चीता देखने के एक से डेढ़ वर्ष तक इंतजार करना पड़ेगा  RajExpress
मध्य प्रदेश

चीता देखने के लिए आम जन को करना पड़ेगा अभी एक वर्ष इंतजार, छह अन्य राज्यों में शिफ्टिंग की तैयारी

Cheetah Steering Committee Meeting: कूनो चीतों को प्रदेश के गांधी सागर नेशनल पार्क में ही सबसे पहले छोड़े जाने के संकेत दिए हैं।

Deeksha Nandini

ग्वालियर। चीता देखने के इच्छुक देश के वाइल्ड लाइफ प्रेमियों को अभी कम से कम एक से डेढ़ वर्ष तक इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि कूनो में मौजूद चीते अभी पूरे क्षेत्र को समझ रहे हैं। खुले जंगल में छोड़े गए चीते अगर किसी को दिख जाते हैं तो उससे कोई आपत्ति नहीं। इसके साथ ही कूनो में आने वाले चीतों को प्रदेश के गांधी सागर नेशनल पार्क में ही सबसे पहले छोड़े जाने के संकेत दिए हैं। इसके बाद देश के छह अन्य राज्यों में भी चीतों को शिफ्ट किया जाएगा। इसकी तैयारियां की जा रही हैं।

हाल ही में चीतों का मूवमेंट कूनो से शिवपुरी और अशोकनगर के अलावा उत्तरप्रदेश के झांसी की ओर ही ज्यादा हुआ है, इसलिए उत्तरप्रदेश के झांसी मंडल के वन अधिकारियों को भी प्रॉपर मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। यह जानकारी चीता स्टीरियरिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ राजेश गोपाल ने संयुक्त कार्यशाला के बीच दी। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अभी पूरा फोकस चीतों की सुरक्षा और बेहतर माहौल देने पर है। इसके साथ ही पर्यटन बढ़ाने और स्थानीय स्तर पर आम जन को सशक्त कर उन्हें रोजगार के साथ ही चीतों की मॉनीटरिंग के लिए सहयोगी की भूमिका के तौर पर भी तैयार किया जा रहा है। जिस तरह कूनो में चीता मित्र बनाए गए हैं, उसी तरह अन्य अभयारण्यों में भी चीता मित्र बनाने पर काम किया जाएगा।  

दरअसल, कूनो नेशनल पार्क में मौजूद चीतों को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए मंगलवार को तानसेन रेसीडेंसी में संयुक्त कार्यशाला हुई थी। कार्यशाला में सदस्य डॉ एचएस नेगी, मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरके गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी जेएस चौहान, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के आईजी अमित मलिक, वाइल्ड लाइफ इंस्टीटयूट के साइंटिस्ट डॉ कमर कुर्रेशी, एनटीसीए के डीआईजी राजेन्द्र गारवाड़, एआईजी अभिषेक कुमार सहित कूनो डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने जानकारियां साझा कीं। इस दौरान ग्वालियर-चंबल संभाग के डीएफओ, रेंजर, डिप्टी रेंजर एवं राजस्व अधिकारी और उत्तरप्रदेश के झांसी मंडल के सीसीएफ और डीएफओ सहित अन्य वन अधिकारी मौजूद थे। संभागायुक्त दीपक सिंह ने सभी अधिकारियों को आपसी समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए। 

इन बिंदुओं पर दिया जाएगा ध्यान

  • चीता सुरक्षा और रखरखाव के मानकों को विश्व स्तर का ही रखा जाएगा।

  • चीता और आम जन में संघर्ष की स्थिति न बने इसके लिए सावधानियां अपनाई जाएंगीं।

  • कूनो और आसपास के क्षेत्र में चीता के विचरण पर ध्यान दिया जाएगाा।

  • चीता संरक्षण और क्षेत्र संवर्धन को लेकर अन्य विभागों से तालमेल करके काम होगा।

  • चीता विचरण क्षेत्र में आम जन को किस तरह से व्यवहार करना है यह सिखाया जाएगा।

  • एक चीता के पीछे नौ लोग हैं। ग्रामीणों के गुप बनाकर चीता सुरक्षा में सहयोग लिया जाएगा।

किया जा रहा है ओरियेंटेशन

स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. गोपाल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा चीता स्थानांतरण को लेकर कही गई बात को लेकर बताया कि चीता स्थानांतरण को लेकर कार्यशाला में कोई चर्चा नहीं हुई है। कूनो में जितने भी चीते आएंगे वे यहां आने के बाद ही दूसरी जगह जाएंगे। चीता रखने के लिए कूनो एक एरिया है, चीता शिफ्टिंग के लिए मध्यप्रदेश में और भी एरिया हैं। देश के छह से सात राज्यों में भी तैयारी है। जो चीते यहां आ चुके हैं वे यहीं रहेंगे, इसके बाद अब जो आएंगे वो दूसरी जगह जाएंगे।

मॉनीटरिंग में कमी नहीं

कमेटी अध्यक्ष ने कूनो में चीतों की डेथ को लेकर कहा कि मॉनीटरिंग में कमी नहीं है। जितनी मॉनीटरिंग यहां हो रही है उतनी और कहीं नहीं है। 13 अन्य देशों में जितनी मॉनीटरिंग हो रही है, उससे बेहतर कूनो में है। चीता सुरक्षा को लेकर बन रही कम्युनिकेशन स्ट्रेटजी को लेकर इंटरनल लेबल पर काम हो रहा है। चीता अभी बायोरिदम एडजस्ट कर रहा है। इसमें कम से कम डेढ़ वर्ष का समय लगेगा। कूनो के प्रतिबंधित क्षेत्र में अभी पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित ही रहेगा, लेकिन जो चीता खुले में जा रहा है वहां अगर कोई देख रहा है तो उस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है।

आम जन के लिए सावधानियां

  • जंगल में अकेले न जाएं। अगर कहीं चीता दिखे तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें।

  • चीता को डराने या मारने के लिए लाठी-डंडों का उपयोग न करें।

  • चीता इंसान के लिए खतरा नहीं है, संयम से काम लें।

  • खेतों पर रात में अनावश्यक अकेले न सोयें।

  • छोटे बच्चे और मवेशियों को खुले में रखें।

चीता मित्र और वन कर्मियों के लिए सावधानियां

  • चीता को जाल या फंदा डालकर पकडऩे का प्रयास न करें।

  • चीता को सुरक्षित रास्ता दिया जाए तो वह स्वयं आबादी से दूर चला जाएगा।

  • अगर चीता से सामना हो जाए तो भागने का प्रयास न करें।

  • अगर कोई चीता मवेशी पर हमला करने का प्रयास करे तो तेज आवाज करें।

  • चीता द्वारा किसी मवेशी को मार दिया जाए तो वन अधिकारी से संपर्क करें, मुआवजे का प्रावधान है।

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