जबलपुर, मध्य प्रदेश। उप्र अमेठी से अहमदाबाद एक्सप्रेस में यात्रा कर रहीं एक महिला के स्टेशन में ट्रेन छूटने पर एकाएक गायब होने व दस माह बाद भी उसका पता नहीं चलने के मामले को हाईकोर्ट ने सख्ती से लिया। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की एकलपीठ के समक्ष सोमवार को हुई सुनवाई दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि महिला की तलाश जारी है, जवाब के लिये उन्हें कुछ मोहलत प्रदान की जाये। जिस पर एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को निर्धारित की है।
यह बंदी प्रत्यक्षीकरण का मामला उप्र अमेठी निवासी उदय प्रताप यादव की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया कि उनकी बहन व अन्य रिश्तेदार फरवरी माह में अहमदाबाद एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे। पिपरिया स्टेशन में उनकी बहन पूनम उम्र 52 वर्षीय किसी कार्य से ट्रेन से उतरी, इसके बाद वापस नहीं आई, उस दौरान अन्य रिश्तेदार सो रहे थे, जिस कारण किसी को कुछ पता नहीं चला। इसके बाद मामले की शिकायत गाडरवारा जीआरपी थाने में दर्ज करायी गई। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज करते हुए आसपास के सीसीटीव्ही फुटेज खंगाले। आरोप है कि उक्त फुटेज में एक व्यक्ति महिला को कुछ खिलाकर अपने साथ ले जाते दिखा और फिर वापस स्टेशन में छोड़ते हुए भी दिखा। आवेदक की ओर से दावा किया गया इंवेस्टीगेशन के दौरान पुलिस गिरफ्त में आये धनीराम ने अपने बयान में भी कहां कि वह महिला को वापस छोड़ गया था, लेकिन उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं है। उक्त बयानों के बावजूद भी पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और महिला का आज तक कुछ पता नहीं है। मामले में मानव तस्करी होने की आशंका व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट की शरण ली गई है। मामले में मप्र शासन के गृह सचिव, डीजीपी रेलवे, एसपी रेलवे जबलपुर व एसएचओं जीआरपी गाडरवारा सहित धनीराम उर्फ बाबूलाल सिलावट को पक्षकार बनाया गया है। मामले की सुनवाई पश्चात न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हितेन्द्र कुमार गोल्हानी ने पक्ष रखा।
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