मां-बाप को सौंपा गया बच्चा Raj Express
मध्य प्रदेश

इंदौर: कमेटी ने बच्चा चोरी में स्टाफ नर्स और सुरक्षाकर्मियों को ठहराया दोषी

इंदौर, मध्य प्रदेश : पांच सदस्यीय कमेटी ने आगे से ऐसा न हो, इसके लिए दिए कई सुझाव। मामला एमवायएच में बच्चा चोरी का।

Author : राज एक्सप्रेस

इंदौर, मध्य प्रदेश। एमवायएच में गत 15 नवंबर को एक महिला एक दिन का बच्चा सबकी आंखों में धूल झोंकती हुई चुरा कर ले गई थी। पुलिस के दबाव के चलते वो बच्चे को संयोगितागंज थाना परिसर में छोड़कर चली गई थी। बच्चा चोर महिला अब तक पुलिस की पकड़ से दूर है। वहीं इस गंभीर मामले को लेकर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने डॉ. केके अरोरा के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय कमेटी को जांच सौंपी थी। कमेटी को दो दिन में अपनी रिपोर्ट देना थी, लेकिन कमेटी ने विस्तृत जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सोमवार शाम को सौंपी।

डीन डॉ. संजय दीक्षित ने मंगलवार को बताया कि हमने रिपोर्ट की स्टडी कर ली है, जो काफी विस्तृत है। इसमें मुख्य रूप से कमेटी ने वार्ड में तैनात नर्सिंग स्टाफ अंजलि जोसफ और सुरक्षाकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया है, क्योंकि उनसे सुरक्षा में चूक हुई है। इस मामले में उक्त नर्सिंग स्टाफ और अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाले एजेंसी यूडीएस को नोटिस जारी कर रहे हैं, उनके जवाब के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी, की जाएगी।

डॉक्टर से अनुमति के बाद बच्चा ले जाने दिया जाए :

कमेटी ने जो सुझाव दिए हैं, उनमें से एक सुझाव यह दिया है कि जब भी स्री एवं प्रसूति रोग विभाग के वार्ड से नवजात को वार्ड के बाहर ले जाना हो या किसी अन्य वार्ड, विभाग में इलाज के लिए ले जाना हो, तो संबंधित डॉक्टर्स से अनुमति के बाद ही नवजात को शिफ्ट किया जाए। कमेटी ने यह भी सुझाव दिए हैं कि हर यूनिट, वार्ड में एक अलग से सुरक्षाकर्मी तैनात किया जाए, ताकि वो पूरी यूनिट की निगरानी कर सके वर्तमान में केवल फ्लोर के मुख्य गेट पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। कमेटी ने यह भी सुझाव दिया है कि वर्तमान में जो अस्पताल में सीसीटीवी कैमर लगे हैं, उनकी पिक्चर क्वालिटी बेहतर नहीं है। इसलिए उच्च पिक्चर क्वालिटी वाले कैमरे लगाएं जाएं। स्टॉफ खासकर डॉक्टर्स बाहर से आएं, तो अपना आईडी कार्ड लगा कर आएं, ताकि पहचान हो सके।

उठने लगे विरोध के सुर :

जांच में नर्सिंग स्टाफ अंजलि जोसफ को दोषी ठहराने को लेकर अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ में रोष है और इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक स्टाफ नर्स दो से तीन वार्ड कैसे संभाल सकती है? एमसीआई की गाइड लाइन के मुताबिक तीन मरीजों पर एक नर्सिंग स्टाफ होना चाहिए यहां तो तीन वार्ड में एक नर्सिंग स्टाफ है। हर मामले में बलि का बकरा नर्सिंग स्टाफ को ही क्यों बनाया जाता है, कारण इनकी संख्या ज्यादा है और विरोध में हड़ताल नहीं करते हैं, जबकि जितनी दोषी नर्सिंग स्टाफ को माना जा रहा है, तो उतना ही दोषी ड्यूटी डॉक्टर को क्यों नहीं माना जा रहा? वहीं इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि यदि इमरजेंसी में नवजात को अन्य विभाग या जांच के ले जाना हो, ऐसे में संबंधित डॉक्टर को कहां से ढूंढेंगे, क्योंकि एमवायएच के क्या हाल है, सबको मालूम है। वैसे भी जो जूनियर डॉक्टर वार्ड में रहती हैं, उन पर भी बहुत ज्यादा लोड रहता है और उन्हें फुर्सत ही नहीं मिलती है, ऐसे में एक नई जिम्मेदारी को वो कैसे निभा पाएंगे, समझ से परे है।

सुरक्षा एजेंसी क्यों नहीं बदलते?

हर बार एमवायएच में कोई भी घटना, हंगामा होता है, चूक अस्पताल की सुरक्षाकर्मियों की निकलती है। डॉक्टर्स, स्टाफ तक सुरक्षा को लेकर सीधे आरोप लगाते हैं, इसके बाद भी ऐसा क्या कारण है कि अस्पताल में सुरक्षा एजेंसी बदली नहीं जा रही है? जितना खर्चा अस्पताल में सुरक्षा पर हो रहा है, शायद ही शहर के किसी अन्य सरकारी या निजी अस्पताल में हो रहा है। निजी अस्पताल में ऐसी घटनाएं क्यों नहीं होती? माना एमवायएच में भीड़ अधिक है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को टाइट नहीं किया जा सकता। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि हालत यह है कि अस्पताल में तैनात एजेंसी का स्टाफ अस्पताल जिम्मेदारों के घरों में सेवा, सुरक्षा दे रहे हैं, ऐसे में कैसे अस्पताल के हालत सुधरेंगे?

मां-बाप को सौंपा बच्चा :

एमवायएच अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर ने बताया कि मंगलवार को चोरी गए नवजात बच्चे को संयोगितागंज पुलिस ने मंगलवार को उसकी मां रानी और पिता लोकेश बियानी को अस्थायी तौर पर सौंपा है। अभी नवजात की विस्तृत जांच (डीएनए आदि) की रिपोर्ट आना है। उल्लेखनीय है कि जिस दिन बच्चा चोरी गया था, उस दिन दीपावली थी और एमवायएच अधीक्षक डॉ. ठाकुर ने प्रण लिया था कि मैं आज दीपावली नहीं मानाऊंगा और जिस दिन बच्चा मिलेगा, उस दिन दीपावली मनाऊंगा।

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