भोपाल,मध्यप्रदेश । अदालत ने 41 साल से चल रहे तारासेवनिया गांव के जमीन विवाद के दीवानी मुकदमे को खारिज कर दिया है। मुकदमा खारिज कर देने से जहां मुकदमे के वादी पक्ष को निराशा हाथ लगी है, वहीं प्रतिवादी पक्ष इसे अपनी जीत बता रहा है। हालांकि वादी पक्ष इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील दायर करने जा रहा है। जिला न्यायाधीश सुरेश कुमार सूर्यवंशी की अदालत ने 41 साल से जिला अदालत में विचाराधीन जमीन विवाद के इस दीवानी मुकदमे को खारिज करने का फैसला सुनाया है।
मामले के अनुसार विवादित जमीन के असली मालिक शिवप्रसाद श्रीवास्तव गांव के जागीरदार थे। शिवप्रसाद ने दो शादियां की थीं। पहली शादी रानीबाई और दूसरी भंवर कुंवरबाई से हुई थी। रानीबाई की कोई संतान नहीं थी। भंवर कुंवरबाई से एक बेटा अवधनायारायण और एक बेटी शांतिबाई थे। उनकी तीन गांव में 600 एकड़ जमीन थी। वर्ष 1980-81 में शिवप्रसाद श्रीवास्तव की मौत के बाद कुछ जमीन पर गांव वालों ने कब्जा कर लिया। मुंशी लक्ष्मीनारायण शर्मा के बेटे स्वरूप नारायण ने 12 अप्रैल 1982 को जिला अदालत में भंवर कुंवरबाई समेत 45 लोगों के खिलाफ मामला दायर कर जमीन को अपना बताते हुए कहा कि भंवर कुंवरबाई समेत अन्य लोगों पर उनकी 325 एकड़ जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कब्जा खाली करवाने की मांग की थी ।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान जून 2019 में स्वरूप नारायण शर्मा का निधन हो गया। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों ने केस लड़ना शुरू किया। शांतिबाई के अनुसार पिता शिवप्रसाद श्रीवास्तव गांव के जागीरदार थे। उनकी तीन गांव में 600 एकड़ जमीन थी। पिता के निधन के बाद बहुत सारी जमीन पर गांव वालों ने कब्जा कर लिया। उनके कब्जे में अब सिर्फ 17 एकड़ जमीन ही बची है। भाई अवधनारायण के दो बेटे महेंद्र और सुरेंद्र हैं। महेंद्र स्कूल बस चलाकर परिवार का जीवनयापन करता है।
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