भोपाल। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नाम से मध्यप्रदेश के राज्यपाल को फोन करने के मामले में वोडाफोन-आईडिया लिमिटेड के फ्रेंचाईजी प्रकाश दशरथ शैलार की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत याचिका को अपर सत्र न्यायाधीश अतुल सक्सेना की अदालत ने मामला गंभीरप्रवृत्ति का होने से निरस्त कर दिया।
वोडाफोन-आईडियाके फ्रेंचाईजी प्रकाश दशरथ शैलार ने मामले के एक अन्य आरोपी दक्ष अग्रवाल को फर्जी नाम से सिम प्रदान की थी। अदालत में एसटीएफ की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुनील श्रीवास्तव ने आरोपी के अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसे अग्रिम जमानत दिए जाने का विरोध किया है। न्यायाधीश ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए मामला गंभीर प्रवृत्ति का होने से अग्रिम जमानत आवेदन को निरस्त कर दिया है।
मामले के अनुसार 3 जनवरी 2020 को आरोपी कुलदीप वाघेला ने खुद को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बताते हुए राजभवन के लैंडलाइन फोन पर फोन कर तत्कालीन राज्यपाल से बात कर मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति पद पर मामले के सह आरोपी डॉ.चन्द्रेश शुक्ला को नियुक्त किए जाने संबंधी सिफारिश की थी। तत्कालीन राज्यपाल के तत्कालीन एडीसी विजय राणा ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में शिकायती आवेदन प्रेषित किया था। एसटीएफ ने आवेदन पर जांच के बाद आरोपियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड की संहिंता की धारा- 419,420,467,468,471 और आईटी एक्ट की धारा- 66 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है।
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