भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने कहा है कि प्रदेश के किसानों को कम मेहनत और कम रिस्क में ज्यादा लाभ दिलाने के लिए वन विभाग द्वारा बांस की फसल को प्रोत्साहित किए जाने के साथ ही अनुदान उपलब्ध करा कर उन्हें समृद्ध बनाया जा रहा है।
डॉ. शाह ने बताया कि मप्र राज्य बांस मिशन बोर्ड द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 3597 किसानों द्वारा 3520 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया गया। इन किसानों को तकरीबन 7 करोड़ 20 लाख रुपए का अनुदान उपलब्ध कराया गया। स्व-सहायता समूहों को आत्म-निर्भर बनाने के मकसद से 83 स्व-सहायता समूहों द्वारा मनरेगा में 1020 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपण किया गया। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय साल में तीन हजार से ज्यादा किसानों द्वारा 4443 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया जा रहा है। इसके लिए 10 करोड़ 60 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह पिछले साल में इस साल 46 और स्व-सहायता समूहों को जोड़ा गया है। इस तरह कुल 129 स्व-सहायता समूहों द्वारा 2428 हेक्टेयर क्षेत्र में बाँस रोपण किया जा रहा है।
चार साल में 40 लाख रुपए की मिलती है फसल :
उन्होंने बताया कि बांस लगाने के चौथे साल से प्रति भिर्रा न्यूनतम 10 बांस तकरीबन 40 फिट लंबे हो जाते हैं। इस तरह 40 हजार पौधे से इतने ही बांस उपलब्ध हो जाते हैं। प्रति बांस 100 रुपए के हिसाब से बिकता है। इनकी बिक्री से 40 लाख रुपए की फसल हितग्राही को मिल सकती है। बाँस के खरीददार खेत से ही फसल ले जाने से परिवहन खर्च भी नहीं होता। इसके अलावा उत्पादक किसान को चौथे साल में प्रति एकड़ एक हजार क्विंटल बाँस की सूखी पत्ती प्राप्त हो जाती है। इस पत्ती को जमीन में गाड़कर उच्च क्वालिटी की कम्पोस्ट खाद भी बनाई जाती है। इसका उपयोग सब्जी और अन्य तरह की खेती में किया जाता है। वनमंत्री ने कहा कि बाँस की कतारों के बीच में मिर्च, शिमला मिर्च, अदरक और लहसुन की फसल उगाई जा सकती है। बाँस की कतार में इन फसलों में पानी कम लगता है और गर्मी में विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है जिससे अच्छा उत्पादन हो जाता है।
ऐसे मिलता है अनुदान :
बांस की खेती करने पर हितग्राही को प्रति पौधा 120 रुपए का अनुदान तीन वर्ष में मिलता है। पहले साल 60 रूपये, दूसरे साल 36 रुपए और तीसरे साल 24 रुपए का अनुदान मिलता है।
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