दमोह, मध्यप्रदेश।प्रदेश में अभी भी जातिवाद जैसे समस्या निहित है। आधुनिक युग में भी ऐसी मानसिकता जीवित है। तालाब में पानी भरने, सूर्य की रोशनी देने और मछलियों को जीवन देने के लिए प्रकृति ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया, लेकिन गांव के लोग भेदभाव पर ऐसे उतारू हो गए हैं कि चार समाजों ने एक ही तालाब के चार हिस्से कर दिए हैं। छुआछूत की वजह से गांव वालों ने ऐसा कदम उठाया है,यहां तक कि कुएं से पानी ले जाने के लिए भी लोगों को लाइन लगानी पड़ती है।
समाज में छूआ-छूत की वजह से तालाब को बाँटा
बता दें कि दमोह से 8 किमी दूर हिनौती पिपरिया के हिनौती गांव की आबादी 2 हजार है। गांव से सटा निस्तारी तालाब, जो ढाई हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस गांव में चार समाज निवास करते हैं ठाकुर, बंसल,प्रजापति और चौधरी। इन्हीं समाज में छूआ-छूत की वजह से तालाब को चार भागों में बाँट दिया हैं। सरपंच ने बताया- पुरानी परंपरा है, पहले के लोगों ने कोई पहल नहीं की, इसलिए आज भी ऐसी स्थिति बनी हुई है। 75 साल के बुजुर्ग कहते हैं इस परंपरा से किसी को आपत्ति भी नहीं है।
4 हैंडपंप, पर पानी नहीं देते कुएं पर लगती हैं लाइन :
गांव में जो पानी की टंकी बनी थी, उसमें दरारें आ गई हैं। चार हैंडपंप लगाए गए थे, उनमें पानी नहीं निकला तब से वो बंद ही पड़े हैं । ऐसे में निस्तारित तालाब और लंबरदार का कुआं पानी के लिए रह जाता है, जिसके सहारे पूरा गांव रहता है। गांव के निवासी ने बताया कि तालाब का उपयोग नहाने, धोने के लिए होता है। पीने का पानी भरने गांव से 600 मीटर दूर कुएं पर जाते हैं, वहां पर जिस समाज के लोग पहले पहुंचते हैं, वह पहले पानी भर लेते हैं, उसके बाद दूसरे समाज के लोग पानी भरते हैं।
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