इंदौर, मध्यप्रदेश। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में हुकुमचंद मिल जमीन मामले में लगी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। हुकमचंद मिल की जमीन की 29 जुलाई को होने वाली नीलामी फिलहाल टल गई है। कोर्ट ने मिल की जमीन की नीलामी पर लगाई रोक को जारी रखते हुए बहस के लिए 1 अगस्त की तारीख तय की है। सोमवार को वसूली न्यायाधिकरण मुंबई (डीआरटी) का जवाब आ गया। उसका कहना है कि उसने जमीन का मूल्यांकन सही किया है। अब एक अगस्त को होने वाली बहस के बाद ही तय होगा कि रक्षाबंधन के पहले मजदूरों को कोई राहत मिलेगी या उन्हें लंबा इंतजार करना होगा।
गौरतलब है कि 12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल बंद होने के बाद से मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं। सालों पहले हाई कोर्ट ने मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन मिल की जमीन बिक नहीं पा रही थी। छह साल पहले वसूली न्यायाधिकरण डीआरटी मुंबई ने मिल की जमीन का आरक्षित मूल्य 400 करोड़ रुपये आंका था। बाद में शासन ने जमीन का भू-उपयोग औद्योगिक से बदलकर आवासीय और व्यावसायिक कर दिया। पहले ज्यादा बताया फिर कम बताया जमीन का आरक्षित मूल्य - हाल ही में डीआरटी ने जमीन की नीलामी निकाली तो इसमें आरक्षित मूल्य 385 करोड़ रुपये आंका गया। हुकमचंद मिल के मजदूरों ने इसका विरोध करते हुए हाई कोर्ट में आवेदन दिया है।
कोर्ट ने होने वाली नीलामी पर रोक लगाई :
हाई कोर्ट ने 29 जुलाई को होने वाली नीलामी पर रोक लगाते हुए मामले में डीआरटी से जवाब मांगा था। मजदूरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरजसिंह पवार ने बताया कि सोमवार को डीआरटी का जवाब आ गया। इसमें कहा है कि मिल की जमीन के आरक्षित मूल्य का आंकलन सही किया गया है। कोर्ट ने जवाब रिकार्ड पर ले लिया है। अगली सुनवाई 1 अगस्त को होना है।
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