2018 में जारी हुए नक्से ने खोल दी राजस्व अमले की पोल Shubham Tiwari
मध्य प्रदेश

एनएच से अतिक्रमण हटाने की बजाय पारित कर दिया मुआवजा

उमरिया, मध्य प्रदेश : शासकीय आराजी के खसरे पर रसूखदारों और पूंजीपतियों का था कब्जा, 2018 में जारी हुए नक्शे ने खोल दी राजस्व अमले की पोल।

Author : Shubham Tiwari

राज एक्सप्रेस। नया राष्ट्रीय राजमार्ग 43 जिले के लिए नया सबेरा लेकर आया, जिसमें सभी ने डुबकियां लगाई, छोटे कर्मचारियों से लेकर बड़े अधिकारियों तक इस हमाम मेें सभी ने अपने हाथ साफ किये। सोमवार को मुआवजे की राशि के वितरण की लगभग पूरी तैयारी थी, लेकिन खबर प्रकाशित होने के बाद पूरे मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया और उसके बाद लंबी बैठकों का दौर जारी रहा कि अब इस पूरे मामले को कैसे कंट्रोल किया जाये, लेकिन जिन दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर पूरी व्यूह रचना रची गई, उसके मूल दस्तावेज ही अब बाहर आ रहे हैं, ऐसे में अब इस पूरे खेल को अंजाम देने वाले लोगों की सांसे भी ऊपर-नीचे हो रही हैं।

शासकीय आराजी के खसरे पर रसूखदारों-पूंजीपतियों का था कब्जा :

जिन लोगों को शासकीय आराजी नंबर 668, 669 में 6 करोड़ 70 लाख रूपये की मुआवजे की राशि का वितरण किये जाने की पूरी तैयारी थी, सूत्रों की माने तो एसडीएम कार्यालय में पदस्थ रीडर भूपेन्द्र सिंह चंदेल जिनको उक्त राशि में से 2 करोड़ रूपये अवार्ड होने थे, इसने साथ रसूखदार, सफेदपोश व पूंजीपतियों ने कब्जा कर अतिक्रमण कर रखा था, सड़क के निर्माण के समय यह लोग दबाव बनाकर रोड नहीं बनने दे रहे थे, जिसके पीछे मुआवजा लेने की इस साजिश का भी पर्दाफाश हुआ है, वैसे तो प्रशासन को राष्ट्रीय राजमार्ग से अतिक्रमण हटाना चाहिए था, ना कि मुआवजे वितरण की कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन अगर अतिक्रमण हटा देते तो, उपकृत कैसे होते?

नक्शे ने खोल दी परत :

पुराने एनएच 78 और ग्राम खलेसर का जो नक्शा 19 दिसम्बर 2018 को राजस्व विभाग के द्वारा जारी किया गया है, उसमें स्पष्ट रूप से यह अंकित है कि खसरा नंबर 668 और 669 में शासकीय आराजी की भूमि है और इसी भूमि से राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 78 होकर गुजरा है और सच भी यही है कि इसी भूमि से नये राष्ट्रीय राजमार्ग 43 का भी निर्माण हुआ है। जिन लोगों को मुआवजा वितरण की पूरी तैयारी थी, उनकी एक इंच जमीन भी सड़क निर्माण में उक्त स्थान पर नहीं फसी।

दो दिनों तक चलती रही जद्दोजहद :

पूरा मामले का खुलासा होने के बाद पटवारी, आरआई से लेकर कार्यालय के बाबू, रीडर दो दिनों तक राजस्व विभाग के आलाधिकारियों के साथ बैठक कर इस पूरे मामले में आगे क्या करना है, उसको लेकर चिंतन करते रहे कि कहीं ऐसा न हो कि आगे चलकर यह गले की फांस बन जाये। जानकारों का यह भी कहना है कि इस मामले में शामिल कर्मचारी और अधिकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ भी कर सकते हैं और सबूतों को नष्ट करने का भी काम कर सकते हैं, इसलिए संभाग के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को तत्काल इस मामले में संज्ञान लेते हुए मामले से जुड़ी हुई फाईलों को तलब करना चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

मैं फोन में किसी भी प्रकार से कोई वर्जन देने के लिए बाध्य नहीं हूं, जो भी जानकारी चाहिए तो, आप कार्यालय में आकर ले सकते हैं।
अनुराग सिंह एसडीएम, बांधवगढ़

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