शहडोल, मध्य प्रदेश। साउथ ईस्टर्न कोल फिल्डस लिमिटेड के सोहागपुर एरिया अन्तर्गत अमलाई खुली खदान के जिस क्षेत्र से प्रबंधन कोयले का उत्खनन कर रहा है, आरोप है कि उक्त क्षेत्र की लीज अभी तक खनिज विभाग द्वारा स्वीकृत नहीं की गई है, कोल प्रबंधन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि, वर्तमान में सेवन-सिम से कोयले का उत्खनन किया जा रहा है, विभाग के द्वारा उत्खनन की अनुमति की प्रक्रिया तो की गई है लेकिन अभी तक खनिज और लीज से जुड़े अन्य विभागों ने अपनी सहमति की मुहर लगाकर लीज आवंटित नहीं की है। हालांकि इस संदर्भ में सोहागपुर एरिया के अमलाई उप क्षेत्र के प्रबंधक शरद दीक्षित कहते हैं कि यहां सब नियमत: कार्य हो रहा है, लेकिन क्षेत्र में सेवन-सिम एरिया से हो रहे उत्खनन की लीज न होने की चर्चाएं भी चरम पर हैं।
1 करोड़ से अधिक का उत्खनन :
अमलाई खुली खदान में वर्तमान में न्यूनतम 4 हजार और अधिकतम 5 हजार टन कोयले का उत्खनन विभाग द्वारा करवाया जा रहा है, बाजार में कोयले की प्रतिटन कीमत 2800 रुपये और विभाग कर मिलाकर 3500 से 3800 रुपये प्रति टन बताई गई है, इस हिसाब से प्रतिदिन एक से सवा करोड़ रुपये के कोयले का उत्खनन यहां किया जा रहा है, यह बात भी सामने आई कि उत्खनित हो रहे कोयले को भले ही अवैध माइनिंग की श्रेणी में रखकर देखा जा रहा है, लेकिन विभाग ने इसकी अनुमति के आवेदन संभवत: किये हैं और जिस कोयले की निकासी हो रही है, विभाग द्वारा शासन को उसका कर भी दिया जा रहा है।
डिपार्टमेंटल और कांट्रेक्टर :
अमलाई ओसीएम सहित सोहागपुर एरिया की अन्य माइंसों में विभाग द्वारा डिपार्टमेंटल और कॉन्ट्रेक्ट आधार पर कोयले का उत्खनन करने की दो प्रक्रियाएं हैं, जिसमें विभागीय अधिकारी अधिकांश तथा उक्त माइंस में भी ठेकेदारों की मशीनों का उपयोग नियमों से परे हटकर करते रहे हैं, अमलाई खुली खदान के उत्पादन के लक्ष्य को भेंदने के फेर में उप क्षेत्रीय प्रबंधक और उनके मातहत शायद खनिज तथा पर्यावरण आदि की अनुमति का इंतजार किये बिना ही, डिपार्टमेंट तथा कांट्रेक्ट पर लगी मशीनों को बिना अनुमति वाले सातवें फेस में उत्खनन के लिये झोंक दिया है।
यार्ड में कोयले के नीचे मिट्टी :
अमलाई खुली खदान के प्रबंधन पर यह भी आरोप लगे हैं कि उनके द्वारा उत्खनन के लक्ष्य को पाने के लिये कोल यार्ड में कोयला डम्प कराने से पहले बड़ी मात्रा में मिट्टी और कोल डस्ट आदि डम्प कराई गई है, उसके बाद मशीनों से उसके ऊपर कोयला डलवा दिया गया, जिससे यार्ड में रखे कोयले का आंकलन माप के दौरान अधिक हो सके और लक्ष्य से पिछड़ रही माइंस को इस रास्ते से अगली पंक्ति तक लाया जा सके।
कटघरे में कोल व अन्य विभाग :
कोल प्रबंधन द्वारा लक्ष्य को पाने के फेर में खनिज तथा अन्य विभागों से अनुमति लिये बिना ही उत्खनन के आरोप लग रहे हैं, वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि समय-समय पर खनिज, राजस्व तथा वन अमले के जिम्मेदार मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन नहीं कर पा रहे हैं, जिसका फायदा कोल प्रबंधन के अधिकारी खुद के प्रमोशन के फेर में उठाने पर आमादा हैं, जिस स्थान पर सेवन-सिम से कोयला उत्खनित किया जा रहा है, वह भू-खण्ड राजस्व या वन भूमि किसके अधीन है, इसकी भी चर्चा सोहागपुर एरिया के गलियारों में हो रही है।
उठी भौतिक सत्यापन की मांग :
कोल प्रबंधन पर लग रहे अनलीगल माइंस के आरोपों के बीच इस बात की भी मांग उठ रही है कि खनिज विभाग को सेवन-सिम वाले स्थान जहां से कोयले का उत्खनन हो रहा है, उस स्थल पर जाकर भौतिक सत्यापन करना चाहिए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके, आरोप है कि पूर्व में भी सोहागपुर एरिया में प्रबंधन द्वारा बिना अनुमति प्राप्त किये ही लक्ष्य के फेर में इस तरह की घटनाएं की जा चुकी हैं।
इनका कहना है :
अमलाई ओसीएम में उत्खनन के लिये दी गई अनुमति के फाइल और मौके पर जांच के बिना कुछ नहीं कहा जा सकता।सुश्री फरहत जहाँ, खनिज अधिकारी, शहडोल
विभाग द्वारा जिस स्थान पर कोयले के उत्खनन की अनुमति दी गई है, उसी स्थान पर उत्खनन हो रहा है, शेष आरोप गलत हैं।शरद दीक्षित, उप क्षेत्रीय प्रबंधक, अमलाई, खुली खदान, सोहागपुर एरिया
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।