भोपाल। जिन स्मारकों और विरासतों ने मध्यप्रदेश की सभ्यता और संस्कृति को संरक्षित करके रखा है, ऐसी 64 ऐतिहासिक धरोहरों पर संकट मडराता जा रहा है। ओरछा के शिव मंदिर को भूसे के घर में बदल दिया गया है, जबकि खजुराहो के विश्व धरोहर स्थल महाराज प्रताप सिंह की छतरी में एक निजी कैफे खोला गया है। जबलपुर के विष्णु वराह मंदिर पर कब्जा कर गोशाला व दुकानें खोल दी गईं और ओरछा के शिव मंदिर में तो भूसा का गोदाम बना रखा है। कैग रिपोर्ट में विरासत की ऐसी चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है।
नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) ने प्रदेश में पहली बार 506 स्मारकों में से 189 स्मारकों, 22 संग्रहालयों और 6 अभिलेखागार का ऑडिट किया है। जिसकी रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रदेश की ऐतिहासिक विरासतों के हालात इतने खराब हैं कि 64 जगह अतिक्रमण की चपेट में हैं। आगजनी जैसी स्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं है। फायर अलार्म सिस्टम नदारद है, इसलिए यहां वर्षों से रखे दस्तावेज भी मेंटेन नहीं किए गए। आलम यह है कि दतिया का सूर्य मंदिर, मंदसौर का किला, छतरपुर का भीमकुंड, रायसेन का गिन्नौरगढ़ का किला, ग्वालियर की छतरियां, दरफीन की सराय व भोपाल की लालघाटी, गोंदरमऊ व धरमपुरी के शैलाश्रयों का वर्षों से सर्वे अधूरा है। कैग ने संग्रहालयों और अभिलेखागार के प्रबंधन पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।
रिपोर्ट में आर्कियोलॉजी विभाग की देखरेख पर भी सवाल उठाए गए हैं, कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि संरक्षित धरोहरों और अन्य म्यूजियम में फायर सेफ्टी के इंतजाम के साथ अलार्म भी नहीं पाए गए और दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया। आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने 526 संरक्षित स्मारक, 43 संग्रहालय और 6 अभिलेखागार नोटिफाई की है, कैग ने पहली बार 189 स्मारक 22 संग्रहालय और 6 अभिलेखागार का आर्डर किया है।
सर्वे के दौरान कई ऐतिहासिक विरासतों में बड़ी खामियां देखीं गईं। जिसमें से ृदंडात्मक बोर्ड 184 जगह नहीं पाए गए, सुरक्षा दीवार 79 स्मारकों में नहीं है, 105 से ज्यादा जगह पर केयरटेकर मौजूद नहीं हैं। इसके अलावा 89 स्थानों पर से साइन बोर्ड गायब हैं, यहां तक कि 43 ऐसी जगह भी हैं जहां स्मारकों के लिए पहुंचने के लिए सडक़ तक नहीं है।
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