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मध्य प्रदेश

इंदौर हाईकोर्ट बार अध्यक्ष को कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट का नोटिस

इंदौर: हाई कोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर की ओर से हाई कोर्ट इंदौर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सूरज शर्मा को कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट (न्यायालय की अवमानना) का नोटिस दे दिया गया।

Satish Dixit

इंदौर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट (न्यायालय की अवमानना) की चेतावनी के बावजूद प्रदेश भर के लगभग एक लाख वकील मध्यप्रदेश स्टेट बार काउंसिल (Madhya Pradesh State Bar Council) के आव्हान पर लगातार तीसरे दिन शनिवार को भी हड़ताल पर रहे। हाई कोर्ट (High Court) की मुख्य पीठ जबलपुर की ओर से हाई कोर्ट इंदौर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सूरज शर्मा को कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट (न्यायालय की अवमानना) का नोटिस दे दिया गया।

हाई कोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर ने दी थी चेतावनी:

हाई कोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर ने स्वयं संज्ञान लेकर दायर याचिका की सुनवाई कर आदेश देते हुए चेतावनी दी थी कि, वकील हड़ताल से वापस लौट आएं वरन् कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। मप्र हाई कोर्ट द्वारा 25 चिन्हित प्रकरणों के तीन माह में निराकरण की समय सीमा तय करने के खिलाफ स्टेट बार काउंसिल की अगुवाई में 23 मार्च से 25 मार्च तक प्रदेश की सभी अदालतों में वकील पैरवी नहीं कर रहे हैं।

सुनवाई कर आदेश किया पारित :

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट मुख्य पीठ जबलपुर ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की थी। शुक्रवार को चीफ जस्टिस रवि मलिमथ (Chief Justice Ravi Malimath) व जस्टिस विशाल मिश्रा (Justice Vishal Mishra) की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि वकील वकालत के लिए कोर्ट जाएं। जानबूझकर पैरवी के लिए उपस्थित नहीं होने वाले वकीलों और उन्हें पैरवी के लिए रोकने वालों और कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। अध्यक्ष सूरज शर्मा (Suraj Sharma) ने पुष्टि करते हुए बताया हाई कोर्ट का नोटिस मिला है।

गौरतलब हैं कि, स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमेन एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आरके सिंह सैनी ने बताया कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 25 चिन्हित प्रकरणों के निराकरण के लिये 3 माह का जो समय दिया गया है, वो बहुत ही कम है। उसमे से भी यदि शनिवार, रविवार एवं अन्य अवकाश घटा दिये जाये तो सिर्फ 60-62 दिन ही मिलते है। जो किसी भी प्रकरण के निराकरण के लिये अत्यधिक कम है। जिससे अधिवक्तागणों को अनेकों व्यवसायिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही जिला न्यायालय के न्यायाधीश भी सिर्फ वाहवाही लूटने के लिये प्रकरणों का निराकरण कर रहे है।

Edited By: Deeksha Nandini

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