भोपाल, मध्यप्रदेश। आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां तो जोरों शोरों से तैयारियां कर ही रहीं हैं, अब कर्मचारी भी चुनाव के इस मौसम में अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन करने सड़कों पर उतरेंगे। जुलाई से मध्यप्रदेश में कर्मचारी अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन करेंगे। कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम, डीए समेत अन्य मुद्दे उठाएंगे। इस आंदोलन में पेंशनर्स की समस्याओं और मांगों को भी सरकार के समक्ष उठाया जाएगा। मध्यप्रदेश अधिकारी/कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने तीन चरण में इस आंदोलन को करने का ऐलान किया है। 50 से ज्यादा कर्मचारी संगठन आंदोलन में शामिल होंगे
कर्मचारी मांगों में ओल्ड पेंशन सिस्टम को दोबारा लागू किया जाना, महंगाई भत्ता, आवास भत्ते की दर को ना बढ़ाया जाना, दैनिक वेतन भत्ते और संविदा कर्मचारियों को नियमित किये जाना आदि शामिल है।
कर्मचारियों ने लगाए आरोप :
कर्मचारी संघ ने सरकार पर अधिकारी, कर्मचारी एवं पेंशनरों की लंबित मांगों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया है। इनका कहना है की इनकी मांगे बहुत समय से लंबित है जिन पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया कि, 'कई मांगें ऐसी हैं, जो सालों से लंबित है। बावजूद इसके सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही है। इसके चलते जुलाई से तीन चरणों में आंदोलन कर रहे हैं। प्रदेश के 50 से ज्यादा कर्मचारी संगठन आंदोलन में शामिल होंगे। इसे लेकर बैठक भी हो चुकी है।'
सूत्रों के हवाले से खबर है की मध्यप्रदेश पटवारी संघ भी आंदोलन करेगा। जून में ही ये आंदोलन होंगे। मंगलवार से रैली निकालने की शुरुआत होगी। वहीं, मुख्यमंत्री को संबोधित स्मरण पत्र सभी जिलों में मंत्री, सांसद और विधायकों को दिए जाएंगे।
तीन चरण में इस तरह होगा आंदोलन :
11 जुलाई को प्रदेश के सभी जिलों में रैली निकालकर मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव के नाम कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
11 अगस्त को प्रदेश के सभी कार्यालयों में सामूहिक अवकाश पर अधिकारी-कर्मचारी रहेंगे।
10 सितंबर तक मांगें नहीं मानी जाती है तो भोपाल में प्रदेशव्यापी धरना देंगे। साथ ही अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा की जाएगी।
सरकार के सामने इन मांगों को लेकर कर्मचारी संघ करेगा आंदोलन :
अधिकारी-कर्मचारी और पेंशनर्स को महंगाई भत्ता नहीं
महंगाई भत्ता का देय तिथि से एरियर का भुगतान नहीं किया गया।
वर्ष 2016 से पदोन्नति रूकी हुई है। इसके लिए प्रदेश सरकार कोई रूचि नहीं ले रही है। जिसके कारण हजारों अधिकारी एवं कर्मचारी पदोन्नति की बांट देखते-देखते सेवानिर्वत होते जा रहे हैं।
स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू नहीं किया जा रहा है।
आवास भत्ते की दरों को नहीं बढ़ाया जा रहा है।
अनेक संवर्गों में वेतन विसंगति व्याप्त है। लिपिकों की वेतन विसंगतियां दूर नहीं की जा रही है।
एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
ग्रेड पे की विसंगति का निराकरण हो।
अध्यापकों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता दी जाए।
निगम मंडलों में छठवां एवं पंचायत सचिवों को सातवां वेतनमान अभी तक नहीं दिया गया है। यह जल्द मिलें।
अनुकंपा नियुक्ति में सरलीकरण नहीं किए जाने के कारण हजारों आश्रित परिवार कार्यालयों के चक्कर लगाते भटक रहे हैं। यह प्रक्रिया ठीक की जाए।
नियमित शिक्षको का पदनाम परिवर्तन नहीं हो पाया है।
दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी, कोटवार, आउटसोर्सिंग कर्मचारी को नियमित नहीं किया जाए।
आशा एवं उषा कार्यकर्ता, जन स्वास्थ्य रक्षक की मांगों का निराकरण हो।
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