इस्तीफा मंजूर किया तो चुनाव लड़ेंगी निशा बांगरे Syed Dabeer Hussain - RE
मध्य प्रदेश

Exclusive: इस्तीफा मंजूर हुआ तो चुनाव लड़ेंगी निशा बांगरे- शासन ने वेतन रोका, नौ हजार रुपए प्रतिमाह पेनल्टी

Shravan Mavai

Nisha Bangre Will Contest Elections if Resignation is Accepted : भोपाल। चर्चित डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे चुनाव लडऩे के मूड में है, हालांकि वह फिलहाल चुनाव लडऩे को लेकर हां और ना की स्थिति में खुद को सार्वजनिक तौर पर रख रही हैं, लेकिन यह तय है कि अगर शासन ने उनका इस्तीफा मंजूर किया तो वह बैतूल की आमला सीट से चुनाव लड़ेंगी। उन्हें कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद है। यह उम्मीद अब और पक्की हो गई है, जब उनकी मुलाकात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से हो गई है। हालांकि उन्होंने इस मुलाकात को गैर राजनीतिक और औपचारिक मुलाकात बताया है। निशा बांगरे का सरकार से टकराव का नतीजा यह हुआ कि उनका जून माह का वेतन रोक दिया गया है और उनसे भोपाल स्थित सरकारी आवास का नवंबर 2022 से जून 2023 तक 9 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से राशि मांगी गई है। उन्हें वसूली का नोटिस थमा दिया गया है।

राजएक्सप्रेस डिजीटल ने उनसे चुनाव लडऩे से लेकर सरकार से टकराव तक पर सीधी बातचीत की

सवाल: क्या आप चुनाव लड़ेंगी?

जवाब: मैंने अपने पद से इस्तीफा शासन को भेज दिया है। शासन ने अब मेरा इस्तीफा मंजूर नहीं किया है, अगर शासन इस्तीफा मंजूर करता है तो विधानसभा चुनाव लड़ सकती हूं। मुझे ऐसी आशंका है कि शासन मेरा इस्तीफा मंजूर नहीं करेगा।

सवाल: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात में क्या चर्चा हुई?

जवाब: कमलनाथ जी से मुलाकात औपचारिक थी, उनसे कोई भी राजनीतिक बात नहीं हुई है। चुनाव लडऩे को लेकर बिल्कुल भी चर्चा नहीं हुई। मैंने उन्हें अपनी समस्याएं बताई हैं।

सवाल: सर्वे में आपके चुनाव लडऩे की बात कही जा रही है और आप इंकार कर रहीं हैं?

जवाब: कई सर्वो के अनुसार मुझे बीजेपी से चुनाव लड़ाया जा रहा था तो फिर कांग्रेस मुझे अचानक से टिकट कैसे दे देगी। कई तरह की चर्चाएं होती रहती हैं। उनका धरातल पर कोई आधार नहीं होता है।

सवाल: बैतूल जिले की आमला विधानसभा क्षेत्र में आपकी काफी लोकप्रियता है। क्या चुनाव लडऩे की चर्चा का यही आधार है?

जवाब: मैंने प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते जमीनी स्तर पर असहाय -बेसहारा लोगों के लिए काम किया है। उनकी समस्याओं का निराकरण किया। कई इलाकों में शिक्षक स्कूलों में नहीं पहुंचते थे, सडक़ेें नहीं थी। लोगों को इलाज मुहैया नहीं होता था, इस तरह की कई समस्याएं यहां के लोगों को रहती है, मैंने उनकी समस्याओं को काफी हद तक हल करने की कोशिश की। सरकारी अफसर की जिम्मेदारी यही है कि वह लोगों का काम करें। वही मैंने किया। लोग मेरे काम को प्रोत्साहित करने लगे, इस वजह से क्षेत्र में मेरी चर्चा है।

सवाल: अगर आप चुनाव लड़ीं तो क्या मुद्दे होंगे?

जवाब: अगर मुझे कांग्रेस ने टिकट दिया और चुनाव लडऩे का मौका मिला तो मेरे मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य और आवागमन को सुगम बनाने जैसे मुद्दे मुख्य रूप से होंगे। इस इलाके में महिलाएं कई किलोमीटर दूर से पानी लाती हैं, उनका पूरा दिन पानी लाने में गुजर जाता है। इसी तरह स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद खराब है। यहां के इलाकों में कई किलोमीटर पैदल चलकर लोग इलाज कराने स्वास्थ्य केन्द्र तक आते हैं। वहीं कई इलाकों में स्कूल नहीं है। इसके अलावा यहां रोजगार नहीं है। यहां से लोग पलायन कर रोजगार की तलाश में देशभर में भटकते रहते हैं।

सवाल: शासन से क्यों लड़ाई लड़ रहीं हैं ?

जवाब: शासन से मेरी निजी कोई लड़ाई नहीं है। मैंने धार्मिक कार्यक्रम (धर्मसभा) में शामिल होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई। जब मैं अपने परिवार के साथ धार्मिक आयोजनों में शामिल ही नहीं हो सकती तो फिर ऐसे पद का क्या करना है। इसलिए मैंने अपने साथ हुए अन्याय के विरोध में पद से इस्तीफा दिया है, जिसे शासन ने अब तक मंजूर नहीं किया।

सवाल: सरकारी आवास का क्या मामला है?

जवाब: जैसे ही मैंने अपने पद से इस्तीफा दिया, शासन ने भोपाल स्थित सरकारी आवास का किराया वसूली का नोटिस भेज दिया। मुझसे नवंबर 2022 से जून 2023 तक का 9000 रुपए प्रतिमाह पेनल्टी सहित किराया मांगा जा रहा है, जबकि मेरे वेतन से हर माह 900 रुपए मकान किराए के नाम पर काटा गया है। शासन ने मेरा जून माह का वेतन रोक दिया है, जो कि अब तक नहीं मिला है। मैं यह बताना चाहती हूं कि नवंबर 2022 में मेरा तबादला भोपाल से बैतूल किया गया था और मुझे यहां (बैतूल) अप्रैल 2022 में सरकारी मकान मिला। इस वजह से मैंने भोपाल का मकान खाली नहीं किया, जिसमें मेरा सामान रखा हुआ था। इसके बावजूद भी शासन आवास किराया जुर्माना सहित वसूल करने का नोटिस दे रहा है।

सवाल: क्या आपकी बात शासन स्तर पर किसी बड़े अधिकारी से हुई है। जैसे कि प्रिंसीपल सैके्रेट्री या चीफ सैकेट्री से?

जवाब: नहीं अब तक मेरी बात किसी भी बड़े अधिकारी से नहीं हुई है और न ही उनकी तरफ से मुझे बात करने बुलाया गया है। मामला नोटिस, आरोप पत्र के बीच ही चल रहा है।

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