उमरिया: करंट की चपेट में आने से मादा हाथी की मौत Afsar Khan
मध्य प्रदेश

उमरिया: करंट की चपेट में आने से मादा हाथी की मौत

उमरिया, मध्यप्रदेश। जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथी की करंट की चपेट में आ जाने से दर्दनाक मौत हो गई, घटना शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात की है।

Author : Afsar Khan

उमरिया, मध्यप्रदेश। जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथी की करंट की चपेट में आ जाने से दर्दनाक मौत हो गई, घटना शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात की है, जब हाथियों का झुंड़ रात्रिकालीन विचरण में पार्क के पनपथा अभ्यारण अंतर्गत गंगीताल के जंगल था। उसी दौरान यह हादसा हुआ है। घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, जंगली हाथी पानी पीने के लिए तालाब आए थे, इसी दौरान 11000 वोल्ट की चपेट में आने से एक मादा हाथी की मौत हो गई।

सुरक्षित नहीं वन्य प्राणी:

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कोर क्षेत्र से गुजरने वाली हाई वोल्टेज की लाइनों से वन्य प्राणी सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं, पनपथा अभ्यारण कोर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बीट गांगीताल वन परिक्षेत्र पनपथा में जंगली हाथियों का झुंड गुजर रहा था, रास्ते में तालाब की मेढ़ के ऊपर से हथनी तालाब में उतरने की कोशिश की, जिसमें हथनी का शरीर हाई वोल्टेज लाइन की गुजरने वाली तार से टकरा गया, जिसमें मौके पर हथनी की मौत हो गई, जिसकी सूचना गांव वालों के द्वारा वन विभाग को दी गई।

हाथियों का वास स्थल :

हाथी की मौत की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पार्क प्रबंधन को इसकी सूचना दे दी गई, बताया जाता है कि पनपथा अभ्यारण क्षेत्र अंतर्गत हाथियों का वास स्थल है, जंगलों का घनत्व ज्यादा होने तथा पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने की वजह से हाथी यह पर झुण्ड में रहते हैं। वहीं दूसरी ओर उक्त स्थान के आस-पास गांव लगे हैं, ग्रामीण यहां खेती भी करते हैं, जिसे खाने के लिए हाथी यहां अक्सर दिखाई देते हैं।

असुरक्षित है बिजली तार:

जिस जगह पर हाथी की मौत हुई, वहां बिजली तार की ऊंचाई बेहद कम है, इसी वजह से जंगल में चहलकदमी कर रही मादा हाथी उसकी चपेट में आ गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग को सूचना दे दी गई थी। हाथी के मौत की खबर सुनते ही वन अमले की टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। उक्त क्षेत्र समेत आस-पास के जंगलों में इन दिनों हाथियों की आवाजाही बनी हुई है। जंगली जानवरों की मौजूदगी को देखने के बाद भी बिजली विभाग द्वारा जंगल के बीच से खींची गई बिजली तार को ऊंचाइयों पर ले जाना जरूरी नहीं समझा गया है। असुरक्षित तरीके से बिजली प्रवाहित तारों में जानवर की मौत के बाद भी बिजली विभाग द्वारा तार की ऊंचाई पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

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