दिग्गी ने 2014 में एसटीएफ को सौंपी थी संदिग्ध छात्रों की सूची Social Media
मध्य प्रदेश

दिग्गी ने 2014 में एसटीएफ को सौंपी थी संदिग्ध छात्रों की सूची, जांच एजेंसी को लगे 8 साल

मध्यप्रदेश। 2008 और 2009 में PMT Scam में गैर कानूनी तरीके से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के लिए आरोपियों के खिलाफ एसटीएफ ने प्रकरण दर्ज किया है।

Raj News Network

मध्यप्रदेश। पीएमटी 2008 और 2009 में हुआ घोटाला एक बार फिर से सुर्खियों में आया है। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम में हुए एक बड़े घोटाले को फिर हवा दी जा रही है इतने समय से शांत हुए मसले को फिर चिंगारी मिली है, दरअसल 2008 और 2009 हुए में PMT Scam में गैर कानूनी तरीके से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के लिए आरोपियों के खिलाफ बीते दिन गुरुवार को धोखाधड़ी तथा अन्य धाराओं के तहत मध्य प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने प्रकरण दर्ज किया है।

हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 2014 में एसटीएफ को संदिग्ध विद्यार्थियों की सूची सौंपी थी। मामले की जांच करने में जांच एजेंसी ने आठ साल लगा दिए। जांच में पाया गया है, कि आरोपियो ने अपनी जगह किसी और व्यक्ति (साल्वर) को भेजकर पीएमटी परीक्षा पास की थी। इन्होंने गांधी मेडिकल कालेज भोपाल में प्रवेश लिया था। गुनाह और गुनाहगार साबित होने के बाद भी आज 8 साल बाद इस मामले पर बात की जा रही है इससे प्रशासन की कछुआ चाल का अंदाजा लगाया जा सकता है।

FIR में दर्ज आरोपियों के नाम :

प्रशांत मेश्राम खेरलांजी, बालाघाट, अजय टेंगर बामोर, मुरैना, कृष्णकुमार जायसवाल, अंबिकापुर छत्तीसगढ़, अनिल चौहान, बड़वानी, हरिकिशन जाटव बामोर, मुरैना, शिवशंकर प्रसाद त्योंथर, रीवा, अमित बड़ोले, बड़वानी, सुलवंत मौर्य, झाबुआ।

दिग्विजय सिंह ने एसटीएफ को तीन प्रकार की सूची सौंपी थी।

1.जिसमें संदिग्धों के मूल निवास का address same था।

2. जिन्होंने उत्तर प्रदेश बोर्ड से दसवीं और बारहवीं की परीक्षा पास की थी, और इनके मध्य प्रदेश से बने मूल निवास प्रमाण पत्र संदिग्ध थे।

3. जिनके परीक्षा फार्म में लगी फोटो और सीट आवंटन पत्र में लगी फोटो में अलग-अलग थी।

दिग्विजय सिंह ने एसटीएफ को पत्र लिखकर कहा था कि, पीएमटी 2006 के बाद जो भी परीक्षाएं व्यापमं द्वारा ली गई हैं, उनमें कुछ लोगों ने व्यापमं के अधिकारियों से आर्थिक लाभ के लिए मिलीभगत कर और भाजपा नेताओं-मंत्रियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग से यह गड़बड़ी की है।

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