भोपाल, मध्य प्रदेश। आगामी विधानसभा उपचुनाव में जिम्मेदार अफसरों ने संविदा कर्मचारियों की चुनाव कार्य में ड्यूटी लगा दी है जो चुनाव आयोग की गाइडलाइन के विरुद्ध है। आश्चर्य की बात यह है कि जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर) को पता नहीं है और अधीनस्थ अफसरों ने दर्जनों संविदा कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगा दी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा रिटर्निंग ऑफिसर्स को दी गई डायरी के बिंदु क्रमांक 4.5 में स्पष्ट है कि चुनाव कार्य के लिए संविदा कर्मचारियों की सेवाएं नहीं ली जा सकती हैं।
ग्वालियर-चंबल सहित प्रदेश के 28 विधानसभा उपचुनावों के लिए खेल विभाग, महिला एवं बाल विकास सहित कई महकमों के संविदा कर्मचारियों की ड्यूटी चुनाव कार्य में लगा दी गई है। ग्वालियर में ग्वालियर विकास प्राधिकरण के सीईओ केके गौर ने संविदा कर्मचारियों को ड्यूटी चार्ट पकड़ा दिया है। सरकारी नियमानुसार संविदा कर्मचारी कोरोना वॉयरिर्स में भी नहीं आते हैं। उनका किसी प्रकार का जोखिम भी इस कोरोना महामारी काल में कवर नहीं है अर्थात उनके साथ किसी तरह की अनहोनी होने पर जिम्मेदारी कौन लेगा। इसके अलावा चुनाव के दौरान अनजान में हुई चूक के लिए उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी। उनकी सेवा में निलंबिन की कार्रवाई का कोई प्रभावधान नहीं है। फिर क्या चूक होने पर सीधे नौकरी जाएगी।
विभागीय अफसरों की रही है चाल :
महिला- बाल विकास एवं खेल विभाग सहित जिन विभागों के संविदा कर्मचारियों की विधानसभा उपचुनाव में ड्यटी लगाई गई है। उसके पीछे संबंधित विभाग के जिला स्तर के अफसरों की गैर जिम्मेदाराना करतूत रही है, जो उन्होंने नियमित कर्मचारियों की बजाय संविदा कर्मचािरयों के नाम जिला निर्वाचन अधिकारी के पास भेज दिए। हालांकि संविदा कर्मचािरयों ने चुनाव प्रशिक्षण की बैठकों में बिना जोखिम कवर किए ड्यटी लगाने का विरोध किया था। जिसकी अनसुनी कर दी गई।
इनका कहना :
विशेष परिस्थितयों में ही किसी संविदा कर्मचारी की ड्यटी लगाई गई है। यदि पीठासीन अधिकारी बनाया गया है तो जानकारी मिलने पर उनकी ड्यटी निरस्त कर देंगे।कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी
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