इंदौर। विजय नगर में अनुभूति विजन सेवा संस्थान में रह रही किशोरी की तबियत बिगडऩे के बाद उसकी जांच में पता चला कि वह 6 माह से गर्भवती है। पीडि़ता मानसिक रुप से बीमार होने के साथ ही बोल नहीं सकती थी। पुलिस ने आरोपी का पता लगाने के लिए साइन लेंग्वेज एक्सपर्टस की मदद भी ली लेकिन आरोपी का कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद भी पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल जारी रखी। डीएनए टेस्ट से ये सनसनीखेज खुलासा हुआ कि पीडि़ता के साथ उसके भाई ने ही घर में दुष्कर्म किया था उसके बाद वह गर्भवती हो गई थी। पुलिस ने आरोपी को गिर तार कर लिया है।
फरवरी माह के प्रथम पखवाड़े में विजयनगर के अनुभूति विजन सेवा संस्थान में 4 साल से रह रही किशोरी की तबियत अचानक बिगड़ी। मां उसे अस्पताल लेकर पहुंची। डाक्टर ने जांच के बाद बताया कि वह 6 माह की गर्भवती है। मां के होश उड़ गए। मामले ने तूल पकड़ा पीथमपुर की रहने वाली पीडि़ता मानसिक रुप से कमजोर होने के साथ ही मूक भी थी। विजयनगर पुलिस ने पीडि़ता की मां की रिपोर्ट पर रेप का केस दर्ज कर मामले की जांच शुरु की। इस दौरान आश्रम के कई कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई लेकिन मामले का खुलासा नहीं हो पाया। पीडिता की मां ने आरोप लगाया कि उसके साथ आश्रम में ही रेप हुआ है।
आश्रम की संचालिका ने इस बात से इनकार करते हुए पुलिस को कई तथ्यों से अवगत करवाया। जांच में ये भी पता चला कि पीडि़ता को मिर्गी के दौरे भी आते हैं। अगस्त 2022 में परिजन उसे पीथमपुर स्थित अपने घर ले गए थे और उसके ठीक होने के बाद नवंबर में उसे फिर से अनुभूति विजन संस्था में भर्ती करवा दिया गया था। पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस को बताया था कि जब वह उसे पीथमपुर ले गए थे, तब वह पूरी तरह से ठीक थी।
आश्रम ने 7 और 8 फरवरी को फोन लगाकर उसके पीरियड्स नहीं आने की जानकारी दी। 9 फरवरी को परिजनों ने मेडिकल चेकअप करवाया तो पता चला कि वह गर्भवती है। पुलिस ने इस मामले में कई बिन्दुओं पर जांच पड़ताल की इसके साथ ही कई लोगों के डीएनए से पल लिए तो ये पता चला कि किशोरी के साथ उसके भाई ने ही घर पर रेप कर उसे गर्भवती बना दिया था। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिर तार कर लिया है।
स्पाट पर ही पता चल जाएगा गाड़ी चोरी की तो नहीं..!
इंदौर। डीसीपी ट्रैफिक मनीष कुमार अग्रवाल ने सभी अधिकारियों व यातायात प्रबंधन पुलिस टीम को दिशा निर्देश दिये हैं कि शहर के चौराहों व मार्गों पर बेहतर यातायात प्रबंधन का कार्य करें साथ ही अमानक नंबर प्लेट, संदिग्ध वाहनों के नंबर को वीडीपी (व्हीकल डिटेक्शन पोर्टल)पर भी सर्च करें यदि कोई वाहन चोरी का पाया जाता है तो सबन्धित थाने से संपर्क कर कार्यवाही करवाएं।
टीम को वीडीपी पोर्टल की एक लिंक प्रदान की गई है, जिसके माध्यम से चैकिंग पॉइंट पर ही संदिग्ध वाहन की पहचान की जा सकती है। वीडीपी पोर्टल एक वेब आधारित एप्लीकेशन है, जिसमे मध्यप्रदेश पुलिस की स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पोर्टल सीसीटीएनएस में दर्ज चोरी के वाहनों का डाटा होता है। व्हीकल न बर सर्च करने पर यदि कोई वाहन चोरी का होता है तो सर्च करते ही रेड ब्लिंक ऑप्शन आता है जिसपर स्टोलेन लिखा होता है, ऑप्शन पर क्लिक करते है स बन्धित वाहन की चोरी की रिपोर्ट, थाना सहित अन्य जानकारी प्राप्त हो जाती है। यातायात प्रबंधन पुलिस द्वारा हर रोज करीब 300 से अधिक वाहनों की जांच की जा रही है।
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