ओझर, मध्यप्रदेश। जिले के राजपुर तहसील की भोरवाड़ा ग्राम के 50 घरों वाले भिलाला बाहुल्य मोहल्ला डुडवापूरा में अजीबों-गरीब वाक्या देखने को मिला। यहां मंगलवार को बस्ती के प्रवेश मार्ग पर आम के पत्तों की बंधनवार, बांधकर इसके नीचे से ग्राम के पालतू जानवर गाय, भैंस, बेल, बकरा-बकरी, मुर्गा-मुर्गी व ग्रामीण इसके नीचे से गुजरे और उसके बाद गुरुवार तक बस्ती में प्रवेश और निकास पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। इसका कारण डेढ़ साल में 8 से ऊपर जवान लोगों की मौत दुर्घटना, दवाई पीकर व फांसी लगाकर मरना बताया है।
बस्ती में अनहोनियों से निजात पाने के लिए बस्ती की सीमाओं को मंगलवार से बैलगाड़ियों से व काटे डालकर सील कर दिया गया था। इसके साथ रात-दिन रास्तों की पहरेदारी भी की गई कि कोई आ जा ना सके। ग्राम के सरपंच राजाराम डुडवाल भी इसी मोहल्ले में रहते है। सरपंच ने बताया कि यह यहां के बुजूर्गों का फैसला है, जिसका पालन करना हमारा फर्ज है। सरपंच ने बताया कि हाल ही में राखी के आसपास की घटना है। यहां का थानसिंग पिता बिलवर घर की छत पर सो रहा अचानक रात में छत से गिरा और उसकी मौत हो गई। जबकि छत के चारों और ऊंची दीवारें है। वहीं और मौतों की तरह भविष्य (अज्ञात हवा) ने उसकी जान भी ले ली। ग्राम के बुर्जुग बिशन पिता दगड़िया ने बताया कि अनहोनियों से बचने के लिए हमने खरगोन जिले भमोरी निवासी रामलाल पिता लक्ष्मण, भारत, शोभाराम, मांगीलाल आदि को बुलाया, जो पूजा-पाठ कर खराब शक्तियों को हमारे यहां से निकाल फेकेंगे। इसके लिए घी और आटे का विशेष प्रसाद बनाया जा रहा। गुरुवार शाम से रास्ते खोल दिए गए।
यह भी किया उपाय :
सभी घरों में बिना छोंक भगार के सादा भोजन किया। महिलाएं पानी भरने नहीं गई पुरुषों ने घर का पानी एक ही बर्तन से भरा गोबर को घर से बाहर नहीं रखा, पशुओं को नहीं छोड़ा। जैसा ग्राम की सीमा पर आकर बस्ती के लोगों ने इस प्रतिनिधि को बताया। वहीं पहरेदारी में ग्राम के बच्चे भी आगे रहे। इस प्रतिनिधि को बच्चों ने अंदर नहीं जाने दिया। सरपंच के आने पर बात हो सकी।
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