डबरा, मध्यप्रदेश। सिंध नदी में आए सैलाब में बहे घर और रास्तों पर टूटे हुए घरों का मलवा बिखरा हुआ पड़ा है। जिसमें दबे हुए घर गृहस्थी के सामान को ढूंढकर उसे व्यवस्थित करना ही वर्तमान में बाढ़ पीड़ित गांव में ग्रामीणों की दिनचर्या बन गई है। बाढ़ में खराब हुए अनाज को धूप में सुखाकर लोग बाढ़ से ध्वस्त हुए घरों के मलबे के आसपास ही तिरपाल लगाकर रहने को मजबूर हैं। सरकारी मदद से दूर रिश्तेदारों एवं सामाजिक संस्थाओं की मदद से फिर से जिंदगी खड़ा करने की जद्दोजहद बाढ़ पीड़ित गांव में दिख रही है। विकासखंड के विजकपुर, अजीतपुरा लडैयापुरा, इमला का डेरा गांव में सिंध नदी में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई इससे लगभग दो सैकड़ा परिवार बेघर हो गए।
डबरा अनुविभाग में सिंध नदी के किनारे लगभग एक से दो किलोमीटर के दायरे में विजकपुर, अजीतपुरा लडैयापुरा, इमला का डेरा आदि मजरे टोले और गांव बसे हुए हैं, जिनमें दो सैकड़ा परिवार निवासरत है, एक सप्ताह पूर्व सिंध नदी में ऐसी बाढ़ आई कि हर तरफ तबाही मच गई। ग्राम पंचायत विजकपुर के अंतर्गत आने वाले इन मजरों और गांव में लगभग 200 परिवार बेघर हो गए। नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद ग्रामीण तो सुरक्षित स्थानों पर चले गए, लेकिन इन गांव के जलमग्न हो जाने से सब कुछ तबाह हो गया। यही वजह है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद जब लोग गांव लौटे तो गांव में तबाही का मंजर था, बाढ़ में ग्रामीणों की जिंदगी भर की मेहनत से तैयार किया हुआ मकान ढह चुका था।
रिश्तेदार एवं समाजसेवी कर रहे हैं मदद :
विजकपुर ग्राम पंचायत के अजीतपुरा, लडैयापुरा, इमला का डेरा आदि गांव सिंध नदी की बाढ़ में बह गए, गांव तक पहुंचने का रास्ता भी कीचड़ से सना हुआ है। इस रास्ते से पैदल ही गांव में पहुंचा जा सकता है। ऐसी परिस्थितियों में पीड़ित परिवारों के लिए उनके रिश्तेदार एवं समाजसेवी संस्थाएं खाद्य सामग्री एवं जरूरत का सामान पहुंचा रहे हैं, गांव में समाजसेवियों द्वारा हर जरूरत का सामान उपलब्ध कराया जा रहा है।
सब कुछ बहा ले गई बाढ़, अब तिरपाल में गुजरबसर :
ग्राम अजीतपुरा, लडैयापुरा में भी बाढ़ की तबाही का मंजर साफ दिखाई देता है। यहां नदी किनारे निचली बस्ती में बसे परिवारों के पक्के तथा कच्चे मकान पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। जबकि कुछ कच्चे-पक्के मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त होकर रहने लायक नहीं बचे हैं। यहां सिला पलायछा के बाद सबसे अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। वही चांदपुर गांव में मकानों की दीवारें दरक रही है, कई घरों में बाढ़ के साथ बहकर आई मिट्टी भरी हुई है, जिन्हें साफ करने के बाद घरों में मौजूद नमी के कारण रहना संभव नही हो पा रहा है। वही इन घरों में रहने से घरों के ढहने का खतरा भी बना हुआ है।
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