मिलती है। प्राचार्यों को भी अपना दायित्व पालन करते हुए वरिष्ठ कार्यलय में जानकारी समय से देना चाहिए।

क्षत्रवीर सिंह राठौर, महामंत्री, मप्र शिक्षक संघ

महिला शिक्षक संतान पालन अवकाश लें, लेकिन उन्हें स्कूली बच्चों की चिंता भी करना होगी। इस भावना से काम करना होगा कि स्कूली बच्चे भी उनकी संतान हैं। जब यह भावना रहेगी तो नियम का पालन होगा और बच्चों की पढ़ाई भी आसानी से चलेगी।

उपेन्द कौशल, कार्यकारी अध्यक्ष, शासकीय शिक्षक संघ

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